मध्य प्रदेश। इंदौर जिले के अनाथालय से रेस्क्यू किये गए बच्चों का आरोप है कि उनके साथ अमानवीयता की जाती थी। इस अनाथालय में महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान ओडिशा और मध्य प्रदेश के 21 बच्चे शामिल हैं। तथाकथित अनाथालय में सजा के नाम पर बच्चों से क्रूर बर्ताव के से आरोप में 5 महिलाओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। पुलिस के एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। उधर बच्चों का परिसर चलाने वाली एक गैर सरकारी संस्था ने इसे अनाथालय के बजाय छात्रावास बताया है और प्रशासन की कार्रवाई को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है।
पुलिस के एक अधिकारी ने द मूकनायक को बताया कि इंदौर जिला प्रशासन ने विजय नगर क्षेत्र में 'वात्सल्यपुरम्' नाम के कथित अनाथाश्रम को अवैध संचालन के आरोप में 12 जनवरी को सील कर दिया था। इसमें रह रहीं 21 लड़कियों को राजकीय बाल संरक्षण आश्रम और एक अन्य संस्था में भेज दिया गया था। इन लड़कियों की उम्र 4 से 14 साल के बीच है। अधिकारी के मुताबिक कथित अनाथालय में रहने वाली लड़कियों ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) को बताया कि इस परिसर में सजा के नाम पर बच्चों से क्रूर बर्ताव किया जाता था। उन्होंने 17 जनवरी की रात दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा कि 4 साल की एक बच्ची ने जब अपने कपड़े गंदे कर दिए थे तो उसे पिटाई के बाद कई घंटों तक बाथरूम में बंद रखा गया और 2 दिन तक खाना भी नहीं दिया गया।
प्राथमिकी में यह आरोप भी लगाया गया है कि कथित अनाथालय में बच्चों को उल्टा लटका दिया जाता था और नीचे गर्म तवे पर लाल मिर्च रखकर धूनी जलाई जाती थी। अधिकारी ने बताया कि प्राथमिकी में 2 बच्चों में एक नाबालिग लड़की के हाथों को गर्म चिमटे से जबरन दगवाए जाने और एक लड़की को अन्य बच्चों के सामने निर्वस्त्र किए जाने के बाद भट्टी के पास ले जाकर जलाने की धमकी दिए जाने के भी आरोप हैं।
इस मामले में 'वात्सल्यपुरम्' परिसर चलाने वाली संस्था 'वात्सल्यपुरम् जैन वेलफेयर सोसायटी' ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है। संस्था के वकील विभोर खंडेलवाल ने कहा कि 'वात्सल्यपुरम्' कोई अनाथालय नहीं, बल्कि एक छात्रावास है, जहां महज 5 रुपए की वार्षिक फीस में आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों की देखभाल की जाती है। खंडेलवाल ने दावा किया कि प्रशासन ने अनधिकृत तौर पर 'वात्सल्यपुरम्' को सील किया और इसमें रह रहे बच्चों को अन्य संस्थाओं में भेजे जाते वक्त तय कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
उन्होंने बताया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में गुहार की गई है कि इस परिसर के बच्चों को छात्रावास प्रशासन या उनके माता- पिता को सौंपा जाए। खंडेलवाल ने संस्था के लोगों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के आरोपों को खारिज भी किया।
विजय नगर पुलिस थाने की उपनिरीक्षक कीर्ति तोमर ने बताया कि भारतीय दंड विधान और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों के तहत दर्ज प्राथमिकी में अनाथालय से जुड़ीं 5 महिलाओं के नाम हैं। इन आरोपों की जांच अभी शुरुआती स्तर पर है। उपनिरीक्षक ने बताया कि फिलहाल इस मामले में किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
इंदौर की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) की अध्यक्ष पल्लवी पोरवाल ने कहा कि अनाथालय से बचाए गए बच्चे राजस्थान और गुजरात के रहने वाले हैं। हमने इन राज्यों के संबद्ध बाल कल्याण समितियों को पत्र लिखकर कहा है कि व इन बच्चों की सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि का पता लगाकर हमें रिपोर्ट सौंपें ताकि इनका पुनर्वास किया जा सके।
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