जबलपुर कोर्ट ने बीजेपी सांसद कंगना रनौत को इस बयान पर भेजा नोटिस, जानिए पूरा मामला?

इस विवादित बयान के अलावा, कंगना रनौत ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर भी अपनी बेबाक राय रखी है। सितंबर 2021 में हिमाचल प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान कंगना ने मीडिया से बातचीत में तीनों कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि "किसानों के हित में इन कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। किसान हमारे देश की रीढ़ हैं और उनकी समृद्धि में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।"
जबलपुर कोर्ट ने बीजेपी सांसद कंगना रनौत को इस बयान पर भेजा नोटिस, जानिए पूरा मामला?
बीजेपी सांसद कंगना रनौत
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भोपाल। एक्ट्रेस और बीजेपी सांसद कंगना रनौत को जबलपुर जिला न्यायालय ने उनके 2021 के विवादित बयान को लेकर नोटिस जारी किया है। यह मामला उनके उस बयान से जुड़ा है जिसमें उन्होंने कहा था कि "असली आजादी 2014 में मिली थी, 1947 में तो भीख मिली थी।" यह बयान उन्होंने एक मीडिया नेटवर्क के वार्षिक शिखर समिट के दौरान दिया था, जिसके बाद उनके बयान पर विवाद शुरू हुआ था।

कंगना के इस बयान के खिलाफ जबलपुर के अधिवक्ता अमित साहू ने 2021 में कोर्ट में शिकायत दर्ज की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि एक सेलिब्रेटी होते हुए कंगना का यह बयान न केवल शर्मनाक है, बल्कि देश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का अपमान भी है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह के बयान से समाज में गलत संदेश जाता है और यह स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष को कमतर करने जैसा है।

सोमवार को न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी, विश्वेश्वरी मिश्रा की कोर्ट में इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें कोर्ट ने पाया कि कंगना का बयान उचित नहीं था और उन्होंने इस पर कंगना को नोटिस जारी किया। मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर 2024 को होगी। हालांकि, कंगना इस बयान को लेकर पहले ही सार्वजनिक रूप से माफी मांग चुकी हैं।

क्या है पूरा मामला?

2021 में एक राष्ट्रीय मीडिया नेटवर्क के वार्षिक शिखर समिट में गेस्ट स्पीकर के रूप में कंगना ने वीर सावरकर, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई और नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जिक्र करते हुए कहा था कि "1947 में हमें आजादी नहीं मिली, वह भीख थी। असली आजादी हमें 2014 में मिली।" इस बयान के बाद कंगना को भारी आलोचना का सामना करना पड़ा था, खासकर सोशल मीडिया और राजनीतिक गलियारों में। उनके इस बयान को लेकर कई वर्गों ने नाराजगी जताई और इसे भारत के स्वतंत्रता संग्राम का अपमान बताया था।

कृषि कानून का किया था समर्थन

इस विवादित बयान के अलावा, कंगना रनौत ने कृषि कानूनों के मुद्दे पर भी अपनी बेबाक राय रखी है। सितंबर 2021 में हिमाचल प्रदेश में एक कार्यक्रम के दौरान कंगना ने मीडिया से बातचीत में तीनों कृषि कानूनों को दोबारा लागू करने की वकालत की थी। उन्होंने कहा था कि "किसानों के हित में इन कानूनों को वापस लाया जाना चाहिए। किसान हमारे देश की रीढ़ हैं और उनकी समृद्धि में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए।"

यह बयान उस समय आया जब केंद्र सरकार ने 14 महीने लंबे किसान आंदोलन के बाद विवादित कृषि कानूनों को वापस ले लिया था। कंगना ने इस मुद्दे पर भी कहा कि किसानों को खुद इन कानूनों को लागू करने की मांग करनी चाहिए। उनके इस बयान ने एक बार फिर उन्हें विवादों के घेरे में ला दिया था, खासकर किसान नेताओं और आंदोलनकारियों के बीच।

किसान आंदोलन पर कंगना की टिप्पणी

कंगना रनौत ने किसान आंदोलन को लेकर भी तीखे बयान दिए थे। अगस्त 2021 में एक दैनिक अखबार को दिए इंटरव्यू में कंगना ने कहा था कि "पंजाब में किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रवियों द्वारा हिंसा फैलाई जा रही थी। वहाँ रेप और मर्डर हो रहे थे। यदि सरकार सख्त रुख नहीं अपनाती तो पंजाब को भी बांग्लादेश बना दिया जाता।" उनके इस बयान ने एक बार फिर किसान आंदोलन के समर्थकों और नेताओं के बीच गुस्से की लहर पैदा कर दी थी।

माफी के बावजूद कोर्ट की कार्रवाई

कंगना ने अपने इस बयान के लिए सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि "यदि मेरे बयान से किसी को ठेस पहुंची है तो मैं अपने शब्द वापस लेती हूं। मेरा उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था।" बावजूद इसके, कोर्ट ने यह माना है कि कंगना का बयान सही नहीं था और इस पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए।

5 नवंबर को अगली सुनवाई

अब इस मामले की अगली सुनवाई 5 नवंबर 2024 को होगी। कोर्ट द्वारा जारी इस नोटिस के बाद कंगना के वकील को अदालत में अपना पक्ष रखना होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि कंगना इस कानूनी प्रक्रिया में क्या रुख अपनाती हैं, खासकर जब वह पहले ही अपने बयान पर माफी मांग चुकी हैं।

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