भारतीय जनता पार्टी व राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ समाज में जाति का जो ढांचा है, उसकी रक्षा करते हैं और वे चाहते हैं कि हिंदुस्तान से जाति कभी मिटे नहीं। यही उनकी लड़ाई है। कांग्रेस की लड़ाई सब को अधिकार देकर भारत की धन सम्पदा व संसाधनों को सबको बराबर बांटना है। इसके साथ ही संविधान की रक्षा कर लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाना व धार्मिक सद्भाव को बढ़ावा देना है। यह विचार कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा के दौरान गत 26 नवम्बर को द मूकनायक फाउंडर व एडिटर इन चीफ मीना कोटवाल से साक्षात्कार के दौरान व्यक्त किए।
भारत जोड़ो यात्रा कन्याकुमारी से कश्मीर तक की वो यात्रा है, जिसमें राहुल गांधी के साथ तमाम बड़े-छोटे नेताओं के साथ लाखों की संख्या में लोग जुड़ रहे हैं। राहुल का दावा है कि वे भारत के हर एक व्यक्ति को प्यार से जोड़ने के लिए निकले हैं। उन्होंने बेबाकी से तमाम सवालों के जवाब दिए। पेश है साक्षात्कार के महत्वपूर्ण अंशः.
भारत जोड़ो यात्रा क्या है, इसका लक्ष्य या उद्देश्य क्या है?
भारत का जो संस्थागत ढांचा है। उसकी नींव संविधान है, संविधान में से बाकी संस्थाएं निकलती हैं। ज्यूडिशियरी निकलती है, ब्यूरोक्रेसी निकलती है, प्रेस निकलती है, सब संस्थाएं और सब इंस्टीटयूशन निकलते हैं। आज सब को आरएसएस और बीजेपी ने कैप्चर कर लिया है। विपक्षी पार्टी का कोई भी अपनी बात रखना चाहे तो पूरा का पूरा ढांचा बंद है। उसमें आप विपक्ष की बात नहीं उठा सकते। आज हम अगर लोकसभा में कोई मुद्दा उठाना चाहे। वो किसानों का मुद्दा हो, नोटबंदी हो, जीएसटी हो, चाइना की बात हो तो वो कोई भी मुद्दा उठाने नहीं देते है। माइक ऑफ कर देते हैं। इसका हमें रास्ता यही दिखा कि जनता के बीच जाकर सीधा जनता से सम्पर्क और बात करें। इसी लिए भारत जोड़ो यात्रा की जा रही है।
इसके अलावा जो डर फैलाया जा रहा है। लोगों को डरा कर, बांट कर और पॉलिसीज के माध्यम से। उस डर, हिंसा व नफरत के खिलाफ हमने ये यात्रा निकाली है। यात्रा का दूसरा लक्ष्य बेरोजगारी, गरीबी व महंगाई के खिलाफ खड़ा होना भी है।
आज संविधान दिवस है, क्या आप को लगता है देश में आज भी संविधान लागू है, इसकी मान्यता बाकी है?
अगर हम संविधान को जीवित रखना चाहते है तो संविधान की रक्षा होनी चाहिए। संविधान की रक्षा एक तरफ जनता करती है, दूसरी तरफ संवैधानिक संस्थाएं करती हैं। हमारी विधानसभाएं, लोकसभा करती है, ज्यूडिसीयरी करती है, प्रेस करती है। ये जो सब संस्थाएं हैं। ये वो काम नहीं कर रही हैं। सचमुच में संविधान अब नाम के वास्ते है। यह प्रभावी तौर से काम नहीं कर रहा है।
ज्यूडीशरी की बात करें तो आज वहां दलित, आदिवासी, पिछड़े व अल्पसंख्यकों की उपस्थिति नहीं के बराबर है। इसके क्या कारण है?
यह राजनैतिक लड़ाई है। आज उनकी तरफ सरकार के सभी अंग है। वहीं गरीबों की तरफ— दलित, आदिवासी, पिछड़ों व अल्पसंख्यकों की आवाज है, लेकिन यह आवाज बिखरी हुई है। इन आवाजों को व्यवस्थित करने के लिए ही यह भारत जोड़ो यात्रा निकाली जा रही है। लोगों से बात करना, उनके दिल में जो बात है उसको समझना, उनको एक साथ एक प्लेटफार्म पर लाना ही उद्देश्य है। आप देखें यात्रा में शामिल लोगों में आप को कोई नफरत नहीं दिखेगी, यहां कोई एक दूसरे की जात-धर्म नहीं पूछता, स्त्री-पुरुष, बच्चे-बुजुर्ग का सवाल नहीं पूछता। यात्रा सब के लिए है, सब शामिल हो रहे है। यही भारत है। ऐसा ही भारत हमें चाहिए।
देश में आज हिंदू-हिंदुत्व की लड़ाई चल रही है, उसमें दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक अपने आप को कहां देखें?
हिंदुस्तान में असली लड़ाई गरीब व तीन-चार बड़े उद्योगपतियों के बीच में है। असली लड़ाई धन की है। हिंदुस्तान की जनता का धन किस तरीके से बांटा जा रहा है। यह असली लड़ाई है। आज जनता का धन कुछ चुनिंदा लोगों को दिया जा रहा है। इस लड़ाई में दलित, आदिवासी, पिछड़े और अल्पसंख्यक सब की जगह है।
कॉलेजियम के चलते ज्यूडिशियरी में आज एक ही तबके के लोग हैं, इसपर आप का क्या कहना है?
