बिहार: RSS कार्यकर्ता के भतीजे की जेल में हालत बिगड़ने के बाद हुई मौत, पुलिस पर गंभीर आरोप!

बिहार: RSS कार्यकर्ता के भतीजे की जेल में हालत बिगड़ने के बाद हुई मौत, पुलिस पर गंभीर आरोप!
Published on

उत्तर प्रदेश। गौतमबुद्धनगर पुलिस द्वारा RSS कार्यकर्ता के नाबालिग भतीजे को चाकू बरामदगी में जेल भेजा था। एक सप्ताह जेल में रहने के बाद RSS कार्यकर्ता के भतीजे की अचानक हालत बिगड़ गई। जेल पुलिस ने युवक को अस्पताल में भर्ती कराया। 24 घण्टे अस्पताल में भर्ती रहने के बाद युवक ने दम तोड़ दिया। परिजनों का आरोप है पुलिस ने उसे जबरन उठा लिया। थाने में ले जाकर उसकी पिटाई की और जबरन जुर्म इकरार करवाया। इसके बाद उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया था। जिसके बाद उसकी हालत बिगड़ गई थी। वहीं इस मामले में थाना प्रभारी ने सभी आरोपों को खारिज किया है।

जनिये क्या है पूरा मामला?

बिहार के सारण (छपरा) जिले में अमनौर क्षेत्र के गरखा निवासी अजय सिंह बताते हैं, "मेरे भाई विजय सिंह का नाबालिग बेटा सुमित कुमार (17) दिल्ली के न्यू अशोक नगर में रहकर पढ़ाई कर रहा था। 12 अप्रैल की शाम चार बजे वह घूमने निकला था, जिसके बाद वह घर नहीं लौटा। हमने उसकी तलाश की लेकिन वह नहीं लौटा। 13 अप्रैल को जानकारी मिली की गौतमबुद्धनगर की फेज-1 पुलिस ने चाकू बरामदगी में गिरफ्तार किया है। जिसके बाद हम थाने पहुंचे। वह काफी डरा हुआ था। उसकी हालत भी ठीक नहीं लग रही थी। उसे देखकर लग रहा था कि उसकी पिटाई की गई है। इसके बाद पुलिस ने उसे जेल भेज दिया था।

अजय सिंह
अजय सिंह

विजय सिंह बताते हैं, "मेरा बेटा बिल्कुल निर्दोष था। उसने कभी कोई अपराध नहीं किया था। उसे पुलिस जबरन पकड़कर ले गई थी। पुलिस ने उसकी उम्र 21 साल दिखाई है जबकि उसकी उम्र महज 17 साल थी। हम उच्चाधिकारियों के दफ्तर के चक्कर लगाते रहे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। हम उसकी जमानत के प्रयास करने लगे। 21 अप्रैल को उसकी जमानत की व्यवस्था हो गई थी। छुट्टी होने के कारण जमानत 24 को ऑर्डर लेकर जेल जाने की सोची थी। लेकिन शाम को फोन आया कि उसकी मौत हो चुकी है। हमने कारण पूछा तो नहीं बताया गया। अस्पताल जाने पर हैपेटाइटिस बी की बीमारी के कारण मौत होना बताया गया।"

जानकारी के मुताबिक जिला कारागार से युवक को 20 अप्रैल को राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद उसे एसवीबीपी मेडिकल कालेज मेरठ ले जाया गया। 21 को उसकी मौत हो गई। वहीं मजिस्ट्रेट ने भी कोई आपराधिक इतिहास न मिलने पर युवक की जमानत 20 हजार के मुचलके पर मंजूर कर ली थी।

उम्र को लेकर हुआ विवाद, देरी से हुआ पोस्टमार्टम

अजय सिंह बताते हैं, "पुलिस ने सुमित की उम्र 21 वर्ष दिखाई थी। जबकि उसकी उम्र महज 17 साल है। उसका आधार कार्ड भी मौजूद है। वहीं उसके पोस्टमार्टम के अभिलेख में उसकी उम्र 21 साल दर्शायी जा रही थी। यह हमें नामंजूर थी। अतः हमने इसकी शिकायत जिलाधिकारी से की और पोस्टमार्टम कराने से इनकार कर दिया। जिसके बाद उसका 23 अप्रैल को पोस्टमार्टम हुआ था।"

"हमने पूरे मामले की शिकायत सीएम योगी आदित्यनाथ के जनसुनवाई पोर्टल पर की है। हम सीएम से मिलकर इसकी शिकायत और कार्रवाई की मांग भी करेंगे", अजय ने बताया।

क्या कहते हैं जिम्मेदार अफसर?

इस मामले में थाना प्रभारी फेज-1 का कहना है कि युवक को चाकू बरामदगी में गिरफ्तार किया गया था। उसे जेल भेज दिया गया था। उसकी जेल में तबीयत खराब हुई तो उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था जिसके बाद उसकी मौत हो गई। परिजनों द्वारा लगाए गए आरोप निराधार हैं। युवक के परिजनों ने उसकी जमानत भी बालिग कोर्ट से कराई थी। उन्होंने उसके नाबालिग होने का कोई प्रमाण कोर्ट में भी नहीं दिखाया था।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com