भोपाल। मध्य प्रदेश के सतना जिले में बजरंग दल ने धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग मंत्री से जिले का प्रसिद्ध मैहर माता मंदिर से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की मांग की है। जिसके बाद धर्मस्व विभाग ने मुस्लिम कर्मचारियों को हटाए जाने को लेकर कलेक्टर को पत्र भेजा है। इसके साथ ही विभाग ने मैहर में मांस और मदिरा की बिक्री भी बंद करने को लेकर सतना कलेक्टर से जांच प्रतिवेदन मांगा है।
इस मामले में सतना कलेक्टर अनुराग वर्मा का कहना है कि मंत्री उषा ठाकुर का पत्र प्राप्त हुआ है। उसके संबंध में परीक्षण कराया जाएगा और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। विश्व-हिंदू परिषद (बजरंग दल) सतना ने संस्कृति एवं धर्मस्व मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है। जिस पर जांच की जा रही है।
27 फरवरी 2023 में विश्व हिंदू परिषद/बजरंग दल के शिकायती मांग पत्र पर संज्ञान लेकर राज्य धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव को संस्कृति और धर्मस्व विभाग की मंत्री उषा ठाकुर ने पत्र लिखा पत्र में उल्लेखित है कि 'भानुप्रताप सिंह, विश्व हिन्दू परिषद / बजरंग दल, महाकौशल प्रान्त मैहर जिला सतना से संयुक्त हस्ताक्षरित आवेदन पत्र मूलतः संलग्न हैं, जिसमें उनके द्वारा माँ शारदा मंदिर की धार्मिक नगरी मैहर से मांस एवं मदिरा की दुकान हटाये जाने एवं प्रबंधक समिति से मुस्लिम कर्मचारी को हटाए जाने के संबंध में निवेदन किया है। पत्र में उल्लेखित तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए उक्त के संबंध में अतिशीघ्र कार्यवाही करें एवं की गई कार्यवाही से मुझे अवगत करावें।' धर्मस्व उपर मुख्य सचिव ने मंत्री के पत्र मिलने के बाद सतना कलेक्टर को 15 दिन में जांच कर प्रतिवेदन भेजने को कहा। लेकिन जब विभाग को तय समय सीमा में प्रतिवेदन नहीं मिला तब पुनः कलेक्टर को रिमांडर जारी कर मैहर नगरी में मांस-मदिरा की ब्रिकी बंद कराने और शारदा मंदिर समिति से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने का आदेश दिया गया था। उप सचिव पुष्पा कुलेश ने 3 दिन में प्रतिवेदन भेजने को कहा है।
सतना जिले में मैहर स्थित शारदा माता मंदिर के प्रबंधन के लिए 2003 में मध्य प्रदेश मां शारदा देवी मंदिर अधिनियम बनाया गया था। मन्दिर अधिनियम के अनुसार धारा 6 में प्रबंध समिति के गठन का प्रावधान है। इसके मुताबिक सतना कलेक्टर इस समिति के पदेन अध्यक्ष होंगे। अगर कलेक्टर सदस्यता के लिए पात्र न हों तो कलेक्टर से नामांकित कोई अपर कलेक्टर या डिप्टी कलेक्टर समिति का अध्यक्ष होगा। इसी प्रावधान की उपधारा 3 में स्पष्ट किया गया है कि कोई भी ऐसा व्यक्ति जो हिंदू धर्म को न मानता हो अथवा मंदिर में की जाने वाली पूजा के स्वरूप को स्वीकार न करता हो वह समिति की सदस्यता के लिए पात्र नहीं होगा। मंदिर प्रबंध समिति में कलेक्टर की ओर से नामांकित चार व्यक्ति, राज्य सरकार से नामांकित एक पुजारी, जनपद पंचायत मैहर के अध्यक्ष, मंदिर वाले गांव अरकंडी के सरपंच के अलावा राज्य सरकार से नामांकिन चार व्यक्तियों को रखने की व्यवस्था है। इसके साथ एक प्रशासक की नियुक्त करने का नियम है। प्रशासक तहसीलदार स्तर का अधिकारी होगा।
अधिनियम में प्रशासक भी हिंदू होना अनिवार्य है। समिति उप नियमों के तहत दूसरे कर्मचारियों की नियुक्ति करती है। कानून में कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए ऐसी कोई धार्मिक अनिवार्यता नहीं दी गई है। जिसमें यह लिखा हो कि अन्य धर्म के लोग कर्मचारी नियुक्त नहीं किए जा सकते। वर्तमान में मंदिर के लिए 300 लोग काम करते हैं। सरकार ने 146 पद मंजूर किए हैं, जिसमें से करीब 141 पर नियुक्तियां हैं। कुछ लोग सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वहीं बाकी के लोग दैनिक वेतनभोगी के तौर पर काम कर रहे हैं। उनको कलेक्टर दर पर भुगतान होता है।
शारदा देवी मंदिर की प्रबंध समिति के तहत अभी दो मुस्लिम कर्मचारी काम कर रहे हैं। उसमें से एक आबिद 1993 से मंदिर की सेवादार हैं। उन्होंने बताया है कि मंदिर समिति ने उन्हें दैनिक वेतन भोगी के तौर पर भर्ती किया था। उस समय मंदिर समिति और प्रशासन किसी ने भी धर्म पर जोर नहीं दिया था। मंदिर समिति को कर्मचारी चाहिए था, तत्कालीन प्रशासन आरके निरंजन ने उन्हें बुलाकर मस्टर रोल पर भर्ती किया था। 2012 में उन्हें नियमित कर दिया गया। वे मंदिर के लीगल सेल और वाहन शाखा का काम देखते हैं। मंदिर के एक और कर्मचारी अयूब वहां 1988 से काम कर रहे हैं। वे मंदिर परिसर में पानी सप्लाई की व्यवस्था देखते हैं।
बजरंग दल ने मंत्री के द्वारा दिए गए निर्देशों का स्वागत करते हुए माता शारदा की महाआरती का भी ऐलान कर दिया है। बजरंग दल के जिला संयोजक महेश तिवारी ने कहा कि हम वर्षों से यह मांग करते आ रहे हैं, जिस पर अमल होने की बारी अब आई है। विश्व-हिंदू परिषद सतना ने मंत्री को पत्र दिया था, जिसमें समिति से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने की मांग की गई थी। मां शारदा देवी मंदिर प्रबंध समिति के अधीक्षक नंदकिशोर पटेल के मुताबिक मुस्लिम कर्मचारियों को बाहरी काम सौंपा गया है। उन्होंने बताया कि कर्मचारी समिति के निर्देश पर काम करते हैं।
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