भोपाल। "हम साल 2015 तक 12 नम्बर मार्केट के पीछे झुग्गियों में रहते थे। झुग्गी कच्ची थी, पर हम सुकून से साफ सुथरी जगह पर रह रहे थे। इस बीच नगर निगम ने झुग्गी हटाने के नोटिस देने शुरू कर दिए तीन साल तक यही चलता रहा फिर निगम के अधिकारी बस्ती में आए और उन्होंने पक्के मकान में शिफ्ट कराने की बात कहीं। जब हम सभी लोग मल्टियों के इन फ्लैट में शिफ्ट हुए तो धीरे-धीरे समस्या शुरू हो गई। जो वादे अधिकारी करके गए थे, वह पूरे नहीं हुए। कुछ ही सालों में बिल्डिंग जर्जर होने लगी। छत से सीमेंट टपकता है, अब चारों तरफ सिर्फ गंदगी दिखती है, कोई देखने तक नहीं आता।"
यह पीड़ा इंद्रा नगर मल्टी में रहने वाली शीला बाई के साथ यहां रह रहे सैकड़ों परिवारों की हैं। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में झुग्गीवासियों को प्रधानमंत्री आवास के तहत नगर निगम ने जिन मल्टियों में शिफ्ट किया था, वह 9 सालों के भीतर ही जर्जर हो चुकी हैं। मल्टियों की निर्माण गुणवत्ता इतनी खराब थी कि अब कहीं सीवेज लाइन टूट रही है तो कहीं सीमेंट के टुकड़े मकानों से गिरने लगे हैं।
वर्ष 2015 में बनकर तैयार हुए पीएम आवास की मल्टियों में रहवासियों को रहना मुश्किल हो रहा है। द मूकनायक की टीम शहर के 12 नम्बर स्थित इंद्रा नगर मल्टी में पहुँची। करीब 800 परिवार यहां रहते हैं, इनमें ज्यादातर परिवार दलित वर्ग से हैं।
झुग्गीवासियों को नगर निगम ने 1 लाख 20 हजार रुपए में फ्लैट आवंटित किए थे। महज 400 वर्गफीट के यह फ्लैट काफी छोटे हैं। रहवासियों के मुताबिक निगम ने वादा किया था कि यहां बिजली, पानी स्कूल, पार्क, अस्पताल जैसी सभी सुविधाएं मिलेंगी। लेकिन अब निगम न ही मल्टियों का मेंटनेंस कर रहा है, और न ही अन्य सुविधाएं मिल रहीं हैं।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए इंद्रानगर मल्टी की रहवासी शीला बाई ने बताया कि हमें जिन वादों के साथ नगर निगम ने यहां शिफ्ट किया वह पूरे नहीं किए गए। शीला ने बताया बिल्डिंग की हालत खराब है। छत से सीमेंट के टुकड़े टपकते हैं। दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं। अब कोई अधिकारी देखने तक नहीं आ रहा।
एक और रहवासी रामेश्वर गोयल ने बताया कि यहां एक नहीं अनेक समस्याएं हैं। उन्होंने कहा पिछले तीन दिनों से पानी नहीं आया, यहीं हाल कॉलोनी में बना रहता है, दो दिन ठीक से पानी मिल जाए तो बड़ी बात है। आए दिन मोटर खराब हो जाती है। नगर निगम को दस बार शिकायत करो तब एक बार कोई सुनता है। बिल्डिंग जर्जर हो चुकी है, कंक्रीट से सरिए तक दिखने लगे हैं। हर बारिश में बिल्डिंग के छज्जे गिर रहे हैं।
शहर में करीब एक दर्जन मल्टियां 2015 तक बनकर तैयार हुईं थीं, लेकिन समय के साथ निगम ने यहां की समस्याओं से मुंह मोड़ लिया। यहां पसरी गंदगी और बदबू से लोगों का बुरा हाल है। मल्टियों की सीवेज लाइन टूटने से गंदा पानी सड़क पर फैल रहा है। अधिकतर फ्लैट्स में सीवेज की लाइन चोक हो गईं हैं।
राजीव गांधी आवास योजना और प्रधानमंत्री आवास योजना के 13 हजार 200 मकान बने हैं। शहरी क्षेत्र में झुग्गियों में और किराए के मकान में रह रहे ग़रीब, मजदूर लोगों को 1 लाख 20 हजार रुपए में फ्लैट दिए गए हैं। शुरुआत में 12 हजार रुपए में पजेशन देकर शेष राशि का लोन बैंक से दिलाया गया था, यहां रह रहे परिवारों के मकानों के लोन तक पूरा नहीं हुआ उसके पहले बिल्डिंग जर्जर हो गईं।
भोपाल के श्याम नगर, अर्जुन नगर, होटल मैनेजमेंट के पास, शास्त्री नगर, भोपाल फ्रैक्चर अस्पताल के सामने और 12 नंबर के पास की करीब 18 एकड़ जमीन है। जिस पर मल्टियां बनाई गईं थीं।
इस मामले में द मूकनायक से बातचीत में नगर निगम के सहायक जनसंपर्क अधिकारी संजय शर्मा ने बताया कि, रहवासियों की शिक़ायत पर निगम कार्रवाई करता है। वहां साफ-सफाई की जाती है। इधर द मूकनायक प्रतिनिधि ने पीएम आवास के अधीक्षण मंत्री संतोष गुप्ता को फोन किया। उन्होंने सवाल सुनने के बाद कहा- "अभी व्यस्त हूँ बाद में बात करूंगा।"
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