लखनऊ। बिलकिस बानो रेप मामले में गुजरात सरकार द्वारा दुराचार व हत्या के दोषियों की सजा माफ किए जाने और राजस्थान में एक दलित बच्चे की जातिगत कारणों से हत्या के खिलाफ प्रदेश के कई महिला, सामाजिक व सांस्कृतिक संगठनों ने शुक्रवार को शहीद स्मारक पर विरोध प्रदर्शन किया। पुलिस ने धरनास्थल पर पहुंचकर प्रदर्शन बंद करने को कहा, जिसके बाद मामला गरमा गया। इसबीच पुलिस प्रदर्शनकारियों के बीच हल्की-फुल्की झड़प भी हुई। इसके बाद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को डिटेन कर बसों में भरकर अज्ञात जगह ले गई।
प्रदर्शनकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस बानो मामले में हत्या और सामूहिक दुराचार के दोषियों की सजा माफ करने के लिए गुजरात सरकार के फैसले को रद्द करने की मांग की। साथ ही दोनों घटनाओं की निंदा की। संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट से बिलकिस के लिए इंसाफ की मांग की और समाज में फैलाये जा रहे सामाजिक वैमनस्य के खिलाफ लड़ाई का ऐलान किया। धरना में साझी दुनिया की समन्वयक प्रो. रूपरेखा वर्मा, भारतीय महिला फेडेरेशन से आशा मिश्रा, एडवा से मधु गर्ग, सुमन सिंह, एनएपीएम से अरुंधती धुरु, रमेश दीक्षित, वंदना मिश्र, नाइश हसन, इप्टा से राकेश, सुगन चौखट से समीना समेत अन्य लोगों शामिल हुए।
अकेली महिला आवाज क्यों नहीं उठा सकती
पुलिसकर्मी प्रोटेस्ट को खत्म करने के लिए दबाव बना रहे थे। इससे आंदोलनकारियों और पुलिस के बीच विवाद बढ़ गया। पुलिसकर्मियों ने जबरदस्ती आंदोलनकारियों को गिरफ्तार करके बसों में भरना शुरू कर दिया। आंदोलन को खत्म करा दिया। पुलिस जब महिलाओं को डिटेन कर रही थी तो प्रदर्शन में शामिल एक महिला पुलिस से भिड़ गई। उन्होंने कहा, "एक अकेली महिला का बलात्कार हो सकता है तो एक अकेली महिला इसके खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठा सकती।"
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