भोपाल। ठंड में रैन बसेरों की बदहाल स्थिति पर द मूकनायक की खबर का असर हुआ है। सीएम ने विश्रामालय और अस्पतालों के औचक निरीक्षण के बाद प्रशासन को रैन बसेरों की व्यवस्था को दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।
शहर के ईदगाह हिल्स में स्थित जवाहरलाल नेहरू कैंसर अस्पताल का मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल में रात 11 बजे औचक निरीक्षण किया। यहां मरीज एवं स्वजनों का हालचाल जाना तो वहीं विश्रामालय में जरूरतमंदों को कंबल वितरित किए। यहां सीएम ने विश्रामालय और रैन बसेरों की स्थिति की भी जानकारी ली।
शहर में कुल 17 रैन बसेरे हैं जो की अस्पताल, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के साथ शहर के विभिन्न स्थानों पर है। अस्पतालों के साथ रैन बसेरों और विश्रामालय की व्यवस्थाओं को लेकर सीएम डॉ. मोहन यादव गंभीर है। हाल ही में द मूकनायक ने राजधानी भोपाल में फुटपाथ पर रात गुजार रहे लोगों की समस्याओं के साथ रैन बसेरों में पसरी अव्यवस्थाओं की खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। जिसके बाद डॉ. मोहन यादव मुख्यमंत्री निर्वाचित होते ही सबसे पहले अस्पताल, विश्रामालयों के निरीक्षण कर प्रदेश भर में रैन बसेरों की स्थिति को बेहतर करने के निर्देश दिए हैं।
भोपाल में लगातार ठंड बढ़ रही है। टैम्परेचर जैसे-जैसे नीचे जा रहा है वैसे-वैसे ही फुटपाथ पर रह रहे लोगों की परेशानी भी बढ़ रही है। द मूकनायक की टीम रात को शहर में ठंड से परेशान सड़क किनारे रह रहे लोगों की समस्याओं को जानने निकली थी। ठंड के बीच सड़कों के किनारे फुटपाथ पर लोग अलाव के सहारे बैठे दिखाई दिए थे। शहर में नगर निगम द्वारा संचालित रैन बसेरों की क्षमता कम होने के कारण लोग मजबूरन फुटपाथ पर सो रहे थे।
द मूकनायक की टीम पुराने भोपाल के इलाकों में पहुँची थी, रात के करीब 12 बज चुके थे। सड़के जहाँ सूनसान हो रही थीं। वहीं ठंड भी बढ़ रही थी। आधी रात में शहर का तापमान करीब 15 डिग्री था। शीतलहर भी शुरू हो चुकी थी। जब हम शाहजहांनी पार्क रोड पर पहुँचे तो यहाँ कई लोग सड़क किनारे फुटपाथ पर अलाव के सहारे बैठे हुए थे। इनमें दर्जनों परिवार ऐसे है, जिनके सर के ऊपर छत नहीं हैं। यह लोग वर्षों से फुटपाथ पर यह पीड़ा झेल रहे हैं।
वहीं रैनबसेरा के सामने जब हम पहुँचे तो रोड किनारे अनीता और उसका पति हमें मिला, दोनों यहीं रहते हैं। दिन में कबाड़ बीनने का काम करते हैं और रात को यह लोग यहीं फुटपाथ पर सो जाते हैं। फिलहाल ठंड इतनी तेज है कि अनीता और उसका पति आग जलाकर उसके सहारे बैठे थे। हमारी पड़ताल में कई लोग ऐसे भी मिले जो मजदूरी की तलाश में भोपाल कुछ समय के लिए आए थे, लेकिन लोगों को रैन बसेरों में जगह नहीं मिली थी।
लोगों से बातचीत के बाद हम शाहजहांनी पार्क स्थित रैन बसेरा में पहुँचे थे। इस रैन बसेरा में चार सौ लोगों के रहने की व्यवस्था है, लेकिन खचाखच भरे रैन बसेरे में लोग जमीन पर ही विस्तर लगाकर सो रहे थे। रैन बसेरा की दूसरी मंजिल की बालकनी में भी लोग जमीन पर ही लेटे हुए थे।
यहां मौजूद रैन बसेरा के प्रभारी अब्दुल आरिफ ने बताया कि यहाँ जितने बेड है उससे ज्यादा लोग है। इसके अलावा भी कई अनिमितता मिली थी, जिसको द मूकनायक ने उजागर किया था।
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