मणिपुर। 20 जाट रेजिमेंट और 5/4 जीआर के संयुक्त सैनिकों द्वारा 12 अक्टूबर को मीडियाकर्मियों को कवरेज करने से रोके जाने की घटना का ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (एएमडब्ल्यूजेयू) और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर (ईजीएम) ने संयुक्त रूप से निंदा की है. इस घटना के ही दिन, संयुक्त प्रेस रिलीज में, एएमडब्ल्यूजेयू और ईजीएम ने सैनिकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। सबुंगखोक खुनौ इलाके में मीडियाकर्मी सबुंगखोक खुनौ गांव पर हमले की एक घटना को कवर करने गए थे.
संयुक्त प्रेस रिलीज में आरोप है कि, जाट रेजिमेंट के सैनिकों ने न केवल आईएसटीवी, इम्पैक्ट टीवी, टॉम टीवी और आईएसकॉम के पत्रकारों की एक मीडिया टीम को घटना को कवर करने से रोका, बल्कि मोबाइल पर रिकार्ड किए गए फुटेज भी हटाने के लिए उन्हें मजबूर किया।
क्षेत्र के दूसरी ओर टॉम टीवी और इम्पैक्ट टीवी सहित मीडिया की एक अन्य टीम को भी शुरू में घटना का कोई भी फुटेज लेने से रोका गया था।
AMWJU और EGM इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा हमला मानते हैं। उन्होंने कहा कि, यह प्रेस को दबाने का एक प्रयास है, और एएमडब्ल्यूजेयू और ईजीएम जवाबदेही की मांग करते हैं।
पेशेवर मीडिया संघ ने प्रेस रिलीज में बताया कि, “एएमडब्ल्यूजेयू और ईजीएम यूनिफाइड कमांड के अध्यक्ष, कुलदीप सिंह (सीएम के सुरक्षा सलाहकार) को एक-एक ज्ञापन सौंपेंगे, और माननीय राज्यपाल मणिपुर अनुसुइया उइके कृपया 3 मई, 2023 से मीडिया पर हमलों की सीरीज को देखें और उचित कार्रवाई करें।”
12 अक्टूबर को जारी, संयुक्त प्रेस रिलीज में एएमडब्ल्यूजेयू और एडिटर्स गिल्ड मणिपुर ने लिखा, “वर्तमान संकट शुरू होने के बाद से मणिपुर में मीडिया बेहद कठिन परिस्थिति में काम कर रहा है। हम एक बार फिर राज्य में सक्रिय सभी सुरक्षा बलों से अपील करते हैं कि वे मीडिया कर्मियों को उनके वैध कर्तव्यों को पूरा करने से न तो निशाना बनाएं और न ही उन्हें रोकें।”
द मूकनायक ने टामो रूपचन्द्रा (Tamo Rupachandra), प्रेसीडेंट, एडिटर्स गिल्ड मणिपुर से इस मसले पर और जानकारी लेने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका।
जातीय संघर्ष के बीच, 11 अक्टूबर, बुधवार को मणिपुर सरकार ने सोशल मीडिया पर हिंसा दिखाने वाले वीडियो और तस्वीरों के प्रसार पर प्रतिबंध लगा दिया। राज्य सरकार के अनुसार उसने उन वीभत्स रिपोर्टों को संज्ञान लिया है जिसमें ऐसी तस्वीरें कथित तौर पर "आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों की भीड़ को बढ़ावा देने या संगठित करने के लिए फैलाई जा रही थीं, जिससे राज्य में कानून और व्यवस्था की स्थिति खराब हो सकती है"।
सरकार ने कहा कि उल्लंघन करने वालों पर बिना किसी अपवाद के मामला दर्ज किया जाएगा और उन पर मुकदमा चलाया जाएगा, साथ ही आम जनता को ऐसे व्यक्तियों के बारे में जागरूक रहने और उनके पास मौजूद जानकारी के साथ पुलिस को रिपोर्ट करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (आईटीएलएफ) के लीडर और प्रवक्ता गिन्ज़ा वुअलज़ोंग ने द मूकनायक को बताया कि, “भारत एक लोकतांत्रिक देश है, हमारे यहां अनुच्छेद 19(1)(ए) में भाषण की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत प्रेस की स्वतंत्रता है। यह स्वतंत्र पत्रकारिता को प्रोत्साहित करता है और लोगों को सरकार के कार्यों के पक्ष या विपक्ष में अपनी राय देने का मौका देकर लोकतंत्र को बढ़ावा देता है। इसलिए, मीडिया और प्रेस को घटनाओं को कवर करने की अनुमति दी जानी चाहिए।”
कुकी बाहुल्य क्षेत्र चुराचांदपुर में स्थापित इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) आदिवासी नेताओं का एक मंच या संगठन हैं. जो मूलनिवासी या आदिवासी समुदायों के हितों का प्रतिनिधित्व करने, उनके अधिकारों, भूमि, संस्कृति और सामाजिक-आर्थिक कल्याण से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने के लिए बनाया गया है।
स्पष्ट शब्दों में, ये इंडिजिनस ट्राइबल (Indigenous Tribal) के अधिकारों को संरक्षित और बढ़ावा देने, उनकी भूमि की रक्षा करने और उनकी सांस्कृतिक विरासत का समर्थन करने, उनकी गतिविधियों में वकालत, कानूनी सहायता, सांस्कृतिक संरक्षण और सामुदायिक विकास के लिए काम कर करता है।
पत्रकारों को कवरेज से रोके जाने की घटना पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता अंशुल अवस्थी ने द मूकनायक को बताया कि, “भाजपा सरकार लोकतंत्र में सभी के अधिकारों को कुचल रही है। लोकतंत्र में मीडिया एक महत्वपूर्ण स्तम्भ है, जिसका काम है लोगों की आवाज को मजबूत करना। उनको भी दबाया जा रहा है. यह सब भाजपा सरकार के इशारे पर हो रहा है. चीजें देश के सामने न आने पाए इसलिए इस तरह की साजिशें हो रहीं हैं.”
