भोपाल। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने अननैचुरल सेक्स के मामले में अहम टिप्पणी करते हुए पति के खिलाफ की गई एफआईआर को रद्द किया है। हाईकोर्ट ने कहा, 'पत्नी से अननैचुरल सेक्स रेप की श्रेणी में नहीं आता, इसलिए यह सजा योग्य नहीं है।' इसके साथ कोर्ट ने संबंधित मामले में दर्ज एफआईआर निरस्त करने के आदेश भी दिए हैं।
कोर्ट ने यह टिप्पणी जबलपुर से जुड़े पारिवारिक विवाद के मामले में की। जबलपुर के रहने वाले एक शख्स की शादी 18 मई 2019 को नरसिंहपुर की युवती से हुई थी। कुछ दिन बाद ही दोनों के बीच विवाद होने लगे। युवती ने 2021 में पति समेत सास-ससुर और ननद के खिलाफ नरसिंहपुर कोतवाली थाने में दहेज मांगने और मारपीट की शिकायत कर दी। उधर, पति ने भी जबलपुर कुटुम्ब न्यायालय में तलाक के लिए अर्जी लगा दी। यह केस अभी विचाराधीन है।
पत्नी ने दहेज प्रताड़ना की शिकायत के बाद 24 अक्टूबर 2023 को महिला ने पति के खिलाफ नरसिंहपुर कोतवाली में आईपीसी की धारा 377, 506 के तहत एक और शिकायत कर दी। नरसिंहपुर पुलिस ने जीरो पर केस दर्ज कर मामला जबलपुर कोतवाली भेज दिया। 14 फरवरी 2023 को पति ने इस एफआईआर पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में चुनौती दी।
इस याचिका पर जस्टिस जीएस अहलूवालिया की कोर्ट में हुई सुनवाई में फैसला शुक्रवार को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। कोर्ट ने कहा, पति-पत्नी के मामलों में धारा 377 लागू नहीं होती. याचिकाकर्ता पति के वकील साजिदउल्ला ने बताया कि पति-पत्नी के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। महिला ने अपने पति पर जबरन अप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का आरोप भी लगाया था। हाईकोर्ट ने यह कहते हुए एफआईआर निरस्त करने के आदेश दिए हैं कि पति-पत्नी के मामलों में धारा 377 लागू नहीं होती।
एफआईआर को चुनौती देने के लिए हाईकोर्ट में सीआरपीसी 482 के तहत याचिका दायर की जा सकती है। द मूकनायक प्रतिनिधि से बातचीत करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट के अधिवक्ता एवं विधि विशेषज्ञ मयंक सिंह ने बताया कि सीआरपीसी 482 की धारा जूठे प्रकरणों में आरोपी को राहत दिलाती है। उक्त धारा के अंतर्गत हाई कोर्ट पुलिस जांच और निचली अदालत की प्रोसिडिंग को देखते हुए सबूत और मिथ्या कहानी के आधार पर फैसला करता है। कई मामलों में कोर्ट ने एफआईआर को मिथ्या करार देकर प्रकरण रद्द किए है, और जूठा प्रकरण दर्ज कराने वाले फरियादी पर भी आर्थिक दंड की कार्रवाई की है।
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