भोपाल/हरदा: "मैं नीचे की मंजिल पर, टीन शेड वाले कमरे में बारूद भरने का काम कर रहा था। अचानक से धमाके की आवाज सुनाई दी। उस कमरे में मुझे मिलाकर 20 लोग थे। हम आवाज सुनते ही बाहर भागे, चार लोग वहाँ से नहीं भाग सके। कुछ मिनटों में ही दूसरा धमका हुआ। मेरे साथ भाग रहे एक मजदूर के सिर पर उचट कर पत्थर लगा वह गिर पड़ा, हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था। भागते वक्त कुछ लोगों को मरा पड़ा देखा," यह आपबीती है, पटाखा फैक्टरी में काम करने वाले मजदूर अशफ़ाक अली की है। 6 फरवरी को मध्य प्रदेश के हरदा पटाखा फैक्टरी में हुए धमाके के चश्मदीद अशफ़ाक ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए पूरी घटना बताई है।
हरदा की पटाखा फैक्टरी में हुए विस्फोट के बाद इस हादसे के पीछे की परतें खुलती जा रही हैं। घटना के पांच दिन बाद द मूकनायक की टीम ने ग्राउंड जीरो पर पहुँचकर मामले की पड़ताल की। जब हम यहां पहुँचे तब प्रशासन ने पटाखा फैक्टरी के मलबे को किनारे लगा दिया था। हादसे से प्रभावित क्षेत्र को पुलिस ने वेरीकेड्स लगाकर बंद किया है। फिलहाल यहां आमजन का प्रवेश पूरी तरह बंद है।
दूसरी तरफ हमें फैक्टरी के पास के क्षतिग्रस्त मकान दिखे, इन घरों के लोग अपना समान बाहर निकालकर गाडियों में लोड कर रहे थे। सभी के चेहरे पर चिंता साफ नजर आ रही थी, यह चिंता हादसे में हुए भारी नुकसान और पुनर्वास की थी। इनमें कई लोगों ने पूरी ज़िंदगी एक-एक पैसा इकट्ठा कर घर बनाए थे, लेकिन घटना से इनके मकान जर्जर हो गए।
हम पटाखा फैक्टरी के पास की बस्ती में पहुँचे, यह बस्ती फैक्टरी के ठीक सामने है। बस्ती का नाम बेलदार कालोनी है, यहां ज्यादातर दलित और मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं। इसी कालोनी के मकानों को विस्फोट से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। बस्ती का तीसरा मकान एक दम नया था, जो विस्फोट के बाद जगह-जगह से टूट चुका था। घर के सामने सुनीता बाई खड़ी थी, सुनीता दलित समाज से है।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए सुनीता ने कहा कि उनके पति राज मिस्त्री (मकान बनाने का काम) हैं, कई सालों की मेहनत के बाद यह मकान बनाया था। "हमने अपनी ज़िंदगी की सारी कमाई इस मकान को बनाने में लगा दिया, लग रहा था अब बच्चों के लिए मकान बना लिया है, हमारा परिवार खुशहाली से रहेगा। लेकिन क्या पता था, ज़िंदगी भर की कमाई बर्बाद हो जाएगी", सुनीता ने कहा।
सुनीता ने बताया कि वह परेशान है, उनके पति भोपाल में हैं, हादसे में उनके भतीजे को चोट लगी थी, जिसका इलाज भोपाल के अस्पताल में चल रहा है। सुनीता ने कहा, "सरकार हमारे नुकसान की भरपाई कर दे, बस और कुछ नहीं चाहिए।"
अपने मकान का सामान इकट्ठा कर रही एक और रहवासी अरुणा ने बताया कि, जब फैक्टरी में धमाका हुआ तो वह लोग घर के पीछे की दीवार कूद कर भागे। जब लौट कर आए तो मकान बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। ऊपर वाले कमरे के टीन शेड उड़ गए थे, दीवारों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई थी। खिड़की, दरवाजे टूट चुके थे।