“जिस मणिपुर को देश में मिलाने का काम कांग्रेस की सरकारों ने किया। आज भाजपा सरकार देश को संभाल नहीं पा रही है. जिसकी वजह से पूरे देश में अलगाव की भावना पनप रही है, आपसी भाईचारा कमजोर हो रहा है.” कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “हम यह लगातार आवाज उठा रहे हैं कि मणिपुर में पत्रकारों के साथ सरकार के इशारे पर जो साजिश हुई, जो अभद्रता हुई, उनके अधिकारों को कुचला गया, यह इस बात को और पुख्ता करती है कि भारत में मीडिया की जो आज़ादी है उसे सरकार अपनी तानाशाही नीति के चलते कमजोर कर रही है.”
यहां यह उल्लेखनीय है कि, विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस (डब्ल्यूपीएफडी), 3 मई को, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2023 प्रकाशित किया गया था। इसमें भारत 36.62 के स्कोर के साथ 180 देशों में 161वें स्थान पर है। जबकि, 2022 में भारत की रैंक 150 थी. मतलब भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रैंकिंग साल दर साल गिरती जा रही है जो एक स्वास्थ्य लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है.
अगस्त में द मूकनायक ने मणिपुर के कई हिंसा प्रभावित इलाकों में पहुंचकर ग्राउंड रिपोर्ट की थी। इस दौरान द मूकनायक टीम ने पाया था कि कैसे हिंसा प्रभावित इलाकों में मणिपुर पुलिस और आर्मी के जवानों का कड़ा पहरा है। कुकी-जो बाहुल्य क्षेत्र चुराचांदपुर जाते समय, PHOUGAKCHAO POLICE STATION, के पास बने बफर जोन में द मूकनायक टीम को भी किसी तरह का फोटो या वीडियो रिकार्ड करने से मना कर दिया गया था। जबकि, यहां क्रम से बने दर्जन भर से ज्यादा छोटे बड़े चेक पोस्टों के आस-पास भारी हिंसा के दृश, जले हुए घर, दुकानें थीं।
बफर जोन से आगे कोई भी सामान्य वाहन चालक को आगे नहीं जाने दिया जा रहा था। बफर जोन से आगे बढ़ने की हिम्मत न किसी वाहन चालक की थी, और न ही सुरक्षाबल किसी सामान्य (गैर कुकी) वाहन चालक को आगे जाने की अनुमति देगा। मतलब स्पष्ट शब्दों में कहें तो सुरक्षा बलों की यह मौन स्वीकृती होती है कि आगे जाने के लिए वाहन चालक या तो मुस्लिम हो या कुकी। इसी तरह द मूकनायक ने भी कुकी बाहुल्य क्षेत्र में रिपोर्टिंग के लिए प्रवेश करने के लिए एक कुकी बोलेरो चालक का सहयोग लिया था।
चुराचांदपुर की ओर बढ़ने के लिए सुरक्षाबलों द्वारा इसलिए भी लोगों को रोका जा रहा है, क्योंकि आगे दर्जन भर से ज्यादा सुरक्षा बलों के चेकपोस्ट बनाए गए हैं। इसमें 2-4 चेक पोस्ट बीच-बीच में आपको ऐसे भी मिलेंगे जो खुद कुकी लोगों के हैं। आने-जाने वाले वाहनों को वह खुद रुकवाकर इस बात की जांच पड़ताल करते हैं कि वाहन में बैठा हुआ व्यक्ति अथवा महिला कौन है, और कहां-किस काम से जा रहा है? संतोषजनक जवाब मिलने के बाद ही आपको आगे जाने दिया जाएगा।
रास्ते में लगभग प्रत्येक चेकपोस्ट पर इक्का-दुक्का आने वाले वाहनों में बैठे लोगों से सिर्फ यही सवाल पूछा जा रहा है कि, "आप मैतेई तो नहीं"? उसके बाद आपके सरकारी आईडी कार्ड देखे जाएंगे, वाहन के डिटेल चेकपोस्ट के रजिस्टर में नोट होंगे और वाहन चालक की एंट्री उसके हस्ताक्षर के साथ होगी, उसके बाद ही आपकी गाड़ी आगे बढ़ेगी। यह प्रक्रिया लगभग कई बार पूरे रास्ते होती है।
ऑल मणिपुर वर्किंग जर्नलिस्ट्स यूनियन (AMWJU) भारत के पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर में कामकाजी पत्रकारों के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक संगठन है। यह एक प्रोफेशनल यूनियन है जिसका उद्देश्य पत्रकारों के अधिकारों और कल्याण की रक्षा करना और प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देना है। अक्सर देखा कि मणिपुर में पत्रकारों को अपने काम के दौरान धमकियों, हिंसा और सेंसरशिप सहित विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