देखिए, मैं सिर्फ ज्यूडिशियरी की बात नहीं करूंगा। भारत के सारे के सारे इंस्टीट्यूशन चाहे वो ज्यूडिशियरी हो, प्रेस हो। इन सब में आरएसएस ने अपने चुने हुए लोग एक.एक कर भरे हैं। ये सिर्फ ज्यूडिशियरी में नहीं हो रहा है। ये संविधान पर आक्रमण है। ज्यूडिशियरी व ब्यूरोक्रेसी संविधान की बनाई संस्थाएं हैं। ये किसी संगठन या आरएसएस की नहीं है। ये संस्थाएं भारत की जनता की है। ये प्रेस भी भारत की जनता की है। किसी एक व्यक्ति या मोदी-शाह या आरएसएस की नहीं है। स्थिति ये है कि भारत की जनता की रक्षा करने की जो व्यवस्था या ढांचा है। उसको एक संगठन ने पकड़ या अगवा कर लिया है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने हाल में आप की तारीफ की है। इसपर आप की क्या प्रतिक्रिया है?
आरएसएस को तारीफ करनी पड़ेगी, क्योंकि भारत जोड़ो यात्रा को जनता देख रही है। वो उनसे सवाल पूछेगी। आरएसए व बीजेपी जानती है कि कांग्रेस वो पार्टी है जो इनके खिलाफ लड़ती है।
आप ने आदिवासियों को हाल ही में देश का मालिक बताया था, लेकिन छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार है और आदिवासी वहां जल-जंगल-जमीन के लिए लड़ रहे है?
आदिवासी देश के ऑरिजनल मालिक है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हमारे साथ है। मेरे से बेहतर जवाब ये दे पाएंगे। आगे भूपेश बघेल ने कहा- देखिए सबसे पहली बात है कि जल-जंगल और जमीन पर आदिवासियों का सबसे पहला हक है। यह हक उनको स्वाभाविक रूप से मिला हुआ है। उन्होंने आगे आकर कभी इसका दावा नहीं किया है, जिस तरीके से हमारे बाप-दादाओं ने भूमि को अपने नाम कराया। आदिवासियों ने नहीं कराया। इसलिए कांग्रेस सरकार ऐसे एक्ट लेकर आई, जिससे साढ़े 4 लाख आदिवासियों को जमीनों के पट्टे व अधिकारिता पत्र दिए गए। पहली बार ऐसी व्यवस्था हुई कि पूरे देश में वन उपज की खरीदी की व्यवस्था की गई। आदिवासियों को लोन दिए गए। 65 तरीके की लघु उपज में वैल्यूएडीशन का काम कर रोजगार सृजन किया गया। वहीं आदिवासियों को रोजगार से जोड़कर उनकी आय बढ़ाने का काम किया जा रहा है।
पहली बार ऐसा हुआ कि उद्योगपति अगर उद्योग लगाने में सक्षम नहीं है तो वह जमीन आदिवासियों को वापस की गई है। जहां तक हसदेव अरण्य की बात है वह एक छोटा हिस्सा है। इसके लिए बातचीत चल रही है। हमारी सरकार ने लेरूमू हाथी रिजर्व पार्क, जिसको बीजेपी ने 400 वर्ग किमी जमीन का आवंटन किया था, उसको 9500 वर्ग किलोमीटर में विस्तारित किया गया है। वहीं प्रदेश में वन एवं पर्यावरण व प्रदूषण अधिनियम की पूरी तरीके से पालना की जा रही है।
कांग्रेस ने दलित, आदिवासियों व अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व को सुनिश्चित करने के लिए क्या किया है?
कांग्रेस पार्टी व बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने संविधान दिया। एक नींव दी, जिसपर देश खड़ा हुआ। इसके बाद अगर देखें तो हरित क्रांति, श्वेत क्रांति, बैंक का राष्ट्रीयकरण, लिबरलाइजेशन व प्रीवी पर्स देखें। आप यूपीए का समय देखें तो मनरेगा, जमीन का अधिकार, पेसा कानून, ट्राइबल बिल दिया तो हमारा रिकॉर्ड तो बिल्कुल क्लियर है। ये बहुत बड़े काम है ये कोई छोटे काम नहीं है। इनके लिए बड़ी लड़ाइयां लड़नी पड़ी है। हम चाहते है कि जो दलित, आदिवासी, पिछड़े, अल्पसंख्यक या और लोग है। इन सभी की आवाज के साथ भारत चलाया जाए। वहीं जो भारत का धन और संसाधन है। वो इन सभी में एक समान या बराबर-बराबर बांटा जाए। यही कांग्रेस और बीजेपी में फर्क है।
जातीय जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने को लेकर आप की क्या राय है? कांग्रेस पार्टी के शासन में इन आंकड़ों को क्यों जारी नहीं किया गया?
हम इस दिशा में काम कर रहे थे। ये मत भूलिए कि जाति.जनगणना भी कांग्रेस ने करवाई थी। बीजेपी ने नहीं। उस समय जातीय जनगणना के आंकड़ों को जारी करने को लेकर पार्टी में संवाद चला था। हालांकि कांग्रेस पार्टी जातीय जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने के पक्ष में है।
हाथरस केस में आपने देखा उन्हें सिक्योरिटी में रखा जा रहा है और बिलकिस बानों मामले में अपराधियों को माला पहनाई जा रही है और उन्हें संस्कारी का कहा जा रहा है तो क्या ऐसे में समझा जाए कि भारत में दलित-मुस्लिम महिला होना ही गलत है और उन्हें कभी न्याय मिल पाएगा?
ऐसा मेरा मानना है कि महिला किसी भी धर्म या जाति की हो। अगर उसके साथ ज्यादती या प्रताड़ना हुई है तो दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।
एक्सक्लूसिव इंटरव्यू का पूरा वीडियो यहां देखें…
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