एक ही दिन दिल्ली और गुजरात में आग की भयानक घटनाओं ने लील ली कई मासूमों की जिंदगियां, सामने आईं ये गड़बड़ियां

शनिवार देर रात दिल्ली के विवेक बिहार में आग लगने के कारण 6 नवजातों की दर्दनाक मौत हो गई. इसके पहले गुजरात में भी दोपहर बाद राजकोट जिले में एक गेम जोन में भीषण आग लगने की वजह से लगभग 28 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से ज़्यादातर बच्चे हैं।
गुजरात और दिल्ली में एक ही दिन आग लगने की बड़ी घटनाएं
गुजरात और दिल्ली में एक ही दिन आग लगने की बड़ी घटनाएं
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नई दिल्ली: पहली घटना दिल्ली के शाहदरा जिला के विवेक विहार इलाके से सामने आई, जहां शनिवार देर रात एक बेबी केयर सेंटर में आग लगने से हड़कंप मच गया। इस घटना के बाद कम से कम 11 नवजात शिशुओं को वहां से निकाला गया. हालांकि इनमें से 6 नवजातों की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई, जबकि 5 शिशु अस्पताल में भर्ती हैं. सूचना मिलते ही दमकल की 16 गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं। 

दमकल विभाग के मुताबिक चाइल्ड केयर सेंटर में बच्चे व स्टाफ मौजूद था। हादसे के बाद वह यहां वहां भाग कर जान बचाने की कोशिश करने लगे। मौके पर पहुंचे दमकलकर्मी भी राहत कार्य में जुट गए। सूत्रों के मुताबिक देर रात तक 11 बच्चों को रेस्क्यू कर लिया गया। देर तक रेस्क्यू ऑपरेशन जारी रहा और 2 बजे बाद आग पर काबू पाया जा सका।किसी के हताहत होने की पुष्टि नहीं हो सकी है।

दमकल विभाग के निदेशक अतुल गर्ग ने बताया कि शनिवार रात करीब 11:32 बजे आईआईटी ब्लॉक बी, विवेक विहार स्थित बेबी केयर सेंटर में आग लगने की सूचना मिली थी।  सूचना मिलते ही मौके पर दमकल की 16 गाड़ियों को रवाना किया गया। सूत्रों के मुताबिक भूतल समेत तीन मंजिला इमारत पूरी तरह से आग की लपटों में घिरी हुई थी। उसके बाहर खड़ी एक वैन भी पूरी तरह से चल चुकी थी। मौके पर हाहाकार के बीच दमकल कर्मी तुरंत आग बुझाने में जुट गए। बताया जा रहा है कि अंदर बच्चे व अन्य स्टाफ मौजूद था। फिलहाल खबर लिखे जाने तक मौके पर रेस्क्यू ऑपरेशन जारी था। पुलिस और स्थानीय लोगों की भरी भीड़ मौके पर मौजूद थी।

बेबी केयर सेंटर में आग लगते ही मौके पर अफरा अफरी मच गई। शोर शराबे के बीच स्थानीय लोग मदद के लिए भागे। देखते ही देखते आग ने उपरी मंजिल को अपनी चपेट में ले लिया, पब्लिक ने पुलिस व दमकल विभाग के साथ मिलकर बिल्डिंग के पीछे की ओर की खिड़कियां तोड़ी और किसी तरह वहां से नवजात बच्चों को एक-एक कर निकला। बाद में उनको एक दूसरे निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 

पुलिस सूत्रों का कहना है कि अस्पताल में सभी नवजातों की हालत गंभीर बनी हुई है, खबर लिखे जाने तक अस्पताल के बाहर नवजात बच्चों के परिजनों की भीड़ जुट चुकी थी, वह अपने बच्चों की सलामती का पता करने के लिए पहुंच चुके थे.

