पटना। बिहार की राजधानी पटना में अर्थ जर्नलिस्म नेटवर्क द्वारा 15 से 17 सितम्बर तक तीन दिवसीय रिन्यूअल इनर्जी की कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें बिहार सहित देश के कई राज्यों के भिन्न-भिन्न मीडिया संस्थानों के पत्रकारों, स्वतंत्र पत्रकारों ने भाग लिया। अर्थ जर्नलिस्म नेटवर्क की ओर से उपस्थित जॉयदीप गुप्ता द्वारा कार्यशाला में आये लोगों का स्वागत किया गया. रिन्यूअल इनर्जी की इस कार्यशाला में बिहार राज्य में नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और सौर ऊर्जा पर सरकार की मौजूदा तैयारियों पर बिहार नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी (Bihar Renewable Energy Development Agency— BREDA) के विद्युत अधीक्षण अभियंता खगेश चौधरी ने जानकारी दी।
इजेएन कार्यशाला के दौरान जॉयदीप गुप्ता ने प्रोजेक्टर के माध्यम से जानकारी दी कि कैसे कोयले से स्वच्छ ऊर्जा की ओर बदलाव से भारत सालाना 19.5 बिलियन डॉलर बचा सकता है। उन्होंने बताया कि, अनुमान है कि, वित्तीय वर्ष 2024 में लगभग 4 गीगावाट की रूफटॉप सौर ऊर्जा की अब तक की सबसे बड़ी स्थापना देखी जाएगी। इसमें से 2GW अप्रैल और जुलाई 2023 के बीच पहले ही स्थापित किया जा चुका है।
गुप्ता के अनुसार, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) अपनी रूफटॉप सोलर ऊर्जा से निर्बाध पर्याप्त ऊर्जा अपने व्यापार संसाधनों के उपयोग में ले सकते हैं. इस जहां विश्व के तमाम देश सौर ऊर्जा संसाधनों के निर्माण और उसके उपयोग को बढ़ावा दे रहे हैं, वहीं भारत में लोगों के बीच, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों के लघु, मध्यम उद्यमियों के बीच इसकी जागरूकता में कमी देखी गई है।
जेएमके रिसर्च- आईईईएफए के विश्लेषण के अनुसार, गुजरात, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली में रुफटॉप सोलर परियोजनाएं स्थापित करने के लिए सबसे अनुकूल पारिस्थितिकी तंत्र हैं। लेकिन तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य अपने उच्च-भुगतान करने वाले उपभोक्ताओं को रुफटॉप सौर-आधारित संसाधनों को अपनाने में लोगों की जागरूकता बढ़ाने में खास दिलचस्पी नहीं दिखाई हैं।
वर्कशॉप के दौरान डायग्राम द्वारा जॉयदीप गुप्ता ने समझाया कि, भारत में जीवाश्म ईंधन, रिन्यूअल इनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के लिए सब्सिडी वित्त वर्ष 22 में कुल 2.25 लाख करोड़ रुपये (30 बिलियन अमेरिकी डॉलर) थी।
सब्सिडी के अलावा, हम सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू, जिन्हें राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों के रूप में भी जाना जाता है) द्वारा पूंजीगत व्यय (1.5 लाख करोड़ रुपये, या 20 अरब अमेरिकी डॉलर) और सार्वजनिक वित्त संस्थानों द्वारा उधार (1.3 लाख करोड़ रुपये, 18 अरब अमेरिकी डॉलर) का अनुमान लगाते हैं।
कुल मिलाकर, वित्त वर्ष 2022 में समर्थन के इन तीन रूपों की कुल राशि कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये (68 बिलियन अमेरिकी डॉलर) थी।
स्वच्छ ऊर्जा समर्थन पर सकारात्मक खबरों के बावजूद, वित्त वर्ष 22 में जीवाश्म ईंधन के लिए सब्सिडी स्वच्छ ऊर्जा के लिए सब्सिडी की तुलना में चार गुना अधिक रही। कोयला, जीवाश्म गैस और तेल के लिए सब्सिडी कुल 60,316 करोड़ रुपये (8.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर) थी और वित्त वर्ष 2014-22 के बीच 76% की गिरावट आई है।
लेकिन वे नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए 13,887 करोड़ रुपये (1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर) की सब्सिडी से चार गुना से भी अधिक पर बने हुए हैं।
ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर के नए शोध के अनुसार, भारत ने 2025 तक 76 गीगावाट (जीडब्ल्यू) उपयोगिता-स्तरीय सौर और पवन ऊर्जा जोड़ने की योजना बनाई है, जिससे कोयला जलाने की तुलना में प्रति वर्ष 19.5 बिलियन डॉलर (INR 1,588 बिलियन) की बचत होगी।
यदि भारत अपनी सभी नियोजित उपयोगिता-पैमाने की सौर और पवन परियोजनाओं को पटरी पर लाता है तो इसकी लागत लगभग 51 बिलियन अमेरिकी डॉलर होगी। लेकिन प्रत्यक्ष ईंधन लागत में 19.5 बिलियन डॉलर की वार्षिक बचत के साथ, भारत केवल ढाई वर्षों में इसका भुगतान कर सकता है।
रुफटॉप सोलर पवार सिस्टम एक फोटोवोल्टिक (पीवी) प्रणाली है जिसमें बिजली पैदा करने वाले सौर पैनल किसी आवासीय या कामर्शियल भवन या संरचना की छत पर लगे होते हैं। ऐसी प्रणाली के विभिन्न घटकों में फोटोवोल्टिक मॉड्यूल, माउंटिंग सिस्टम, केबल, सौर इनवर्टर और अन्य विद्युत सहायक उपकरण शामिल हैं।
रूफटॉप माउंटेड सिस्टम मेगावाट रेंज में क्षमता वाले उपयोगिता-पैमाने के सौर ग्राउंड-माउंटेड फोटोवोल्टिक पावर स्टेशनों की तुलना में छोटे होते हैं. अधिकांश रूफटॉप पीवी स्टेशन ग्रिड से जुड़े फोटोवोल्टिक पावर सिस्टम हैं।
आवासीय भवनों पर रूफटॉप पीवी सिस्टम की क्षमता आम तौर पर लगभग 5-20 किलोवाट (किलोवाट) होती है, जबकि वाणिज्यिक भवनों पर लगे सिस्टम अक्सर 100 किलोवाट से 1 मेगावाट तक पहुंच जाते हैं। बहुत बड़ी रूफटॉप पर 1-10 मेगावाट की सीमा में औद्योगिक पैमाने के पीवी सिस्टम रखे जा सकते हैं।
रिन्यूअल इनर्जी कार्यशाला के पहले दिन उपस्थित विश्व बैंक के लिए काम करने वाले एनर्जी स्पेशलिस्ट विवेक झा ने भारत में नवीकरणीय ऊर्जा की मौजूदा स्थिति और संभावनाओं का उल्लेख किया। डायग्राम चित्रों के माध्यम से विवेक झा ने बताया कि ऊर्जा स्रोतों के बारे में लोगों की कई गलतफहमियां होती हैं.
उन्होंने बताया कि ऊर्जा दक्षता पहले आती है, फिर मांग का विद्युतीकरण होता है.
उन्होंने बताया कि, कोयला वर्तमान में भारत की प्राथमिक ऊर्जा मांग का 45 प्रतिशत पूरा करता है, इसके बाद पेट्रोलियम से 25 प्रतिशत, पारंपरिक बायोमास से 20 प्रतिशत, प्राकृतिक गैस से 6 प्रतिशत, नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) से 3 प्रतिशत और परमाणु ऊर्जा से 1 प्रतिशत की पूर्ति होती है।
2070 तक नेट-जीरो तक पहुंचने के लिए, प्राथमिक ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी को मौजूदा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 76 प्रतिशत करने की आवश्यकता होगी, और 2070 तक सौर और पवन क्षमता का लगभग दो-तिहाई उपयोग बिजली उत्पन्न करने के लिए किया जाएगा, जबकि एक तिहाई हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने के लिए किया जाएगा।
एनर्जी स्पेशलिस्ट विवेक झा ने समझाया कि कैसे आने वाले समय में नवीकरणीय ऊर्जा लोगों बहुत उपयोगी हो सकती है, साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा के मामले में वैश्विक परिदृश्य क्या हैं?
नवीकरणीय ऊर्जा बाज़ारों को मुख्यधारा में लाने की जरुरत
नवीकरणीय ऊर्जा एकीकरण के लिए ग्रिड लचीलेपन और भंडारण की आवश्यकता होती है जो कमजोर नवीकरणीय ऊर्जा द्वारा प्रदान नहीं किया जा सकता है. इसकी प्रेषण क्षमता, लोड की चौबीसों घंटे सर्विसिंग और यह आपूर्ति के बाद लोड को बाधित करता है।
आरई परिनियोजन के लिए सीमित बाजार-आधारित विकल्प हैं.
डिस्कॉम सबसे बड़े खरीदार हैं और मौजूदा पीपीए और सख्त लाभ मार्जिन के साथ नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल करने के लिए उनके पास सीमित बैंडविड्थ है।
नवीकरणीय ऊर्जा (आरई) के लिए लघु और मध्यम पीपीए के लिए कोई बाजार नहीं हैं.
आरई उत्पन्न करने और उपभोग करने के लिए उपभोक्ताओं के लिए प्रोत्साहन का अभाव है.
क्रॉस सब्सिडी सरचार्ज सहित ओपन एक्सेस शुल्क, ओपन एक्सेस उपभोक्ताओं के उठान को सीमित करते हैं.
