जयपुर: इरादे नेक हो तो सपने भी साकार होते हैं. अगर सच्ची लगन हो तो रास्ते आसान होते हैं. फिर राह में कितनी भी बाधाएं आकर खड़ी क्यों ना हो जाए, कदम मंजिल तक पहुंच ही जाते हैं. मध्यप्रदेश के सागर जिले के छोटे से गांव बिचपुरी के निवासी कृष्णकांत साहू ने भी हौंसलों से अपनी मंजिल हासिल की है. जी हां , एक गरीब मजदूर के बेटे कृष्णकांत साहू ने राजस्थान के कोटा शहर में रहकर जेईई की परीक्षा पास की. कृष्णकांत अपने गांव का अकेला पहला छात्र है जो आईआईटी में पढ़ेगा.
कृष्णकांत की अभावों से भरी जिंदगी के बीच सफलता की कहानी के चर्चे पूरे देश में गांव से लेकर शहरों तक हो रहे हैं. कृष्णकांत साहू आर्थिक तंगी के कारण अपने सपनों को अधूरा छोड़ देने वाले वाले हजारों छात्रों के लिए रोल मॉडल बन गया है.
कृष्णकांत साहू के पिता मध्यप्रदेश के सागर जिले बिचपुरी गांव में दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. रहने के लिए परिवार के पास कच्चा घर है. इसके बावजूद उनके होनहार बेटे ने सफलता हांसिल की है. कृष्णकांत की सफलता कहानी Indiatimes.com ने रिपोर्ट की है.
कृष्णकांत साहू बचपन से ही अभावों में पले बढ़े हैं. उसके पास अगर कुछ था तो वो थी शिक्षा, जिसके दम पर उसने आज एक ऐसी उपलब्धि पाई है जो अब तक पूरे गांव में किसी के पास नहीं थी. कृष्णकांत अब अपने गांव के पहले आईआईटीयन बनेंगे. परिवार की कठिन परिस्थितियों के बीच उन्होंने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक जेईई-एडवांस्ड क्रेक कर ली है.
पत्रकार प्रकाश झा लिखते हैं कि एक तरफ कृष्णकांत के परिजन कड़ी मेहनत कर दिनभर पसीना बहा रहे थे तो दूसरी तरफ कृष्णकांत ने खुद को किताबों को समर्पित कर दिया. कृष्णकांत के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं. पिता की मजदूरी पर ही इनका परिवार पलता है, अगर कभी मजदूरी ना मिले तो बच्चों का पेट भरना तक मुश्किल हो जाता है. ऐसे हालात में भी ना कृष्णकांत ने पढ़ाई छोड़ी और ना उनके पिता ने उनका साथ छोड़ा.
बेटे के जेईई-एडवांस क्लियर होने से गरीब पिता कमलेश की आंखों में सपने झिलमिलाने लगे हैं. बेटे ने आईआईटीयन बनने की तरफ कदम बढ़ाया तो इस मजदूर पिता को लगने लगा उनकी मेहनत सफल हो गई. अब उन्हें यकीन है कि उनके बेटे का जीवन सुधर जाएगा. कृष्णकांत ने जेईई-मेन में 91 पर्सेंटाइल स्कोर किए और जेईई-एडवांस्ड में उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 924 हासिल की. कृष्णकांत ने कड़ी मेहनत की और आईआईटी में अपनी सीट पक्की कर ली. उसे आईआईटी कानपुर में सीएस ब्रांच मिलने की पूरी उम्मीद है.
पिता कमलेश साहू मजदूरी के साथ साथ अपनी डेढ़ एकड़ जमीन पर खेती भी करते हैं. जिससे परिवार के खाने लायक अनाज हो जाता है. कच्चे मकान में रहने वाले कमलेश साहू 12वीं और उनकी पत्नी कुन्ती 8वीं कक्षा तक पढ़ी हैं. परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए वह खेती के साथ दिहाड़ी मजदूरी करते हैं. कृष्णकांत के माता पिता कहते हैं कि उन्होंने भी अगर पढ़ाई कर ली होती तो आज जीवन कुछ और होता, लेकिन अब वह कृष्णकांत को नहीं रोकना चाहते.
वह नहीं चाहते कि उनके बच्चे भी उनकी तरह रोजमर्रा के जीवन के लिए संघर्ष करें, इसलिए वह रात-दिन मेहनत कर बच्चों को पढ़ा रहे हैं. ताकि उनका भविष्य संवर जाए. कृष्णकांत की बड़ी बहन जूली साहू बीएससी कर चुकी है, जबकि छोटा भाई शिवकांत 10वीं कक्षा में है.
एक न्यूज चैनल के अनुसार 10वीं में 97.5 प्रतिशत और 12वीं में 92.2 प्रतिशत अंक लाने वाले कृष्णकांत की प्रतिभा देखते हुए गांव के एक प्राइवेट स्कूल ने कक्षा 6 से 10वीं तक उसे निशुल्क शिक्षा दी थी. इसके बाद उसने सागर जाकर सरकारी स्कूल से 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई की. साल 2020 में 10वीं पास करने के बाद कृष्णकांत 11वीं कक्षा में गया तो कोरोना काल आ गया. स्कूल बंद हो गए और ऑनलाइन पढ़ाई होने लगी लेकिन कृष्णकांत के घर के ऐसे हालात थे कि उसके पास ऑनलाइन पढ़ने के लिए मोबाइल तक नहीं था. इस वजह से करीब दो महीने तक उसकी पढ़ाई रूकी रही. बाद में किसी रिश्तेदार ने कृष्णकांत के लिए मोबाइल की व्यवस्था की थी.
रिपोर्ट के अनुसार कृष्णकांत ने 2022 में 12वीं पास करने के बाद सेल्फ स्टडी कर जेईई मेन्स परीक्षा दी. 53 परसेन्टाइल स्कोर किए. स्कूल के टीचर्स ने बताया कि जेईई के लिए कोटा से तैयारी करनी होगी. जिसके बाद उसने एक कोचिंग सेंटर में एडमिशन लिया. जनवरी 2023 में उसने दोबारा मेन्स की परीक्षा दी. 76 परसेन्टाइल स्कोर किए. वह निराश था लेकिन फैकल्टीज के प्रोत्साहन पर उसने कमजोर टॉपिक्स पर फोकस कर उन्हें मजबूत किया. आखिरकार जेईई मेन्स अप्रैल 2023 के अटैम्प्ट में उसने 91 परसेन्टाइल स्कोर कर सफलता पा ली.
कृष्णकांत को उम्मीद है कि आईआईटी कानपुर में उसे सीएस ब्रांच मिल जाएगी. इंजीनियरिंग के बाद वह कुछ समय के लिए जॉब कर परिवार की स्थिति बेहतर करना चाहता है. इसके बाद वह खुद का बिजनेस करने को उत्सुक है. उसकी इच्छा है कि वह जॉब करने की जगह लोगों को जॉब दें.
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