भोपाल। मध्यप्रदेश में निवासरत विमुक्त घुमक्कड़ अर्धघुमक्कड़ और पिछड़ा वर्ग के युवाओं को सरकार कौशल प्रशिक्षण के लिए जापान भेजेगी, जिसका प्रस्ताव भी हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की अध्यक्षता में आयोजित हुई कैबिनेट की बैठक में पारित हो गया है। इस योजना के अंतर्गत सरकार युवाओं को जापान भेज कर स्किल डवलपमेंट के कोर्स से जोड़ेगी, लेकिन इस योजना का लाभ लेने के लिए 1 लाख रुपए जमा कराने होंगे। अब इस पूरी योजना पर सवाल उठ रहे हैं कि जब देश में ही युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए प्रशिक्षण दिलाए जा सकते हैं तो फिर सरकार युवाओं को जापान में ऐसे किस तरह के प्रशिक्षण दिलाएगी? द मूकनायक ने इस पूरी योजना की पड़ताल की है। पढि़ए हमारी खास रिपोर्ट...
मध्यप्रदेश में वर्तमान वर्ष 2023 में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते बीजेपी ने आदिवासी, दलित, पिछड़ा वर्ग सहित अन्य पिछड़ी जातियों को साधना शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि चुनावी साल में राजनीतिक पार्टियां जनता को लुभाने के लिए तमाम योजनाओं की घोषणा करती हैं, साथ ही मौजूदा सरकार जनता के बीच जाने से पहले हर वर्ग को साधने की कोशिश करती है।
जानकारी के अनुसार, पहले चरण में 200 युवाओं को ट्रेनिंग के लिए जापान भेजा जाएगा। ट्रेनिंग के लिए जाने वाले युवाओं को इसके लिए 1 लाख रुपए जमा करने होंगे, इस पर विपक्ष ने सरकार की इस योजना पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह का कहना है कि प्रदेश में 40 लाख युवा बेरोजगार हैं और अब सरकार ट्रेनिंग के नाम पर भी युवाओं से वसूली करने में जुट गई है।
इस पूरी योजना को समझने के लिए द मूकनायक ने मध्यप्रदेश सरकार के पिछड़ा वर्ग अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रामखेलावन पटेल से बातचीत की। मंत्री ने बताया कि, "विमुक्त घुमक्कड़ वर्ग और पिछड़ा वर्ग के बेरोजगार युवाओं को तीन साल के लिए जापान भेजा जाएगा। पहले प्रशिक्षण के लिए गए युवाओं को तीन महीने भाषा ज्ञान और फिर उनकी रुचि के अनुसार फील्ड के कौशल सिखाकर जापान में ही नौकरी दी जाएगी। तीन वर्ष पूर्ण होने पर युवाओं को वापस भारत बुला लिया जाएगा।"
मंत्री पटेल ने बताया कि, "तीन वर्षों में सीखे गए कामों के बाद उन्हें भारत में आसानी से नौकरी मिल जाएगी। सरकार इस योजना में जापान जा रहे युवा को एक लाख की प्रोत्साहन राशि के रूप में देगी। वहीं एक लाख रुपए युवा को देने होंगे।"
इस मामले में द मूकनायक ने ऑल इंडिया विमुक्त जाति चैरिटेबल फाउंडेशन के राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप नागर से बातचीत की, उन्होंने बताया कि घुम्मकड़ जाति के लोग रोजगार की तलाश में ही एक स्थान से दूसरे स्थान आते-जाते हैं। इनमें से कई लोग ऐसे भी हैं जिनके आधार कार्ड और राशनकार्ड तक नहीं बन पाए हैं। उन्हें कैसे सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाएगा।
प्रदीप नागर ने बताया कि, "घुमक्कड़ समाज के लोग शिक्षित नहीं है, और अतिगरीबी रेखा के नीचे हैं। इनके पास रहने को मकान तक नहीं है। ऐसे में जापान जाने के लिए 1 लाख की बड़ी रकम जुटाना इनके लिए आसान नहीं होगा। सरकार सिर्फ योजना बना कर वाहवाही लूटना चाहती है।"
ऑल इंडिया विमुक्त जाति चौरिटेबल फाउंडेशन के राष्ट्रीय महासचिव प्रदीप नागर ने कहा कि, "सरकार यह योजना सिर्फ वर्ग को लुभाने के लिए संचालित कर रही है। बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण देने के लिए जापान भेजने की क्या आवश्यकता है। उन्हें भारत में प्रशिक्षित किया जा सकता है। देश में ही बहुत से इंस्टिट्यूट, कंपनियां हैं, जिनमें प्रशिक्षण के बाद अच्छी नौकरी मिल सकती है।"
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