विवादों में आई 'द केरल स्टोरी', एमपी में टैक्स फ्री होने के बाद सरकार पर उठे ये सवाल!

मध्य प्रदेश में आदिवासी इलाकों में सैकड़ों लड़कियां गायब होने के बावजूद सरकार की चुप्पी का आरोप।
विवादों में आई 'द केरल स्टोरी', एमपी में टैक्स फ्री होने के बाद सरकार पर उठे ये सवाल!
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भोपाल। फिल्म द केरल स्टोरी को मध्यप्रदेश में टैक्स फ्री कर दिया है। इस बात की जानकारी खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक वीडियो जारी करते हुए दी थी। इसके साथ ही सीएम शिवराज ने प्रदेश की जनता से फिल्म देखने की अपील भी की। वहीं अब इस पर आपत्ति जताते हुए कांग्रेस ने गुजरात दंगे पर बनी डॉक्यूमेंट्री को भी टैक्स फ्री कर स्क्रीनिंग की मांग कर दी है। एक तरफ मध्य प्रदेश में फिल्म को टैक्स फ्री किया गया है। उधर तमिलनाडु में मल्टीप्लेक्स संगठन ने सुरक्षा की दृष्टि से फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगा दी है। इन सब के बीच अब विपक्षी पार्टियां सरकार पर हमलावर हो गईं है। आरोप है कि प्रदेश में आदिवासी इलाकों में सैकड़ों लड़कियां गायब हुईं है और सरकार चुप है।

देश में तमाम कंट्रोवर्सी के बीच रिलीज हुई फिल्म द केरल स्टोरी ने पहले दिन बॉक्स ऑफिस पर 7.5 करोड़ रुपए कमा लिए है। मध्य प्रदेश सरकार ने हिंदूवादी संगठनों की मांग पर इसे टैक्स फ्री कर दिया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि ये फिल्म आतंकवाद की भयानक सच्चाई के खिलाफ लोगों को शिक्षित और जागरूक करती है। इसे सभी को देखना चाहिए। सीएम शिवराज की अपील के बाद विपक्षी दलों ने सरकार, बीजेपी को घेरना शुरू कर दिया है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए कांग्रेस की मीडिया विभाग की उपाध्यक्ष संगीता शर्मा ने कहा पूरे देश में जिन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं। वहां यह ऐसी विवादित फिल्मों के द्वारा वोटों का ध्रुवीकरण करने का प्रयास कर रहे हैं। संगीता शर्मा ने बीजेपी पर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में पिछले 19 सालों से बीजेपी की सरकार है। लेकिन महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाओं पर अंकुश नहीं लग रहा है। उन्होंने कहा मध्य प्रदेश, एनसीआरबी आंकड़ों के अनुसार बच्चों और महिलाओं के खिलाफ आपराधिक घटनाओं में देश पर टॉप में है। 

वहीं आजाद समाज पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सुनील अस्तेय ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा कि पूरे प्रदेश में दलित, आदिवासी, बच्चे और महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े हैं। लेकिन सरकार इनको रोकने बजाय फिल्म को टैक्स फ्री और देखने की अपील कर एक विशेष समुदाय के खिलाफ लोगों भड़काने का काम कर रही है। सुनील अस्तेय ने सरकार से सवाल करते हुए कहा कि पिछड़ी जाति वर्ग के लोगों पर हुए अत्याचारों पर बनी फिल्मों को भी क्या राज्य सरकार कर मुक्त करेगी?

पिछले दस साल में गायब हो गईं 7 हजार से भी ज्यादा लड़कियां

मध्य प्रदेश में बेटियों की खरीद-फरोख्त के मामले कम नहीं हो रहे। जानकारों के अनुसार आदिवासी समुदाय के गरीबी और पिछड़ेपन का फायदा उठाकर इस आदिवासी समुदाय की लड़कियों को शादी, घरेलू कार्य और देह व्यापार के लिए दूसरे जिलों या राज्यों में ले जाया जा रहा है। प्रदेश से हर साल गायब होने वाले बच्चों में से 50% आदिवासी और पिछड़े जातियों के हैं। दिसंबर 2018 को गृह मंत्रालय की ओर से लोकसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार 2016 में देश में गायब हुए बच्चों में सबसे ज्यादा बच्चे मध्य प्रदेश के थे। मप्र से गायब हुए कुल 8,503 बच्चों में से 6,037 लड़कियां हैं।

प्रदेश में मानव तस्करी रोकने की दिशा में काम कर रहे विशेषज्ञों की मानें तो आदिवासी जिलों की लड़कियां तस्करों का सबसे आसान शिकार होती हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक बालाघाट 1021, आलीराजपुर 1009, मंडला 1005 और डिंडोरी 1004 में लिंगानुपात सबसे बेहतर है। यही नहीं बेहतर लिंगानुपात वाले प्रदेश के दूसरे आदिवासी बहुल जिलों से भी लड़कियां लगातार गायब हो रही हैं। पिछले दस साल में ही नौ जिलों से 7,448 लड़कियों की गुमशुदगी के मामले सामने आए हैं।

गुजरात में पिछले पांच सालों में 40 हजार लड़कियां गायब

लव जिहाद और केरल में गायब हुईं लड़कियों पर बनी फ़िल्म 'द केरला स्टोरी' विवादों में है। केरल में 5 मई से ही फिल्म के विरोध में कई संगठन सड़कों पर भी उतर आए जिसके बाद फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लग गई है। इसी बीच गुजरात की महिलाओं के लापता होने का आंकड़ा सामने आया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच सालों में गुजरात से 40 हजार से ज्यादा महिलाएं लापता हो चुकी हैं। आपको बता दें कि द न्यू इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट में पूर्व आईपीएस अधिकारी और गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य के हवाले से दावा किया है कि लापता लड़कियों और महिलाओं को अन्य राज्यों में भेज दिया जाता हैं। जहां उनसे वेश्यावृत्ति करवाई जाती है। यह आंकड़े सामने आने के बाद गुजरात सरकार पर भी सवालों के घेरे में है। 

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक के अनुसार 2016 में 7105, 2017 में 7712, 2018 में 9246 और 2019 में 9268 महिलाएं लापता हुईं। साल 2020 में 8290 महिलाओं के लापता होने की जानकारी मिली है। पांच साल में कुल 41,621 महिलाएं लापता हुई हैं। महिलाओं के लापता होने का मुद्दा विधानसभा में उठ चुका है। 2021 में विधानसभा में सरकार ने एक बयान में कहा था कि 2019-20 में अहमदाबाद और वडोदरा में 4722 महिलाएं लापता हो गईं।

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