भोपाल। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं का बखान अक्सर करते है। मीडिया हो या कोई मंच सीएम योजनाओं के फायदे और जमीनी स्थिति को भी बताते है, लेकिन सीएम के द्वारा पिछले साल चलाया गया एडॉप्ट एन आंगनबाड़ी अभियान फेल होते दिख रहा है। द मूकनायक ने इस पूरे अभियान को लेकर ग्राउंड जीरो से पड़ताल की है। पेश है हमारी ये रिपोर्टः-
लगभग एक साल पहले प्रदेश में प्रारंभ हुआ एडॉप्ट एन आंगनबाड़ी अभियान अब लगभग ठप्प है। शुरुआती दौर में प्रदेश की सभी 98 हजार आंगनबाड़ी केंद्रों को गोद लेने का दावा किया गया था, परन्तु इसमें एक भी विधायक का नाम नहीं जुड़ा था। जिन आधा दर्जन मंत्रियों ने सहयोग राशि दी थी, उनके द्वारा भी फॉलोअप नहीं लिया जा रहा है। अभियान की हालत खस्ता है। हमारी टीम भोपाल के कोटरा क्षेत्र की आंगनबाड़ी पहुंचीं जहाँ एक टीन शेड के छोटे से कमरे में आंगनबाड़ी संचालित होती है। यहाँ बच्चों को ठीक से बैठने तक की व्यवस्था नहीं थी।
कोटरा की ही एक और आंगनबाड़ी में बच्चों के टीकाकरण का कार्यक्रम चल रहा था। कमरा काफी छोटा था। बैठने तक की जगह नहीं थी। यहाँ मौजूद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रजनी जोशी ने बताया कि विभाग की एक पर्यवेक्षक ने आंगनबाड़ी को गोद लिया है, लेकिन जगह कम है। बच्चों को बैठाने में भी बहुत समस्या होती है।
शहर की बिड़ला मन्दिर कॉलोनी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र परिसर में जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हुए थे, हर तरफ कीचड़ और गंदगी थी। आंगनबाड़ी भवन की भी स्थिति जर्जर थी। स्थानीय निवासी बलराज स्वामी ने बताया कि आंगनबाड़ी की स्थिति बहुत खराब है। रोजाना केंद्र खुलने के बावजूद भी यहाँ साफ-सफाई नहीं की जा रही है। गंदगी, पेड़-पौधे और झाड़ होने के कारण साँप, बिच्छू जैसे जहरीले जीव-जंतु परिसर से निकलते हैं।
मुख्यमंत्री ने पिछले साल 24 मई को भोपाल में जन समुदाय से खिलौने जोड़कर आंगनबाड़ी केंद्रों के कायाकल्प का अभियान प्रारंभ किया था। मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष सहित दो मंत्री, चार सांसद सहित 17 हजार जनप्रतिनिधियों ने केंद्र गोद लिए थे। इस अभियान में 26 हजार से अधिक कर्मचारी और अधिकारी भी आगे आए थे। 1 लाख 9 हजार से अधिक लोगों के माध्यम से कुल 26 करोड़ से अधिक की राशि जुटाई गई थी। इसके बावजूद भी आंगनबाडि़यों की स्थिति बद्तर है।
वहीं शहर के सुनहरी बाग स्थित आंगनबाड़ी की हालत शहर के अन्य केन्द्रों से बेहतर थी। इसका कारण मुख्यमंत्री द्वारा इस केंद्र को खुद गोद लेना था। सीएम की एडॉप्ट की गई आंगनबाड़ी देखने में तो ठीक थी, मगर दोपहर के 12 बजे करीब यहाँ ताला लगा था। बच्चे भी नहीं थे।
मध्य प्रदेश सरकार के अभियान और योजनाओं पर विपक्ष भी हमलावर है। कांग्रेस का आरोप है कि सीएम सिर्फ घोषणाएं कर रहे है, जमीन पर योजनाओं के परिणाम शून्य है। द मूकनायक से बातचीत करते हुए मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता नितिन दुबे ने कहा कि सीएम योजना बना रहे हैं और आंगनबाडि़यों को गोद लेने की बात कर रहे है, लेकिन योजनाओं का लाभ जमीन तक नहीं पहुँच रहा। सिर्फ कागजों में यह योजनाएं संचालित हैं।
प्रदेश की राजधानी भोपाल की आंगनबाडि़यों की नाजुक स्थिति से प्रदेश के ग्रामीण अंचलों में संचालित आंगनबाड़ी केन्द्रों की स्थिति को समझा जा सकता है। सरकार जनकल्याण के लिए सैकड़ों योजनाएं और अभियान शुरू करती है, लेकिन सरकार में बैठे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि और अधिकारी ध्यान न दें तो, योजना की बद्दतर हालात होना लाजमी है। इस मामले में द मूकनायक प्रतिनिधि ने जिला महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी सुनील सोलंकी से बातचीत करने के लिए कई बार फोन किया, लेकिन उनसे सम्पर्क नहीं हो पाया।
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