दूसरी घटना गुजरात राज्य के राजकोट जिले से सामने आई, यहां अनधिकृत टीआरपी गेमिंग जोन में लगी भयानक आग में कम से अब तक लगभग 28 लोगों की मौत हो गई है, जिनमें से ज़्यादातर बच्चे हैं। हैरानी की बात यह है कि गेमिंग जोन के पास अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) या कोई अग्नि सुरक्षा उपकरण नहीं था।

शवों की पहचान के लिए नगर निगम अधिकारियों को उनका डीएनए कराना होगा क्योंकि वे बुरी तरह जल चुके हैं। अपुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, जब वेल्डिंग मशीन से आग लगी तब गेमिंग जोन में 2000 लीटर से ज़्यादा पेट्रोल और 800 टायर थे। उस समय गेमिंग जोन में करीब 300 लोग थे। चूंकि बाहर निकलने की कोई उचित व्यवस्था नहीं थी, इसलिए बड़े लोग तीसरी मंजिल से एक सीढ़ी से बाहर निकल आए, लेकिन बच्चे फंस गए।

समस्या यह थी कि यहां प्रतिदिन प्रवेश शुल्क 500 रुपये प्रति व्यक्ति था, जिसे घटाकर 99 रुपये प्रति व्यक्ति कर दिया गया था, जिससे काफी भीड़ थी।

गृह मंत्री हर्ष सांघवी ने देर रात घटनास्थल का दौरा कर हादसे के बारे में जानकारी ली। उन्होंने बताया कि एक शख्स लापता है। वहीं, राजकोट पुलिस ने बताया कि हादसे के बाद ‘गेम जोन’ के मालिक और प्रबंधक को हिरासत में लिया गया है। सरकार ने मामले की जांच के लिए विशेष जांच दल का गठन किया है।

राज्य भर में सैकड़ों अवैध गेम जोन

गुजरात के व्यापक सामान्य विकास नियंत्रण विनियमों में एक बड़ी खामी के कारण गुजरात के प्रमुख शहरों में गेमिंग जोन सहित सैकड़ों मनोरंजक गतिविधियों को अवैध रूप से संचालित करने की अनुमति मिल गई है। शहरी विकास विभाग द्वारा 2017 में लागू किए गए CGDCR में आश्चर्यजनक रूप से मनोरंजक सुविधाओं के लिए विशिष्ट निर्माण नियमों का अभाव है।

सरकार ने 8 शहरों में गेम जोनों के निरीक्षण के आदेश दिए

इस घटना के जवाब में, गुजरात सरकार ने अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, गांधीनगर, भावनगर, जामनगर और जूनागढ़ सहित सभी आठ नगर निगमों को अग्निशमन, राजस्व, इंजीनियरिंग और पुलिस अधिकारियों की समितियां बनाने का निर्देश दिया है। इन समितियों को अपने-अपने शहरों में गेमिंग ज़ोन में अग्नि सुरक्षा उपायों, निकास मार्गों और उनके प्रतिष्ठानों की उपयुक्तता का आकलन करने के लिए तत्काल निरीक्षण करने का काम सौंपा गया है।

बिना लाइसेंस और फायर एनओसी के चल रहा गेमिंग जोन

आग लगने की घटना के कुछ घंटों बाद, पुलिस ने टीआरपी गेम ज़ोन के मालिक और दो प्रबंधकों सहित 10 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया। मनोरंजन सुविधा का संचालन करने वाले युवराजसिंह सोलंकी को दो प्रबंधकों – नितिन जैन और यज्ञेश पाठक और कुछ सुरक्षा कर्मचारियों के साथ पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि देर रात औपचारिक शिकायत दर्ज किए जाने की संभावना है।

यह भी सामने आया है कि गेमिंग जोन संचालकों ने राजकोट नगर निगम से अनिवार्य अनुमति और लाइसेंस नहीं लिया था।

टाइम्स ऑफ इंडिया के हवाले से बात करते हुए, आरएमसी की स्थायी समिति के अध्यक्ष जैमिन ठाकर ने कहा, “वे अनिवार्य अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना मनोरंजन सुविधा का संचालन कर रहे थे और यह बिना किसी प्राधिकरण के चल रहा था। गेम ज़ोन संचालकों को मनोरंजन विभाग से लाइसेंस प्राप्त करना होता है। लेकिन टीआरपी गेम ज़ोन के मालिकों ने लाइसेंस के लिए आवेदन नहीं किया था।”

टीआरपी गेम ज़ोन पिछले 18 महीनों से शहर के बीचों-बीच चल रहा था और इसके प्रमोटर इस मनोरंजक सुविधा का व्यापक प्रचार कर रहे थे। उन्होंने प्रचार के लिए सोशल मीडिया के प्रभावशाली लोगों को काम पर रखा था।

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