नई दिल्ली। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार के समाज कल्याण मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम को मंगलवार को पहाड़गंज पुलिस ने पूछताछ के लिए बुलाया। यह पूछताछ पांच अक्टूबर को बौद्ध दीक्षा कार्यक्रम में डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दी गई 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराने के लिए हुई है। पहाड़गंज पुलिस स्टेशन में दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर मंत्री को पूछताछ के लिए बुलाया गया था, जिसमें कहा गया था कि उक्त कार्यक्रम में हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया गया था।
अपने साथ लाएं 22 प्रतिज्ञाएं
गत मंगलवार दोपहर 12 बजे पुलिस द्वारा एक नोटिस जारी कर राजेन्द्र पाल गौतम को पहाड़गंज पुलिस स्टेशन बुलाया गया। दोपहर दो बजे के बाद मंत्री के साथ कुछ वकील पुलिस स्टेशन पहुंचे। जहां उन्होंने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मैं अपने साथ वह 22 प्रतिज्ञाओं की प्रतियां भी लाया हूं, जो केंद्र सरकार द्वारा छापी जाती हैं। मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है। अगर मैं गलत हूं तो यह प्रतियां केंद्र सरकार द्वारा क्यों छापी जा रही हैं। साथ ही कहा कि पुलिस द्वारा नोटिस जारी कर मुझे बुलाया गया। इसलिए आया हूं क्योंकि हमलोग संविधान प्रिय इंसान है। संविधान के अनुसार जो सही होगा। वही करुंगा।
चार घंटे तक पुलिस स्टेशन में रखा गया
लगभग चार घंटे तक मंत्री को पुलिस स्टेशन में बैठाकर रखा गया। जहां उनसे 22 प्रतिज्ञाओं के बारे में पूछा गया। बाहर निकलने के बाद उन्होंने बताया कि पहले तो बिना एफआईआर के मुझे इतनी देर बैठाकर रखा गया, जिसका कोई मतलब नहीं था। दूसरा मुझे पुलिस द्वारा पूछा गया कि आज 21वीं सदी में 22 प्रतिज्ञाएं प्रासंगिक है। जिसके जवाब में मंत्री ने कहा कि आज दलितों के साथ क्या हो रहा, पूरा देश देख रहा है। घड़े से पानी पी लेने पर बच्चे की पीट-पीटकर हत्या कर दी जाती है, दलित आईपीएस ऑफिसर को अपनी शादी में घोड़ी पर बारात निकालने के लिए पुलिस की फौजी बुलानी पड़ती है। दलित बहन बेटियों के साथ आज भी बलात्कार हो रहे हैं। जब ये सारी चीजें जाति के आधार पर मौजूद हैं तो ऐसे में 22 प्रतिज्ञाओं का होना प्रासंगिक क्यों नहीं है!
बिना एफआईआर के पुलिस स्टेशन बुलाना अवैध है!
द मूकनायक के साथ पूरे घटनाक्रम पर बात करते हुए मंत्री ने कहा कि चार घंटे सिर्फ बैठाकर रखा गया। उनका कहना था कि पुलिस द्वारा जारी की गई नोटिस अवैध थी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार बिना एफआईआर के किसी भी व्यक्ति को पुलिस पूछताछ के लिए नहीं बुला सकती है। पुलिस ने बुलाया तो मैं वहां गया। मुझसे अपनी सफाई पूछी गई। मैंने अपनी बात रख दी। उसके बाद मुझसे कहा कि डीसीपी अब इस पर बात करेंगे।
भाजपा पर निशाना साधते हुए मंत्री कहते हैं कि शायद वह भाजपा के मुख्यालय गए हो। शायद वहीं से उनको सवाल दिए गए हो, जिसमें एक सवाल 22 प्रतिज्ञाओं को प्रसांगिकता पर पूछा गया था।
आगे की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर रजिंदर पाल गौतम कहते है कि, "मैं चाहता हूं कि पुलिस बीजेपी के इशारे पर मुकदमा दर्ज करे और पुलिस जल्द से जल्द मुझे गिरफ्तार करे, जिसके लिए मैं उन्हें मिठाई भेजूंगा। ताकि उन्हें पता चले कि जातिवाद, छुआछूत आज भी भारत में गंभीर मुद्दा है। यहां तक की आज भी हमारे लोगों के साथ अमानवीय तरीकों से उत्पीड़न किया जाता है। यह मुद्दा पूरे दुनिया तक जाना चाहिए। इसके लिए मैं किसी भी कुर्बानी के लिए तैयार हूं।"
मोहन भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया
कुछ दिन पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के वर्ण व्यवस्था और जातिवाद को खत्म कर देने वाले बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते राजेन्द्र पाल गौतम ने कहा कि मैं इस बयान का स्वागत करता हूं, लेकिन हमलोग चाहते है कि मोहन भागवत अपने आरएसएस के लोगों को कहे कि मंदिरों और अन्य जगहों पर होने वाले जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न पर काम करेंगे। क्योंकि सिर्फ कह देने से यह खत्म नहीं हो जाएगा। इसके लिए काम भी करना होगा।
आपको बता दें कि, पांच अक्टूबर को अशोक विजयदशमीं के दिन दिल्ली के अंबेडकर भवन में लगभग 10 हजार लोगों ने बौद्ध धम्म दीक्षा ली थी। जिसमें डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दी गई 22 प्रतिज्ञाओं को राजरत्न आंबेडकर द्वारा दोहराया गया। इस वीडियो को पूर्वी दिल्ली के सांसद मनोज तिवारी ने ट्वीट कर कहा कि आप के मंत्री हिंदू देवी देवताओं का अपमान कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर यह वीडियो वायरल हो गया। जिसका नतीजा यह हुई कि मंत्री राजेन्द्र पाल गौतम को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा।
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