मध्य प्रदेश: हरदा ब्लास्ट पीड़ितों के समर्थन में बाजार बंद, जानिए क्या हैं मांगें?

पीड़ितों ने कहा- "मांग नहीं मानी तो तेज करेंगे आंदोलन।"
हरदा बंद के दौरान मुख्य बाजार की बंद दुकानें.
हरदा बंद के दौरान मुख्य बाजार की बंद दुकानें.
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भोपाल। मध्य प्रदेश के हरदा पटाखा फैक्ट्री में हुए ब्लास्ट में पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की मांग को लेकर पिछले तीन दिनों से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल जारी है। इसके साथ ही सोमवार को हरदा बंद आह्वान का असर भी रहा, जिसके चलते शहर के बाजार बंद रहे। सर्व समाज के लोग घंटाघर चौक पर धरने पर बैठे हैं। पीड़ित परिवार के लोगों को निर्धारित मुआवजा राशि को बढ़ाने और दोषी अधिकारियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराने सहित अन्य मांगों को लेकर आंदोलन जारी है।

हरदा पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ितों के आह्वान पर आज हरदा के बाजार बंद रहे। मृतकों के परिजन और पीड़ित परिवार तीन दिन से धरने पर बैठे हैं। पीड़ित लोगों का कहना है कि उन्हें बाजार मूल्य के हिसाब से मकानों का मुआवजा दिया जाए या फिर जैसे हमारे मकान बने थे वैसे ही बनाकर दिए जाएं। शुक्रवार से शहर के घंटाघर चौक पर शुरू हुए आंदोलन तेज होता दिख रहा है।

धरने में शामिल लोग
धरने में शामिल लोग

भूख हड़ताल पर बैठे लोगों का कहना है कि तीन सप्ताह बीत जाने के बाद भी शासन की ओर से ठोस आश्वासन नहीं मिला है। भूख हड़ताल पर बैठने वालों में 6 लोग पीड़ित परिवार के और 6 शहर के अलग-अलग समाज के लोग शामिल हैं। धरने पर बैठी तीन महिलाओं की तबियत गत शनिवार को बिगड़ गई। इसके बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा।

धरना दे रहे लोगों का कहना है, की हम सभी पटाखा फैक्ट्री ब्लास्ट के पीड़ितों को न्याय दिए जाने के लिए तीन दिनों से हड़ताल कर रहे हैं, लेकिन कलेक्टर हमसे मिलने तक नहीं आए न ही हमारी मांगों पर कोई बातचीत आगे बढ़ी।

धमाके में 59 मकान क्षतिग्रस्त

पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाके के कारण फैक्ट्री के नजदीक बने 59 मकान क्षतिग्रस्त हो गए थे। इनमें 39 मकान पूरी तरह से तहस-नहस हो गए, इन 39 में से 21 मकानों का निर्माण प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत हुआ था। हादसे को हुए 20 दिन हो चुके हैं, लेकिन इससे प्रभावित हुए लोगों को अभी तक शासन से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। 48 परिवारों के 129 लोगों को राहत शिविर में रखा गया है।

वहीं, कुछ पीड़ित परिवार के लोग हरदा में घंटाघर चौक पर भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं। उनका कहना है कि हमारी जीवनभर की पूंजी खत्म हो गई, प्रशासन ने हमें सवा लाख रुपए दिए हैं। इतने पैसे में हम अपना घर कैसे बनाएं। प्रशासन ने हमें सही से मुआवजा नहीं दिया। दोषी अधिकारियों पर केस दर्ज होना चाहिए।

द मूकनायक से बातचीत करते हुए हरदा के समाज सेवी हेमंत ताले ने बताया कि प्रशासन से बातचीत हुई है, लेकिन लिखित रूप से कोई आश्वासन नहीं दिया गया है, हेमंत ने कहा, "जब तक प्रशासन हमारी मांगों को नहीं मानता हम पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए धरने पर बैठे रहेंगे। तीन दिन हो गए है, हर वर्ग हमारे समर्थन में है, हर हाल में ब्लास्ट पीड़ितों को न्याय दिलाकर रहेंगे। आज हरदा के व्यापारी संघ ने बंद का समर्थन किया है।"

इधर, द मूकनायक से बातचीत करते हुए हरदा एसडीएम केसी परते का कहना है कि पीड़ितों का प्रतिनिधि मंडल कलेक्टर से मिल चुका है। कलेक्टर के आश्वासन पर कुछ परिवारों ने धरना खत्म किया है, सिर्फ चार परिवार संतुष्ट नहीं है। एनजीटी के नियमानुसार मुआवजे का निर्धारण होता है। धरने पर बैठे परिवार प्रक्रिया समझने को तैयार नहीं हैं। इस मामले में हमने हरदा कलेक्टर आदित्य सिंह को फोन किया पर उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।

हादसे में 13 लोगों की हुई थी मौत

बीते 6 फरवरी को मध्य प्रदेश के हरदा पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट हुआ था। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई थी, वहीं दो सौ से ज्यादा लोग घायल हुए थे। भीषण विस्फोट के बाद आस-पास के एक दर्जन से भी ज्यादा मकानों को नुकसान हुआ था। पीड़ितों को मुआवजा देने की बात प्रशासन की ओर से की गई थी, लेकिन करीब ढाई लाख का ही मुआवजा दिया जा रहा है। इस कारण से पीड़ितों के साथ शहर के अन्य लोगों ने उचित मुआवजा देने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया है।

यह हैं मांगें

1. हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट पीड़ितों को उचित मुआवजा, इलाज और संरक्षण दिया जाए।

2. हरदा फैक्ट्री ब्लास्ट की सही वैज्ञानिक जांच, नुकसान का मूल्यांकन हो।

3. पीड़ितों की सही संख्या का पुनः आकलन हो।

4. मामले के जिम्मेदार सरकारी अधिकारियों पर भी केस दर्ज हो और उनपर कानूनी कार्रवाई की जाए।

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