दिल्ली। गुड़गांव के पटेल नगर की गायत्री देवी अपने बेटे रोहित कुमार (23) की मौत को हत्या बताकर रोने लगती हैं और वह द मूकनायक की टीम को उस कमरे तक ले जातीं हैं जहां उनके बेटे ने फांसी लगा कर खुदकुशी की थी। जबकि पुलिस अधिकारियों का कहना है कि, लड़के ने फांसी लगाकर आत्महत्या की है। मां इस बात को मनाने के लिए तैयार नहीं, उनका कहना है कि उसने फांसी नहीं लगाई बल्कि उसकी हत्या की गई है।
क्या है पूरा मामला?
गुड़गांव के पटेल नगर में रहनी वाली गायत्री सरकारी अस्पताल में सफाई कर्मचारी है। यहां वह अपने बच्चों के साथ रहती है। बेटे की मौत पर बात करते हुए वह द मूकनायक को बताती हैं कि, गांव से कुछ लोग मेरे यहां आए हुए थे। घर बहुत छोटा था इसलिए एक झुग्गी मैंने किराए पर ली हुई थी। वहीं रोहित रहता था। 17 मार्च की दोपहर लगभग 3 बजकर 20 मिनट पर मेरी उससे फोन पर बात हुई थी। मैं अस्पताल से वापस आई हुई थी, तब तक कुछ बच्चे मेरे पास आते हैं और बताते हैं कि रोहित भैया बेहोश हो गए हैं।
गायत्री बताती है कि, इस बात को सुनने के बाद "मैं दौड़ कर वहां जाती हूं और देखती हूं कि बेटे के गले में दुपट्टा बंधा है और दोनों हाथ बंधे हुए हैं। मैं और मेरा दूसरा बेटा जल्दी से इसे खोलते हैं और जिला अस्पताल लेकर चले जाते हैं। जहां डॉक्टर उसे मृत घोषित कर दिया।"
गायत्री की एक रिश्तेदार ने रोहित को इस हालात में देखा था। वह द मूकनायक को बताती हैं कि, "मैं नहाकर जैसे ही रुम में आती हूं चाचा घुटने के बल में थे और दुपट्टा गले में था। इसे देखकर मैं सहम जाती हूं कि यह क्या हो गया।"
आत्महत्या नही हत्या हुई है!
गायत्री बताती है कि, पिछले कुछ समय से मेरे बेटे को कोई लगातार फोन कर गंदी-गंदी गालियां देता था। हमने भी कभी गौर नहीं किया। मुझे लगता था कि ऐसे ही लड़कों का आपसी कुछ होगा धीरे-धीरे ठीक हो जाएगा। जबकि मुझे कुछ लोगों ने इस बारे में पुलिस कंप्लेन लिखवाने की भी सलाह दी थी। लेकिन मैंने ही लापरवाही कर दी। अगर लापहरवाही नहीं की होती तो और मेरा बेटा मेरा पास होता।
आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या के शक पर बात करती हुई गायत्री कहती है कि, इस घटना से एक दिन पहले मेरे बेटे के पास एक कॉल आता है। जिसमें उसे मारने की धमकी दी जाती है। यह सारी चीजें फोन में रिकॉर्ड है। दूसरी बात घर की छत इतनी छोटी है इस पर फांसी लगाना संभव नहीं है। मेरा बेटा घुटने के बल था उसके हाथ भी पीछे थे। उसकी जीभ भी बाहर नहीं थी। ऐसे में हम कैसे मान लें कि उसने आत्महत्या कर ली।
रोहित जहां जिस झुग्गी में रहता था। वहां की महिलाओं का कहना है कि दोपहर का वक्त था, हम लोग अपने घरों में सोएं थे। हम लोगों ने कुछ नहीं देखा है। इसलिए हम लोग कुछ नहीं कह सकते हैं कि यह हत्या है या आत्महत्या!
पुलिस पर गायत्री का आरोप
गायत्री बताती है कि, इस घटना के बाद पुलिस ने उस कमरे को बंद कर दिया है जहां रोहित ने फांसी लगाई थी। वह कहती है कि 18 मार्च को जब सारी दुनिया होली मना रही थी तो मैं अपने बेटे की चिंता को आग दे रही थी। घर में मातम पसरा हुआ था। मेरा तो पति भी नहीं है। मुझे अकेले ही सबकुछ करना था। इसलिए सबकुछ खत्म होने के बाद मैं और मेरा दामाद सेक्टर 15 के थाने गए। जहां मैं एक पत्र लेकर गई। जिसमें सारा ब्योरा दिया हुआ था। किसका कितने बजे फोन आया था। लेकिन थाने ने पुलिस वालों ने इसे लेने से इंकार करते हुए उसे भगा दिया।
वह बताती है कि पुलिस का कहना था कि, कहीं तुमने ही तो नहीं मार दिया अपने बेटे को (पुलिस को मां पर ही शक था)। वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मी (बृजमोहन कौशिक) का कहना है कि 17 मार्च की शाम को जिला अस्पताल ने हमें यह जानकारी दी जाती है कि रोहित नाम के युवक ने आत्महत्या की है। इस बात की जानकारी के बाद हम तुरंत अस्पताल पहुंचते हैं। जो प्रक्रिया थी वो पूरी की गई।
गायत्री द्वारा पुलिस पर लगाए जा रहे आरोपों को वह एक सिरे से नकारते हुए कहते हैं कि, "पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी तक आई नहीं है। जैसे ही वह आएगी आगे की प्रक्रिया शुरु हो जाएगी। बाकी अगर घर वालों के पास हत्या को लेकर साक्ष्य है तो गायत्री इसे पुलिस को दें। जिससे की आगे की प्रक्रिया शुरु की जा सकें।"
हालांकि, पुलिस द्वारा मामले में एफआईआर नहीं लिखे जाने पर गायत्री ने अब कोर्ट का सहारा लिया है।
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