भोपाल। राजधानी भोपाल में एक बार फिर रेलवे प्रशासन ने बुलडोजर चला कर 55 परिवारों को बेघर कर दिया। शहर के छोला रोड इलाके के श्रीराम नगर और अन्नू नगर की झुग्गियों पर प्रशासन ने गत शुक्रवार को बुलडोजर चला दिया। लोग मौजूद पुलिसकर्मियों और अफसरों से घर का सामान निकालने की गुहार लगाते रहे, लेकिन कार्रवाई नहीं रुकी।
दरअसल, भोपाल रेल मंडल ने रेलवे की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अभियान शुरू किया था। इस अभियान के तहत इंजीनियरिंग विभाग द्वारा पूरे मंडल में रेलवे लाइन के किनारे की भूमि का सर्वे कराकर रेलवे भूमि सीमा चिन्हित कर उसके अन्दर किए गए अतिक्रमण को बुल्डोजर चलाकर हटा दिया गया। शहर के श्रीराम नगर के पास रेलवे की जमीन को मुक्त कराने के लिए रेलवे ने 55 से ज्यादा कच्चे-पक्के मकान जमीदोंज कर दिए। मकान को गिराते वक्त लोग रोते बिलखते रहे, लेकिन प्रशासन ने उनकी नहीं सुनी। इसके पहले भी रेलवे ने 12 दिसंबर 2022 को बुलडोजर चला कर करीब 100 मकान तोड़ दिए थे।
रेलवे द्वारा मकानों पर चले बुलडोजर के बाद श्रीराम नगर की झुग्गी बस्ती में सिर्फ मलवा बिखरा पड़ा था। कुछ लोग अपने घरों की जमीन पर गिरी हुईं दीवारों से ईंट निकाल रहे थे तो कुछ लोग घरों के दरवाजे और खिड़कियों को निकाल रहे थे। मकान गिरने से बेघर हुए लोग एक बड़े नुकसान की छोटी-मोटी भरपाई करने की कोशिश कर रहें थे। द मूकनायक की टीम ने ग्राउंड जीरो पर बेघर हुए लोगों का दर्द सुना, बेघर हुए लोगों के चेहरों पर मायूसी छाई हुई थी। दूसरी तरफ सरकार के खिलाफ गुस्सा भी साफ देखा जा सकता था।
इन्हीं 55 परिवारों में से एक, ज्योति अहिरवार अपने पति और चार साल के बेटे के साथ यहाँ रह रही थी। इनका मकान भी रेलवे की भूमि के जद में था जो गिरा दिया गया था। टूटे मकान की गिरी हुईं दीवारों से ज्योति ईंटों को निकाल रही थी। ज्योति के साथ उनका चार वर्षीय बेटा भी ईंटों को एक जगह एकत्र कर रहा था। द मूकनायक को ज्योति अहिरवार ने बताया कि अब वह किराए के मकान की तलाश कर रहीं है। मकान टूटने के बाद से ही उनके पति किराए के मकान की तलाश करने गए है। वह गिरे हुए मकान की दीवारों से ईंट और अन्य समान को निकालकर एकत्र कर रहीं है। ज्योति के पति राज मिस्त्री है। उन्होंने बताया कि जब मकान के लिए नई जगह मिलेगी तो यह ईंटें, अन्य सामग्री वहाँ काम आएंगी।
बेघर हुए परिवारों में सुनील रजक भी शामिल है जो कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है। कैंसर का ऑपरेशन हो चुका है, लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते वह बेरोजगार है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए सुनील रजक ने बताया कि बीमारी के पहले वह मजदूरी करते थे। लेकिन कैंसर की बीमारी के कारण अब वह मजदूरी नहीं कर सकते। उन्होंने बताया उनके असहाय होने के बाद उनका साथ पत्नी ने भी छोड़ दिया है। सुनील ने कहा कि उनकी माँ मजदूरी करती है और वह अब अपनी बूढ़ी माँ के सहारे हैं।
मकानों पर बुलडोजर चलते देख रहवासियों ने क्षेत्रीय विधायक और प्रदेश सरकार के गैस राहत मंत्री को फोन किया, लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। बता दें कि यह इलाका यूनियन कार्बाइड के ठीक पीछे है। इस जगह पर भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ित रहते है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए हिना बाई ने कहा कि मंत्री विश्वास सारंग ने उन्हें एक सुरक्षित जगह देने का वादा किया था, लेकिन अब जब बुलडोजर की कार्रवाई हुई तभी से मंत्री फोन पर बात नहीं कर रहे है। सरकार के गैस राहत मंत्री विश्वास सारंग ने इन सभी लोगों को एक सुरक्षित स्थान देने का आश्वासन दिया था। लेकिन जब बुलडोजर कार्रवाई शुरू हुईं तो मंत्री ने लोगों के फोन नहीं उठाए। द मूकनायक ने इस मामले में जानकारी के लिए मंत्री को फोन किया तो उन्होनें कॉल रिसीव नहीं किया।
इधर, गैस पीड़ितों के लिए काम कर रहीं सामाजिक कार्यकर्ता और भोपाल ग्रुप फॉर इन्फोर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढिंगरा ने कहा कि सरकार ने बिना कोई व्यवस्था किए मकानों पर बुलडोजर चला दिया। जबकि गैस राहत मंत्री और प्रशासन से इन लोगों को एक सुरक्षित जगह विस्थापित करने की मांग की गई थी। द मूकनायक से बातचीत करते हुए रचना ढिंगरा ने बताया कि इन सभी परिवार में सर्वाधिक गैस त्रासदी के पीड़ित है। यहाँ का भूजल भी प्रदूषित है, लेकिन शासन-प्रशासन को शायद इन लोगों के प्रति हमदर्दी नहीं हैं। लोगों को हटाया गया, लेकिन उन्हें कोई ठिकाना अभी तक नहीं मिल पाया है। इस मामले में हमने भोपाल कलेक्टर आशीष सिंह को फोन किया पर उनसे बात नहीं हो सकी।
बुलडोजर की कार्यवाही में बेघर हुए 55 परिवारों में से सिर्फ 25 को ही जगह दी गई है। यह जगह शंकर नगर में मिली है। यह इलाका भी गैस त्रासदी से प्रभावित है। श्रीराम नगर के रहवासी निखिल ने बताया कि जिस स्थान पर लोगों जगह दी गई है, वह नाले के पास है। यहाँ बदबू, मच्छर जैसी दिक्कतें हैं। यहां रहने से लोग बीमार हो सकते हैं। वहीं पिछले साल दिसंबर 2022 में की गई कार्यवाही में अब तक लोगों को नई जगह नहीं मिल सकी। सरकार प्रधानमंत्री आवास योजना और मुख्यमंत्री आवास जैसी स्कीमों को प्रचारित कर रही हैं, लेकिन बेघर किए गए परिवार अपने सर पर छत का होना एक सपने जैसा मान रहे हैं।
यह भी पढ़ें-
द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.