मध्यप्रदेश: राज्य आयोगों में अध्यक्ष सहित सदस्यों के पद खाली, न्याय के लिए कहां करें फरियाद!

मध्यप्रदेश: राज्य आयोगों में अध्यक्ष सहित सदस्यों के पद खाली, न्याय के लिए कहां करें फरियाद!
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भोपाल। मध्यप्रदेश में महिला, दलित और जनजातीय वर्ग के नागरिकों के हितों की रक्षा और उन्हें न्याय दिलाने के लिए गठित किए गए राज्य आयोगों की हालत खस्ताहाल है। स्थिति इतनी गंभीर है कि प्रदेश के कुछ आयोग तो महीनों से अध्यक्ष और सदस्यों के बिना ही संचालित हैं। बिना अध्यक्ष के उक्त आयोगों में मिलने वाली शिकायतों में सम्बंधित विभाग से सिर्फ जवाब-तलब कर फाइल ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। जिसके कारण पिछड़े, वंचित, शोषित वर्ग के नागरिकों और महिलाओं को समय पर न्याय ही नही मिल रहा।

महिला आयोग की अध्यक्ष दे चुकी है इस्तीफा

मध्यप्रदेश में राज्य महिला आयोग का प्रथम गठन राज्य सरकार द्वारा 23 मार्च 1998 को मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग अधिनियम 1995 (क्र0 20 सन 1996) की धारा 3 के तहत किया गया था। प्रदेश का राज्य महिला आयोग सात सदस्यीय है, छह सदस्य अशासकीय व एक सदस्य शासकीय नियुक्त किया जाता है। राज्य सरकार ने अशासकीय में से अध्यक्ष को मंत्री तथा अन्य सदस्यों को राज्य मंत्री का दर्जा दिया है। जिनके समक्ष महिलाओं के खिलाफ घटी घटनाएं, उत्पीड़न आदि के मामलों में शिकायतों पर सुनवाई की जाती है। शिकायतकर्ता को शीघ्र न्याय दिलाने के लिए कार्रवाई की जाती है। वर्तमान स्थिति में मध्यप्रदेश के महिला आयोग में न तो सदस्य हैं, और न ही कोई अध्यक्ष है। यह आयोग सिर्फ शासकीय अधिकारियों के जिम्मे ही संचालित है।

राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने पिछले महीने 24 जून को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भेजे त्यागपत्र में कहा कि, आयोग की कार्यकारिणी को भंग करने का प्रयास कर उसे न्यायालयीन प्रक्रिया में उलझाकर काम नहीं करने दिया जा रहा है। ऐसे में पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है, इसलिए त्यागपत्र दे रही हूं।

बता दें कि, कांग्रेस की कमल नाथ सरकार ने मार्च 2020 में राज्य महिला आयोग सहित अन्य आयोगों में नियुक्तियां की थीं। 23 मार्च को शिवराज सिंह चौहान ने चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और कमल नाथ सरकार द्वारा आनन-फानन में की गई राजनीतिक नियुक्तियां निरस्त कर दी। फिलहाल आयोग में अध्यक्ष नहीं हैं, साथ ही सदस्य भी न्यायिक प्रक्रिया के चलते काम नही कर रहे हैं।

मध्यप्रदेश की सरकार असंवेदनशील- प्रदीप अहिरवार

मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग के सदस्य प्रदीप अहिरवार (राज्य मंत्री दर्जा प्राप्त) ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा कि, मध्यप्रदेश की सरकार अनुसूचित जाति वर्ग के नागरिकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति असंवेदनशील है। अहिरवार ने बताया कि, "मध्यप्रदेश अनुसूचित जाति आयोग के हालात बहुत खराब है। कई बार मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्राचार कर आयोग को मजबूत करने लिए कहा गया, ताकि एससी वर्ग को तत्काल न्याय मिल सके लेकिन सीएम हमारे पत्रों का उत्तर तक नही देते हैं। आयोग को मजबूत करने की जगह और भी कमजोर कर दिया गया है।

मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जाति आयोग अधिनियम क्रमांक-25 वर्ष-1995 के अन्तर्गत गठित किया गया था। आयोग में एक अध्यक्ष एवं दो सदस्य नियुक्त किए जाते हैं। लेकिन वर्तमान में सिर्फ एक सदस्य ही कामकाज देख रहे हैं। पूर्व की कमलनाथ की सरकार ने मार्च 2020 में अनुसूचित जाति आयोग में अध्यक्ष सहित दोनों सदस्य की नियुक्ति की थी। सरकार बदलते ही सभी प्रशासकीय आदेश निरस्त किए जिसके बाद सदस्य और अध्यक्ष हाईकोर्ट गए थे, फिलहाल मामला न्यायालय के विचाराधीन है।

पिछड़ा वर्ग आयोग में भी पेंच, सरकार ने एक और अन्य आयोग का कर दिया गठन

मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम, 1983, 25 अक्टूबर, 1983 को राज्यपाल की अनुमति प्राप्त हुई। अनुमति मध्य प्रदेश राजपत्र, (असाधारण) में दिनांक 28 अक्टूबर,1983 को प्रथम बार प्रकाशित की गई। मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग आयोग की भी हालत अन्य आयोग की ही तरह है।

सीएम ने पिछले 15 अगस्त, स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के गठन का ऐलान किया था। आयोग का गठन करते हुए पूर्व मंत्री बीजेपी विधायक गौरीशंकर बिसेन को अध्यक्ष भी नियुक्त कर दिया गया था।

प्रदेश में पहले से ही पिछड़ा वर्ग आयोग काम कर रहा है। तत्कालीन कमलनाथ सरकार ने मार्च 2020 में पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद पर जेपी धनोपिया की नियुक्ति की थी। लेकिन कमलनाथ सरकार की सरकार गिरने और बीजेपी की शिवराज सरकार के शपथ लेने के दूसरे दिन नई सरकार ने नियुक्ति को निरस्त कर दिया था। शिवराज सरकार के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी जिस पर कोर्ट ने यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। जेपी धनोपिया के साथ आयोग में अन्य लोग सदस्य भी हैं।

मध्यप्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में भी नही हैं अध्यक्ष

मध्यप्रदेश में वर्ष 1995-96 के अधिनियम द्वारा मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग का गठन किया गया। अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी को मार्च 2020 में तत्कालीन सरकार ने अनुसूचित जनजाति आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया था। लेकिन उनकी नियुक्ति भी अन्य आयोगों के अध्यक्ष, सदस्यों की तरह ही निरस्त कर दी गई।

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