AMWJU पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा की वकालत करने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। वे नैतिक पत्रकारिता के सिद्धांतों को बनाए रखने और मणिपुर में पत्रकारों के व्यावसायिक विकास का समर्थन करने के लिए भी काम करते हैं।
यह संगठन मीडिया नैतिकता, प्रेस की स्वतंत्रता और क्षेत्र में पत्रकारिता मानकों के समग्र सुधार से संबंधित मुद्दों को संबोधित करने में भी मदद करता है।
कई पत्रकार संघों की तरह, AMWJU भी पत्रकारों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने और पत्रकारिता में आम चिंताओं को दूर करने के लिए कार्यशालाओं, सेमिनारों और सम्मेलनों के आयोजन जैसी गतिविधियों में हिस्सा लेता है। मणिपुर में एक स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस बनाए रखने के लिए इस यूनियन का काम आवश्यक समझा जाता है।
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर (EGM) एक संगठन है जो भारतीय राज्य मणिपुर में संपादकों और मीडिया पेशेवरों के सामूहिक हितों का प्रतिनिधित्व करता है। यह कार्य और उद्देश्य में पत्रकार संघों के समान है लेकिन मुख्य रूप से मीडिया उद्योग के संपादकीय पहलुओं पर केंद्रित है।
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर मणिपुर में प्रेस की स्वतंत्रता, पत्रकारिता नैतिकता और संपादकों और मीडिया प्रोफेशनल्स के व्यावसायिक विकास को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है।
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर के प्रमुख कार्यों और उद्देश्यों में शामिल है:
1. प्रेस की स्वतंत्रता की वकालत: ईजीएम मणिपुर में प्रेस की स्वतंत्रता को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने, स्वतंत्र अभिव्यक्ति के अधिकार और मीडिया की जिम्मेदार कार्यप्रणाली की रक्षा करने के लिए काम करता है।
2. नैतिक मानकों को बनाए रखना: गिल्ड अक्सर निष्पक्ष और जिम्मेदार रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करते हुए, क्षेत्र में पत्रकारिता के लिए नैतिक और पेशेवर मानकों को स्थापित और कायम रखता है।
3. व्यावसायिक विकास: ईजीएम अपने सदस्यों के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने, उन्हें विकसित होती पत्रकारिता प्रथाओं के साथ अन्तर्सम्बन्ध रखने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम, कार्यशालाएं और सेमिनार आयोजित करता है।
4. सामान्य चिंताओं को संबोधित करना: गिल्ड संपादकों और मीडिया प्रोफेशनल्स के लिए उनके काम में आने वाले सामान्य मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा करने और उन्हें संबोधित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जिससे इसके सदस्यों के बीच समुदाय की भावना को बढ़ावा मिलता है।
5. सार्वजनिक जागरूकता: ईजीएम मीडिया से संबंधित मुद्दों, जैसे स्वतंत्र प्रेस और जिम्मेदार पत्रकारिता के महत्व पर सार्वजनिक जागरूकता अभियान में शामिल हो सकता है।
एडिटर्स गिल्ड मणिपुर गुणवत्तापूर्ण पत्रकारिता को बढ़ावा देने, संपादकों के हितों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है कि मीडिया मणिपुर राज्य में लोकतंत्र के एक स्वतंत्र और जिम्मेदार स्तंभ के रूप में काम करता है।
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