कोलकाता। पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पतालों के प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों ने मंगलवार को आरोप लगाया कि आरजी कर अस्पताल में उनकी सहकर्मी की हत्या एवं बलात्कार मामले में सीबीआई की ओर से दायर चार्जशीट में कई खामियां हैं।
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जूनियर डॉक्टरों के संगठन 'पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट' (डब्ल्यूबीजेडीएफ) ने फोरेंसिक जांच के लिए अपराध स्थल से नमूने भेजने में ज्यादा देरी होने का दावा करते हुए जवाब मांगा है।
प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधि ने चार्जशीट में महत्वपूर्ण मुद्दों पर जवाबों की कथित कमी का जिक्र करते हुए पूछा, "सबूत एकत्र करने की तिथि से लेकर फोरेंसिक जांच के लिए भेजने में पांच दिन क्यों लगे?"
आंदोलनकारी डॉक्टरों ने मुख्य आरोपी संजय रॉय के खिलाफ पिछले महीने दायर एजेंसी के पहले आरोपों पर सवाल उठाए हैं। 11 नवंबर को सीबीआई की विशेष अदालत में सुनवाई होनी है।
सोमवार को कोलकाता की विशेष अदालत में मामले में आरोप तय करने की प्रक्रिया पूरी हो गई।
डब्ल्यूबीजेडीएफ ने यह भी आरोप लगाया कि चार्जशीट में 9 अगस्त को सुबह 3.36 बजे से 4.03 बजे के बीच 27 मिनट की अवधि के दौरान आरोपी संजय रॉय की गतिविधियों के बारे में कोई विवरण नहीं दिया गया है। बता दें कि 9 अगस्त की तड़के पीड़िता का शव आरजी कर अस्पताल परिसर में सेमिनार हॉल से बरामद किया गया था।
यह भी आरोप लगाया कि चार्जशीट में पीड़िता के शरीर पर पाए गए 'स्टिकी व्हाइट फ्लूइड' के बारे में कुछ भी जिक्र नहीं किया गया है। डब्ल्यूबीजेडीएफ ने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में तरल पदार्थ (फ्लूइड) के होने का जिक्र किया गया था, लेकिन सीबीआई की चार्जशीट में यह नहीं बताया गया है कि इसे डीएनए टेस्ट के लिए भेजा गया था या नहीं।
डब्ल्यूबीजेडीएफ ने दावा किया कि सीबीआई की ओर से दायर पहली चार्जशीट कोलकाता पुलिस के निष्कर्षों पर आधारित लगती है। कलकत्ता हाईकोर्ट की ओर से मामला एजेंसी को सौंपे जाने से पहले कोलकाता पुलिस ने इसकी शुरुआती जांच की थी।
हजारों आम लोगों के साथ डब्ल्यूबीजेडीएफ के प्रतिनिधि पीड़िता के लिए जल्द न्याय की मांग को लेकर कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में सीबीआई के साल्ट लेक कार्यालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
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