बेलदार कॉलोनी के रहवासियों ने बताया कि जब फैक्टरी में पहला धमाका हुआ तो वह लोग घरों से भागे, इस बीच कुछ लोग घायल भी हो गए। लोगों ने बताया जब लौट कर आए तो मकान बर्बाद हो चुके थे।
रहवासियों से उनकी पीड़ा सुनने के बाद हम हरदा के जिला चिकित्सालय में पहुँचे जहां विस्फोट के कारण घायल हुए करीब 10 लोगों का उपचार चल रहा है। इसके अलावा कुछ लोगों का इलाज भोपाल सहित अन्य निजी अस्पतालों में किया जा रहा है। फैक्टरी में काम करने वाले मजदूरों ने बताया कि पहले धमाके के बाद वह फैक्टरी से जान बचा कर भागे थे, लेकिन कुछ लोग भाग नहीं पाए, और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए अशफाक अली ने कहा कि, वह पटाखा फैक्टरी के मजदूर हैं, और उस दिन हुई घटना के चश्मदीद हैं। अशफाक ने बताया कि उस दिन वह पटाखों में बारूद भरने का काम कर थे। जिस कमरे में वह थे, उसमें उनके साथ 20 अन्य मजदूर भी थे।
अशफाक ने कहा, "अचानक से धमाके की आवाज सुनाई दी, मैं समझ गया था कि आग लग गई है। मैंने बाहर निकल कर देखा तो पता लगा बारूद के गोदाम में आग लगी है। गोदाम हमारे कमरे से 50 फिट दूर था। मैं भागकर अंदर गया, सबको चीख कर कहा...... बाहर भागो!! हम लोग बाहर की तरफ भागे, लेकिन चार लोग अंदर ही रह गए।"
"हमारे बाहर आते ही दूसरा धमाका हुआ, यह धमाका आग की लपटों से भरा था। फैक्टरी तीन मंजिला थी, लेकिन वहाँ सिर्फ आग की लपटें दिखाई दे रही थी। भागते हुए मेरे साथ काम करने वाले मजदूर के सिर पर धमाके से उचट कर पत्थर लगा, जिसके बाद वह उठा ही नहीं। भागते वक्त कुछ लोगों को घटनास्थल पर ज़मीन पर पड़ा देखा, यह लोग धमाके के कारण घायल होकर मरे पड़े थे," अशफाक ने बताया।
अशफ़ाक ने बताया कि वह सालों से फैक्टरी में काम कर रहा है। पूरी फैक्टरी में करीब 400 लोग काम करते थे। जिस दिन धमाका हुआ उस दिन मजदूर कम थे, कुछ लोग शादी में गए थे, लेकिन फिर भी सैकड़ों की संख्या में मजदूर तो थे! जब हमने पूछा कि प्रशासन ने कहा है कि सिर्फ 13 लोगों की मौत हुई है? तब अशफ़ाक ने कहा कि, "फैक्टरी में महाराष्ट्र और आसपास के जिले के मजदूर काम करने आते थे। पटाखा फैक्टरी में मजदूरी बढ़ाकर मिलती है और काम भी ज्यादा मेहनत का नहीं रहता इसलिए लोग काम करने आते थे। प्रशासन कुछ भी कहे लेकिन वहां सैकड़ों मजदूर काम कर रहे थे।"
पटाखा फैक्टरी में भयंकर विस्फोट के बाद फैक्टरी मलबे में तबदील हो गई। पिछले पांच दिनों से रेस्क्यू का काम चल रहा था। अब मलवा हटाने के दौरान प्रशासन को लगातार बम मिल रहे हैं। प्रभावित क्षेत्र से 17 ड्रम सूतली बम बरामद किए गए हैं। यह सारे बम ज़िंदा हैं, इसलिए इन्हें पानी में रखा गया है।
हरदा की पटाखा फैक्टरी के मालिक राजेश अग्रवाल हैं। घटना के बाद अग्रवाल सहित तीन अन्य आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। बताया जा रहा है कि लापरवाही के कारण यह भीषण हादसा हुआ। इन लापरवाहियों में पटाखा फैक्टरी में क्षमता से अधिक मात्रा में बारुद रखना भी एक बड़ी वजह थी। इसके अलावा फैक्टरी में फायर सेफ्टी की कोई व्यवस्था नहीं थी।
