MP के व्यापमं घोटाले की जांच फिर से सुर्खियों में: सुप्रीम कोर्ट ने CBI और राज्य सरकार से मांगा जवाब, फिर खुल सकता है यह मामला?

पूर्व विधायक पारस सकलेचा, जो शुरू से ही व्यापमं घोटाले के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फिर से जांच की मांग की गई है।
MP के व्यापमं घोटाले की जांच फिर से सुर्खियों में: सुप्रीम कोर्ट ने CBI और राज्य सरकार से मांगा जवाब, फिर खुल सकता है यह मामला?
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भोपाल। मध्य प्रदेश में हुए बहुचर्चित व्यापमं (अब कर्मचारी चयन मंडल) घोटाले का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। पीएमटी (प्री-मेडिकल टेस्ट) फर्जीवाड़े की जांच की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक पारस सकलेचा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर दो महीने पहले याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए सीबीआई और मध्य प्रदेश शासन को जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।

2009 में सामने आया घोटाला

व्यापमं घोटाला 2009 में उजागर हुआ था, जब प्रदेश में प्रवेश परीक्षाओं और सरकारी नौकरियों की भर्ती प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आए थे। पीएमटी परीक्षा में फर्जीवाड़ा का सबसे ज्यादा उल्लेखनीय मामला था, जिसमें हजारों छात्रों को गलत तरीके से मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश दिया गया था। व्यापमं के तहत संचालित इस परीक्षा में नकल, फर्जी अभ्यर्थियों का प्रवेश, और रिश्वतखोरी जैसे संगीन आरोप लगे थे।

अब फिर से जांच की मांग

पूर्व विधायक पारस सकलेचा, जो शुरू से ही व्यापमं घोटाले के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की, जिसमें कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर फिर से जांच की मांग की गई है। सकलेचा ने पहले एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) को दस्तावेज सौंपकर जांच की मांग की थी, लेकिन उस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने 2022 में इस मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट की इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की थी, जिसे 19 अप्रैल को निरस्त कर दिया गया था। इसके बाद सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई।

सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा और अधिवक्ता सर्वम ऋतम खरे कर रहे हैं। कोर्ट में अब यह मामला फिर से खुलने की संभावना बन रही है, क्योंकि व्यापमं के पुराने मामले और घोटाले से जुड़े सवाल एक बार फिर से उठाए गए हैं।

याचिकाकर्ता सकलेचा ने बताया कि उन्होंने एसटीएफ को 27 नवंबर 2014 को व्यापमं घोटाले की जांच में नए बिंदु शामिल करने के लिए दस्तावेज सौंपे थे। इसके तहत 11 दिसंबर 2014 को सकलेचा ने 350 पृष्ठों का एक विस्तृत आवेदन दिया था, जिसमें घोटाले से जुड़े अहम दस्तावेज शामिल थे। इसके बाद 12 जून 2015 को मौखिक साक्ष्य के साथ 71 पृष्ठों का लिखित बयान और 240 पृष्ठों के दस्तावेज भी एसटीएफ को सौंपे गए थे।

हालांकि, एसटीएफ ने इस मामले में कार्रवाई करने की बजाए दस्तावेजों को नजरअंदाज किया। 11 से 13 सितंबर 2019 तक जांच एजेंसी ने सकलेचा से करीब 13 घंटे तक पूछताछ की, लेकिन उसके बाद भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इसके बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था।

सीबीआई की जांच पर भी उठे सवाल!

सकलेचा ने सीबीआई पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2016 में सीबीआई ने बयान लेने के बाद आवेदन को मुख्य सचिव के पास भेजा था, लेकिन आज तक उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। याचिका में सकलेचा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, और व्यापमं के अध्यक्ष सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से पूछताछ की मांग की है। इसके अलावा, उन्होंने निजी और सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों में भर्ती प्रक्रिया की भी जांच की मांग की है।

सकलेचा का आरोप है कि सीबीआई और एसटीएफ ने इस मामले की जांच में जानबूझकर लापरवाही बरती और कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जांच का हिस्सा नहीं बनाया गया। उन्होंने यह भी दावा किया कि बड़े और प्रभावशाली लोगों को बचाने के लिए दस्तावेजों को छिपाया गया और घोटाले को दबाने का प्रयास किया गया।

घोटाले की जांच की मांग

पारस सकलेचा का कहना है, कि उनके पास घोटाले से जुड़े 850 पृष्ठों के दस्तावेज हैं, जिनमें अहम साक्ष्य और जानकारियां शामिल हैं। उन्होंने इन दस्तावेजों की विवेचना कर जांच करने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। सकलेचा ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि व्यापमं घोटाले की बंद पड़ी फाइलों को फिर से खोला जाए और दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट का नोटिस: एक नई शुरुआत?

सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीबीआई और मप्र सरकार से जवाब मांगे जाने के बाद व्यापमं घोटाले की जांच फिर से नई दिशा में जा सकती है। यह मामला वर्षों से अधर में लटका हुआ है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद इसकी जांच दोबारा शुरू होने की संभावना है।

यह देखना बाकी है, कि सीबीआई और मध्य प्रदेश शासन कोर्ट के सामने क्या जवाब प्रस्तुत करते हैं और क्या इस घोटाले की फिर से जांच हो पाएगी? व्यापमं घोटाला मध्य प्रदेश के सबसे बड़े घोटालों में से एक है, जिसने राज्य की राजनीतिक और शैक्षिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया था। अब जनता और पीड़ितों को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार है, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि इस मामले में न्याय मिल सकेगा या नहीं।

व्यापमं घोटाले का यह मुद्दा राज्य की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट का नोटिस और सकलेचा की याचिका ने इस घोटाले के पुनर्जीवित होने की उम्मीद जगाई है। अब यह गौर करने वाली बात है, सरकार और जांच एजेंसियां इस मामले को किस तरह से आगे बढ़ाती हैं और क्या न्यायालय घोटाले की बंद पड़ी फाइलों को फिर से खोलने का आदेश देता है?

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