भारतीय रिजर्व बैंक (RBI ) ने शुक्रवार को 2,000 रुपए की मुद्रा के प्रचलन पर रोक लगा दी है. 2016 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने काले धन के खिलाफ लड़ाई को वजह बताते हुए 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोटों का डेमोनेटाइज़ेशन किया था. जिसके बाद नए 200, 500 और 2000 रुपये के नोटों का संचालन शुरू किया था.
आरबीआई ने कहा कि 2,000 रुपये के नोट वैध मुद्रा बने हुए हैं, और उन्हें 30 सितंबर, 2023 तक या तो बैंक खातों में जमा किया जा सकता है या छोटे मूल्यवर्ग में बदला जा सकता है. साथ ही बैंकों को निर्धारित तिथि तक 2,000 रुपये के नोटों को जमा करने या बदलने के आदेश दिए गए हैं.
एक समय में 20,000 रुपये की सीमा तक 2,000 रुपये के नोटों के आदान-प्रदान की सुविधा आरबीआई के 19 क्षेत्रीय कार्यालयों (आरओ) में प्रदान की जाएगी, जिसको विभाग 23 मई से जारी करेंगे.
आरबीआई ने बैंकों को तुरंत प्रभाव से 2,000 रुपये के नोट जारी करने से रोकने की सलाह देते हुए एक बयान में कहा, "20,000 रुपये तक के 2,000 रुपये के नोटों को एक बार में बदलने की सुविधा 23 मई से उपलब्ध होगी."
द मूकनायक ने बैंकिंग सेक्टर में काम कर रहे मानवेन्द्रे प्रताप सिंह से इस बारे में और जानकारी प्राप्त की. उनका कहना है कि, "2,000 रुपये के नोटों का प्रोडक्शन सरकार द्वारा बंद किया जा रहा है, लोगों को सितम्बर तक का वक़्त दिया गया है. नियम के अनुसार 15 साल से पहले करेंसी को डेमॉनेटाइज़ या उसके संचालन पर रोक नहीं लगाई जा सकती लेकिन यहाँ बैंकों को आरबीआई के निर्देश पालन करने होते हैं और यह निर्देश भी एक तहत प्रक्रिया के मिनिस्ट्री से पास किए जाते हैं."
नवंबर 2016 में 1,000 रुपये और 500 रुपये के पुराने नोटों के विमुद्रीकरण के बाद 2,000 रुपये मूल्यवर्ग के करेंसी नोट पेश किए गए थे. भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, 2,000 रुपये के बैंकनोटों को पेश करने का उद्देश्य तब पूरा हुआ जब अन्य मूल्यवर्ग में मुद्रा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो गई. इस तरह, 2018-19 में 2,000 रुपये के नोटों की छपाई पहले ही बंद कर दी गई थी.
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