जमानत के बाद भी नजरबंद रहेंगे पत्रकार गौतम नवलखा

पत्रकार गौतम नौलखा
पत्रकार गौतम नौलखा
Published on

नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव मामले में जेल में बंद पत्रकार गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने नवलखा को रिहा करने का आदेश दे दिया है जिसके बाद उन्हें नवी मुंबई के तलोजा जेल से रिहाई मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें अगले एक महीने तक नजरबंद रखा जाएगा। उनकी गंभीर बीमारियों को देखते हुए उन्हें नजरबंद रखने का फैसला सुनाया गया है।

माकपा की बिल्डिंग में रखा जाएगा नजरबंद

रिहाई के बाद गौतम नवलखा को नवीं मुंबई के बेलापुर-अग्रोली इलाके के कॉमरेड बी टी रणदिवे मेमोरियल लाइब्रेरी की पहली मंजिल पर रखा जाएगा। इस बिल्डिंग में मार्क्सवादी पार्टी का पुस्तकालय भूतल पर है। इसी बिल्डिंग के पहली मंजिल पर एक बड़े हॉल में गौतम नवलखा अपनी साथी सहबा हुसैन के साथ रहेंगे। नजरबंदी के बाद उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है।

नवलखा को पुलिस ने क्यों किया था गिरफ्तार

साल 2017 की 31 दिसंबर को नवलखा ने पुणे में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में एक भाषण दिया था। पुलिस के अनुसार यह एक भड़काऊ भाषण था। पुलिस ने यह दावा किया था कि अगले दिन पश्चिमी महाराष्ट्र के बाहरी इलाके कोरेगांव भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी।

हिंसा के पहले आयोजित कार्यक्रम को प्रतिबंधित सीपीआईएम से जुड़े लोगों द्वारा आयोजित किया था। 1 जनवरी 2018 को भड़की हिंसा के मामले को पुलिस ने उक्त भाषण के साथ जोड़ते हुए एक दर्जन से अधिक सामाजिक कार्यकर्ता और शिक्षाविदों को आरोपी बनाया था। बाद में यह मामला एनआईए को सौंप दिया गया था। 10 नवंबर को हुई गौतम नवलखा की रिहाई पर एनआईए ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट के रिहा नहीं करने की अपील की थी।

साल 2020 में किया था सरेंडर

आपको बता दें कि इससे पहले डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती 14 अप्रैल के दिन साल 2020 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गौतम नवलखा ने अपने आपको एनआईए के समक्ष सरेंडर किया था। जिसके बाद उन्हें दिल्ली के तिहाड़ जेल में बंद रखा गया था। कोरोना के दौरान उन्होंने अपनी बीमारियों के लिए अंतरिम जमानत की भी मांग की थी। लेकिन यह अर्जी खारिज कर दी गई थी। इतना ही नहीं उन्हें दिल्ली से नवीं मुंबई की जेल में शिफ्ट कर दिया गया।

गौतम नवलखा को जमानत से पहले वकील और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज और लेखक वरवरा राव को जमानत मिल गई थी। वहीं इसी मामले में जेल में बंद फादर स्टेन स्वामी की जमानत की आस में जेल में ही मौत हो गई।

कौन हैं गौतम नवलखा?

गौतम नवलखा एक मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार हैं जो अंग्रेजी की पात्रिका द इकोनॉमिक और पॉलिटिकल वीकली के एडिटर कंसलटेंट रह चुके हैं। यह मुख्य रूप से लेफ्ट विंग के लिए लिखते रहते हैं। साथ ही भारतीय आर्मी और कश्मीर में होने वाली प्रताड़ना के बारे में प्रमुख रूप से लिखते रहे हैं। नवलखा पीपल्स यूनियन फॉर डेमोक्रेटिक राइट के सेक्रेटरी रह चुके हैं।

क्या है भीमा कोरेगांव मामला?

भीमा-कोरेगांव वो जगह है, जहाँ एक जनवरी 1818 को मराठा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ था। इस युद्ध में दलित महार समुदाय ने पेशवाओं के खिलाफ अंग्रेजों की ओर से लड़ाई लड़ी थी। अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने महार रेजिमेंट की बदौलत ही पेशवा की सेना को हराया था। इस घटना के 200 साल पूरे होने पर 31 दिसंबर, 2017 में पुणे में दलित संगठनों व एल्गार परिषद की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में दलित समाज से लोग एकत्र हुए थे। मामला कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुणे पुलिस का दावा था कि, "इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं।" मामले की जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी। हिंसा फैलाने में हिंदू संगठन के लोगों का भी नाम सामने आया था।

द मूकनायक की प्रीमियम और चुनिंदा खबरें अब द मूकनायक के न्यूज़ एप्प पर पढ़ें। Google Play Store से न्यूज़ एप्प इंस्टाल करने के लिए यहां क्लिक करें.

The Mooknayak - आवाज़ आपकी
www.themooknayak.com