मजदूरों के मुताबिक, जो मजदूर यहां काम करने आते थे उनके पास कोई किट नहीं थी। मजदूर जो कपड़ा पहन कर आते थे, उसी को पहन कर पटाखा फैक्टरी में काम करते थे। सुरक्षा की दृष्टि से यहां पर वाटर टैंक होना था, लेकिन उसकी भी कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। नर्मदापुरम कमिश्रर पवन कुमार शर्मा के अनुसार, पटाखा फैक्ट्री के मालिक अग्रवाल बंधुओं के पास पटाखा बनाने के लिए मटेरियल रखने के 12 लाइसेंस थे।
नर्मदापुरम कमिश्रर पवन कुमार शर्मा ने जानकारी दी कि, जहां हरदा के बैरागढ़ में विस्फोट की घटना हुई, वहां के लिए अग्रवाल बंधुओं के पास दो राज्य सरकार और दो जिला मुख्यालय मिला कर कुल 4 लाइसेंस थे। इसमें राज्य सरकार 300 किलोग्राम और जिला कलेक्ट्रेट 15 किलो ग्राम का लाइसेंस देते हैं।
बताया जा रहा है कि साल 2022 में हरदा कलेक्टर ऋषि गर्ग ने अग्रवाल बंधुओं की पटाखा फैक्टरी का 15 किलो ग्राम का एक लाइसेंस सस्पेंड कर दिया था, लेकिन बाद में स्टे मिलने के बाद संभाग कमिश्नर माल सिंह ने कलेक्टर को सुनवाई करके निराकरण की बात कही थी, लेकिन एक ओर लाइसेंस निलंबित कर दिया। इसके बाद भी 300-300 किलो के लाइसेंस फैक्टरी मालिक के पास था।
स्थानीय लोगों के द्वारा बताया जाता है कि फैक्ट्री मालिक राजेश अग्रवाल आसपास के लोगों को बारूद देकर पटाखे बनवाने का काम करता था। साल 2015 में एक खेत में 3000 रुपये महीने किराये पर उसने गोदाम लेकर पटाखा बनाने काम शुरू किया था, तब हादसे में दो जानें गई थी। इस मामले में साल 2021 में अग्रवाल को 10 साल की सजा हुई थी, पर हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। फैक्ट्री फिर चलने लगी।
तत्कालीन हरदा एसडीएम श्रुति अग्रवाल ने सुरक्षा मानकों का पालन नहीं होने पर एक जांच प्रतिवेदन कलेक्टर को सौंपा था। जिस पर कलेक्टर ऋषि गर्ग ने फैक्टरी को सील करने के आदेश दिए थे। इस मामले में हरदा एसडीएम केसी परते का कहना है कि तत्कालीन संभागायुक्त मालसिंह ने अगली सुनवाई तक के लिए राजेश को स्टे दिया था, लेकिन उसने फैक्टरी फिर खोल ली।
घटना मे इनकी हुई मृत्यु -
प्रियांशु पिता मुन्नालाल प्रजापति उम्र 22 साल निवासी खेडीपुरा हरदा
मुकेश पिता तुलसीराम चंदेल जाति बेलदार उम्र 40 साल निवासी फटाखा फैक्ट्री के पास बैरागढ हरदा
ऊषा पति मुकेश चंदेल जाति बेलदार उम्र 30 साल निवासी फटाखा फैक्ट्री के पास बैरागढ हरदा
मुवीन पिता सफर खान उम्र 27 साल निवासी मानपुरा हरदा
अनुज पिता शोभाराम कुचबंदिया उम्र 18 साल नि. टंकी मोहल्ला हरदा
बानो पति सलीम खान (हम्माल) उम्र 42 साल निवासी खेडीपुरा हरदा
आबिद खान पिता रहमान खान उम्र 22 साल निवासी मानपुरा हरदा
प्रमिला पिता सुनील चौहान जाति बेलदार उम्र 32 साल निवासी बैरागढ हरदा
अयाज खान पिता सिराज खान उम्र 16 साल निवासी रहटाखुर्द
1 अज्ञात पुरुष
1 अज्ञात महिला
रहीम पिता जाकिर उम्र 52 साल नि. हरदा
आशीष पिता मंनय उम्र 08 साल नि. हरदा के मृत होने की सूचना
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