एमपी: भोपाल के झुग्गी वासियों को नहीं मिला 'पीएम आवास योजना' का लाभ, समस्याओं के बीच बंजर हुई जिंदगी! ग्राउंड रिपोर्ट

25 जून 2015 को शुरू हुई प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य था कि साल 2023 तक भारत के शहरी और ग्रामीण के हर एक गरीब, और झुग्गी, झोपड़ी में रह रहे परिवारों के पास अपना पक्का मकान होगा। लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका।
भोपाल की विश्वकर्मा नगर झुग्गी बस्ती
भोपाल की विश्वकर्मा नगर झुग्गी बस्तीफोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक
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भोपाल। "हम यहाँ पिछले 20 सालों से रह रहें है, हमारी बस्ती में पानी, बिजली की समस्या है। दिन में बिजली की कटौती होती है, सिर्फ रात को ही बिजली मिलती है। किसी भी घर में शौचालय नहीं हैं। पिछले कई सालों से कहा जा रहा है कि सभी को पक्के मकान मिलेंगे। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ, हमें सरकार के वादों पर भरोसा नहीं हैं," यह पीड़ा भोपाल के विश्वकर्मा नगर झुग्गी बस्ती के रहवासी मोहम्मद कासिम की है। ऐसी ही स्थिति इस पूरी झुग्गी बस्ती की है। चारों तरफ गंदगी का अंबार, और बदबू के कारण यहां रुकना बहुत मुश्किल है। लेकिन यह सिर्फ अकेले कासिम की कहानी नहीं है, एक हजार से भी ज्यादा परिवार ऐसी स्थिति में अपना जीवन बिता रहें हैं।

रहवासी मोहम्मद कासिम ने बताया कि, बस्ती में गंदगी के कारण उनका परिवार परेशान हैं। लेकिन प्रशासन के लोग उनकी समस्याओं को देखते तक नहीं हैं। वह पिछले 20 सालों से विश्वकर्मा नगर झुग्गी बस्ती में रह रहे हैं, लेकिन उन्हें पक्का मकान नहीं मिल पाया। 

पिछले 20 सालों से परिवार के साथ झुग्गी में रह रहे मोहम्मद कासिम को नहीं मिला पीएम आवास।
पिछले 20 सालों से परिवार के साथ झुग्गी में रह रहे मोहम्मद कासिम को नहीं मिला पीएम आवास। फोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक

हमारे देश में अभी भी कई ऐसे लोग हैं, जिनके पास रहने के लिए घर तक नहीं है। वे लोग किराए से झुग्गी झोपड़ी या कच्चे मकानों में रहकर किसी तरह जीवन यापन करते हैं, और ऐसे में यह गरीब लोग और भी गरीब हो जाते हैं। भारत सरकार ने देश के हर नागरिक को पक्का मकान दिए जाने का वादा किया था लेकिन यह वादा अभी इन परिवारों से दूर है। 

25 जून 2015 के दिन शुरू हुई प्रधानमंत्री आवास योजना का लक्ष्य था, कि साल 2023 तक भारत के शहरी और ग्रामीण के हर एक गरीब, और झुग्गी, झोपड़ी में रह रहे परिवारों के पास अपना पक्का मकान होगा। लेकिन यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। मध्य प्रदेश में लाखों लोग आज भी झुग्गी, झोपड़ियों में रहने के लिए मजबूर हैं। 

राजधानी भोपाल में लगभग दो दर्जन झुग्गी बस्तियां होंगी, लेकिन यहाँ के रहवासियों को पक्के मकान नहीं  मिल पाए। द मूकनायक की टीम शहर के झुग्गी बस्तियों में पहुंचीं जहां लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं।

झुग्गी के बाहर बैठे रहवासियों ने सुनाई अपनी पीड़ा।
झुग्गी के बाहर बैठे रहवासियों ने सुनाई अपनी पीड़ा।फोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक

भोपाल के विश्वकर्मा नगर झुग्गी बस्ती में एक हजार से भी ज्यादा परिवार पिछले 20 सालों से रह रहें हैं। कच्चे छोटे कमरों में इन परिवारों को रहना मुश्किल हो रहा है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए यहां की रहवासी ज्योति पंडित ने बताया कि वह पानी, बिजली और यहां चारों ओर पसरी गंदगी से परेशान हैं। ज्योति ने कहा कि, यहां इतने छोटे घर हैं कि परिवार के साथ गुजर-बसर करने में परेशानी होती है।

झुग्गी बस्ती में नहीं हैं शौचालय 

भोपाल की झुग्गी बस्तियों में शौचालय की व्यवस्था नहीं है। यहां के रहवासी सार्वजनिक शौचालय का उपयोग करते हैं। जिसके लिए इन्हें 80 रुपये प्रतिमाह का शुल्क देना होता है, इसमें भी सार्वजनिक शौचालयों में फैली गंदगी के कारण परेशानी होती है। ज्योति ने कहा कि, "यदि रात को बच्चों को जरूरत पड़े तो पास के रेलवे स्टेशन रानी कमलापति जाकर शौचालय उपयोग करते हैं, क्योंकि रात 9 बजे सार्वजनिक शौचालय बन्द हो जाता है।"