आरई कार्यशाला में यूएन एन्वायरॉनमेंट प्रोग्राम (यूएनईपी) बैंकॉक में कार्यरत परिमिता मोहंती (Parimita Mohanty) ने नवीकरणीय ऊर्जा, महिला उद्यमिता और जलवायु पर प्रकाश डाला। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि जलवायु परिवर्तन और महामारी से उबरने के लिए महिला ऊर्जा उद्यमिता कार्यक्रम के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाना क्यों जरुरी है. उन्होंने हाल ही में विश्व्यापी कोविड महामारी के दौरान पैदा हुई मुश्किलों से अवगत कराया। उनका मानना है कि कोविड-19 के बाद भी महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण को सुनिश्चित करने पर बहुत कम काम हुआ है.
उन्होंने बताया कि, महिलाओं, जलवायु-संवेदनशील और हाशिए पर रहने वाले समूहों की ऊर्जा आवश्यकताओं को उपराष्ट्रीय ऊर्जा योजना (subnational energy planning) में प्रतिबिंबित करने की आवश्यकता है. विकेंद्रीकृत नवीकरणीय ऊर्जा को आजीविका की एक श्रृंखला में लागू करने से लचीलापन बनाने, अनुकूल क्षमता बढ़ाने और बेहतर निर्माण में मदद मिल सकती है.
परिमिता मोहंती (Parimita Mohanty) ने डायग्राम चित्रों द्वारा नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के उपयोग से महिलाओं के स्वरोजगार और पहले से उद्यम कर रहीं महिलाओं की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए आरई संसाधनों के उपयोग का उल्लेख किया।
अमेरिका स्थित हस्क पावर सिस्टम द्वारा विकसित सौर मिनी ग्रिड के यूनिट्स की उपलब्धता से बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में सौर ऊर्जा की मांग बढ़ गई है. आरई कार्यशाला पटना में उपस्थित रहे हस्क पावर सिस्टम इंडिया के निदेशक सौगत दत्ता (Saugata Datta) ने बताया कि कैसे सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यम (एमएसएमई) सौर मिनी-ग्रिड ऊर्जा से आय बढ़ा रहे हैं.
उन्होंने बताया कि यूपी और बिहार में 160 यूनिट सोलर मिनी ग्रिड स्थापित किए गए हैं। बिहार में हस्क पावर सिस्टम की लगभग 80 यूनिट सौर मिनी ग्रिड स्थापित। यह ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे उद्यमियों के बीच शुद्ध और निर्बाध ऊर्जा के रूप में लोकप्रिय हो रही है.
उन्होंने हस्क पावर द्वारा निर्मित सौर मिनीग्रिड ऊर्जा की उपयोगिता और उसके उद्देश्यों के बारे में बताया कि, ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को चौबीसों घंटे स्वच्छ बिजली प्रदान करके, हस्क का लक्ष्य लाखों व्यवसायों और परिवारों को लाभ पहुंचाना और डीजल उत्पादन से 700 मिलियन गैलन के बराबर CO2 (कार्बन डाई ऑक्साइड) से बचना है।
ग्रामीण क्षेत्रों के वह उद्यमी जिनका व्यापर बिजली पर निर्भर है उसके लिए निर्बाध बिजली उपलब्धता, ग्रामीण स्तरीय महिला उद्यमी और बिजली के उपयोग से खेती करने वाले किसानों के बीच सोलर इनर्जी की इस तकनीकी को पहुंचाना हस्क पवार सिस्टम का रोड मैप है.
अब तक की सफलता में:
900 महिला VLE ग्राहक जुड़ीं
महिला VLE पर अधिक ट्रैफ़िक लाने के लिए मार्केटिंग, ब्रांडिंग और दृश्यता समर्थन किया जा रहा
व्यवसाय वृद्धि को समर्थन देने के लिए ग्राहक सेवाओं/अनुभव और बहीखाता पर प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा
वैयक्तिकृत साइन बोर्ड उपलब्ध कराये गए, जिसने महिला व्यवसाय मालिकों को ब्रांड एंबेसडर के रूप में चित्रित किया गया.
पटना में आयोजित 3 दिवसीय अर्थ जर्नलिस्म नेटवर्क की कार्यशाला के अंतिम दिन नवीकरणीय ऊर्जा पर मोबाइल से रिपोर्टिंग के टिप्स बताए गए। पत्रकार और ट्रेनर मैनन वर्कोट (Manon Verchot) और सेन्सी बिस्वास (Sanshey Biswas) ने कार्यशाला में आए पत्रकारों को रिन्यूअल इनर्जी की रिपोर्टिंग के दौरान फोटो क्लिक करने की बारीकियों, वीडियो शूट करने के तरीके, गूगल अर्थ से विजुअल बनाने, मोबाइल से वीडियो एडिटिंग करने वाले एप्लीकेशन, वीडियो रिकार्डिंग के लिए उपयोगी वीडियो रिकार्डिंग एप्लीकेशन आदि की जानकारी दी।
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