नई दिल्ली। दिसंबर महीने के पहले दिन देश की प्रतिष्ठित यूनिर्वसिटी जवाहरलाल नेहरु यूनिर्वसिटी की दीवारों पर ब्राह्मण विरोधी नारे लिख दिए गए। लाल रंग से दीवार पर लिखा गया कि "ब्राह्मणों कैंपस छोड़ो, ब्राह्मणों भारत छोड़ो और ब्राह्मणों-बनिया हम आ रहे हैं, बदला लेंगे। साथ ही ब्राह्मण जाति से आने वाले कई प्रोफेसरों के चैंबर के बाहर दीवार पर लिखा "शाखा में वापस जाओ"
यह सभी नारे स्कूल ऑफ इंटरनेशलन स्टडीज की दीवारों पर लिखे गए हैं। इस नारे के बाद ही यूनिवर्सिटी में आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरु हो गया है।
विद्यार्थी संगठन एबीवीपी ने इसके लिए वामपंथी छात्र संगठन को जिम्मेदार ठहराया है। वहीं इस घटना के बाद जेएनयू के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष साई बालाजी ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि उनके संगठन की द्वारा ऐसा कृत्य नहीं किया गया है। बल्कि उन्होंने एबीवीपी पर ही संदेह जताते हुए कहा कि उनके कार्यकर्ता ऐसी हरकर कर सकते हैं।
वहीं दूसरी ओर एबीवीपी जेएनयू के अध्यक्ष रोहित कुमार ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एबीवीपी कम्युनिस्ट गुंडों की निंदा करता है। कम्युनिस्टों ने जेएनयू की स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टीज-2 की बिल्डिंग की दीवारों पर अपशब्द लिखे हैं। उन्होंने डराने के लिए स्वतंत्र सोच वाले प्रोफेसरों के चैंम्बर्स पर भी ऐसा किया है।
वही इस घटना के बाद जेएनयू के एक्टिंग रजिस्ट्रार ने एक नोटिस जारी की है। जिसमें लिख है कि कुलपति ने स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज, जेएनयू में कुछ अज्ञात तत्वों द्वारा दीवारों और फैकल्टी रुम्स को विकृत करने की घटना को गंभीरता से लिया है। प्रशासन कैंपस में इन बहिष्कारवादी प्रवृत्तियों निंदा करता है। ऐसी घटनाओं को एकदम बर्दास्त नही किया जाएगा क्योंकि जेएनयू सबका है।
साथ ही स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन और शिकायत समिति को पूछताछ कर कुलपति को रिपोर्ट देने को कहा गया है।
वही दूसरी ओर एक दिसंबर को ही दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस के बाहर पटेल चेस्ट से पास में दो छात्र संगठनों के बीच झड़प हो गई। गौरतलब है कि गुरुवार की शाम प्रोफेसर जीएन साईबाबा की रिहाई को लेकर "कैम्पेन अगेस्ट स्टेट रिपरेशन" के बैनर तले 36 संगठन एक विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। इनकी मांग की थी कि प्रोफेसर साईबाबा की रिहाई की जाए। इस विरोध प्रदर्शन में मजदूरों और किसान संगठन के लोगों ने भी हिस्सा लिया।
इसी विरोध प्रदर्शन में शामिल बीसीईएम की सदस्य संगीता गीत ने द मूकनायक से बात करते हुए बताया कि सारा कार्यक्रम खत्म हो गया था। इसी दौरान सभी लोग चाय पी रहे थे और विरोध के गाने का रहे थे। कुछ लोग पर्चा बांट रहे थे। उन्होंने यह पर्चा एबीवीपी के कुछ लोगों को भी दिया जिसे वह नहीं जानते थे। उसने इसे पकड़ा और मरोड़ते हुए अपशब्द कहने लगा। लेकिन हमारे लोगों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन कुछ देर के बाद 50-60 लोग हाथ में लाठी लेकर आ गए। पहले उन लोगों ने हम पर टमाटर फेंक, फिर अंडे और बाद में पत्थर और लाठी से मारा। जिसमें कुछ लोगों को चोट लग गई। यह सारा काम डीयू के नॉर्थ कैंपस के कॉलेज स्टूडेंट ने किया हैं।
इस घटना के बारे में द मूकनायक ने एबवीपी के प्रदेश अध्यक्ष अक्षित दहिया से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने इस पर कुछ भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।
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