बस्ती की एक झुग्गी
बस्ती की एक झुग्गी फोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक

राजधानी में दो दर्जन झुग्गी, कुछ परिवार मल्टियों में शिफ्ट

भोपाल शहर में करीब दो दर्जन झुग्गियां होंगी, इनमें से ज्यादातर झुग्गियां 20 से 30 साल तक पुरानी हैं। इसके अलावा शहर के बागमुगालिया क्षेत्र में नई झुग्गियां बनती जा रही हैं। कुछ झुग्गी परिवारों को नगर निगम की मल्टियों में शिफ्ट किया गया है। लेकिन यहां की कंस्ट्रक्शन गुणवत्ता भी बहुत खराब है। द मूकनायक की टीम शहर के 12 नम्बर स्थित इंद्रा नगर मल्टी में पहुँची, यह मल्टी वर्ष 2015 में बनकर तैयार हुई थी। इस मल्टी की हालत भी इतनी खराब है कि महज 9 वर्षों के भीतर ही बिल्डिंग का सीमेंट जगह-जगह से झड़ रहा है।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए इंद्रानगर मल्टी की रहवासी संतोषी ने बताया कि, "यहां निगम के द्वारा साफ सफाई का ध्यान नहीं रखा जा रहा जबकि आगे वाली कॉलोनियों में नियमित सफाई की जाती है। पिछले छह महीने से हमारा चेम्बर से टूटा पड़ा है, पानी बाहर निकलने की शिकायत नगर निगम के अधिकारियों से करते चले आ रहे हैं, लेकिन कोई सुनने को तैयार ही नहीं हैं। हमारे साथ निगम प्रशासन भेदभाव कर रहा है।"

भोपाल शहर में लगे प्रधानमंत्री आवास योजना के पोस्टर।
भोपाल शहर में लगे प्रधानमंत्री आवास योजना के पोस्टर। फोटो- अंकित पचौरी, द मूकनायक

दो करोड़ नए घर बनाने का एलान

सरकार का दावा है कि पीएम आवास योजना के तहत गरीब ज़रूरतमंदों के लिए शहरी और ग्रामीण इलाकों में घरों के निर्माण से न सिर्फ गरीबों को पक्का घर मिला, बल्कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर से जुड़े उद्योगों को फायदा हुआ और ग्रामीण इलाकों में रोजगार के नए अवसर भी पैदा हुए।  

भारत सरकार नए वित्तीय साल में ग्रामीण इलाकों में कच्चे घरों में रह रहे गरीब परिवारों को 2 करोड़ नए घरों का निर्माण करेगी। बीते दिनों लोकसभा के सत्र के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने अंतरिम बजट में इस अहम फैसले का ऐलान किया है। वहीं शहरी इलाकों में एक करोड़ आवास निर्माण प्रस्तावित है। 

पीएम आवास योजना (ग्रामीण) का विस्तार पिछले साल के बजट में वित्त मंत्री ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए आवंटन 66% से बढ़ाकर 79000 करोड़ कर दिया था. मौजूदा वित्तीय साल के दौरान 31 मार्च, 2024 तक गरीब ज़रुरतमन्दों के लिए 2.95 करोड़ घरों के निर्माण का लक्ष्य तय है। अगले पांच साल में 2 करोड़ और नए घर ग्रामीण इलाकों में बनेंगे। 

कैसे मिलता है योजना का लाभ? 

इस योजना के अंतर्गत बनाए नियम के अनुसार, प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ केवल उन लोगों को मिलेगा, जिनकी एक वर्ष की आय 6 लाख से 18 लाख रुपये के बीच होगी,  3 लाख से 6 लाख सालाना आय वाले इकोनॉमिकली वीकर सेक्शन (EWS) और लोअर इनकम ग्रुप (LIG), 6 लाख से 12 लाख सालाना आय वाले मिडिल इनकम ग्रुप 1 (MIG1) और 12 लाख से 18 लाख सालाना आय वाले मिडिल इनकम ग्रुप 2 (MIG2) में आएंगे। 

यदि आय 6 लाख रुपये तक सालाना है, तो 6 लाख के लोन पर 6.5 फीसदी की क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी मिलेगी और 12 लाख रुपये तक की सालाना कमाई वालों को 9 लाख रुपये तक के लोन पर 4 फीसदी ब्याज सब्सिडी मिलेगी। 18 लाख रुपये तक की सालाना कमाई वालों को 12 लाख रुपये तक के लोन पर 3 फीसदी ब्याज की सब्सिडी मिलेगी।

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