भोपाल। मध्य प्रदेश सरकार पर बढ़ रहे कर्ज और प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता के कारण अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की राशि स्वीकृत होने के बावजूद भी हितग्राहियों के खाते में नहीं पहुँच रही। इस योजना की हालात खराब है। द मूकनायक से राज्य अनुसूचित जाति विकास विभाग की अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना की पड़ताल की है। पेश है हमारी ये खास रिपोर्ट:-
दरअसल मध्य प्रदेश में अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना दम तोड़ती नजर आ रही है। पहले तो सरकार इस योजना के प्रचार-प्रसार में भी किसी तरह का काम नहीं कर रही थी। इसके बावजूद जैसे-तैसे जागरूक लोग आवेदन भी करते है, योजना के अंतर्गत दी जाने वाली राशि स्वीकृत भी होती है पर इसका आवंटन नहीं हो पाता। स्थिति यह है, कि अधिकांश लोगों को इस योजना की जानकारी तक नहीं है, वहीं इस योजना को जिम्मेदार विभाग ने सिर्फ और सिर्फ कागजों तक ही सीमित रखा है।
मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा इस योजना का संचालन वर्ष 2007 में किया गया। सरकार द्वारा चलाई जा रही इस योजना में अंतरजातीय विवाह करने वाले जोड़ों को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा प्रशंसा पत्र के साथ साथ शुरुआत में 50,000 रुपए की राशि प्रोत्साहन के रूप में दी जाती थी जो कि वर्ष 2014 में बढ़ाकर 2 लाख रुपए कर दी गई। योजना के अंर्तगत विवाह करने वालों में एक पति या पत्नी का अनुसूचित जाति और एक सामान्य वर्ग का होना आवश्यक है। दोनों की आयु 35 वर्ष से कम हो और विवाह के 1 वर्ष के भीतर इस योजना के अंर्तगत आवेदन किया गया हो, ऐसे आवेदकों को इस योजना का लाभ मिलता है। विवाह के एक वर्ष की अवधि में ही दावा मान्य है। साथ ही हिंदू मैरिज एक्ट 1955 का पंजीयन भी अनिवार्य होता है।
प्रदेश के अनूपपुर जिले में पिछले वर्ष 2022 में अंतरजातीय विवाह योजना अंर्तगत दो आवेदन किए गए थे, लेकिन राशि स्वीकृत होने के बावजूद भी आवेदकों की राशि आवंटन नहीं किया गया। जब आवेदकों ने इस मामले में शिकायत की तब पता लगा कि योजना अंर्तगत राशि पीएफएमएस पोर्ट पर शून्य है, जिसके चलते योजना के लाभार्थियों को राशि का भुगतान नहीं किया गया।
इस संबंध में अनूपपुर जनजाति कार्य विभाग के सहायक आयुक्त ने अनुसूचित जाति विकास विभाग, भोपाल के आयुक्त को पत्र भी लिखा, जिसमें पीएफएमएस पोर्टल पर राशि शून्य होने के कारण हितग्राही को राशि आवंटन नहीं होना बताया है।
अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना कई वर्षों से संचालित है, लेकिन इसका प्रचार-प्रसार अन्य योजनाओं की तरह नहीं होने से, यह लोगों की पहुंच से दूर है। इस योजना सम्बंधित वर्तमान वित्तीय वर्ष में जनसंपर्क विभाग द्वारा एक भी विज्ञापन जारी नहीं किया गया। इस योजना के तहत दो लाख रुपए एवं प्रशंसा पत्र प्रदान किया जाता है। अंतरजातीय विवाह करने की तिथि से अधिकतम एक वर्ष की अवधि तक ही पुरस्कार के लिए दावा मान्य किया जाता है। 01 वर्ष व होने पर पात्रता स्वतः ही खत्म हो जाती है। विवाहित जोड़ों की उम्र विवाह योग्य तथा एक अनुसूचित जाति वर्ग तथा दूसरा सामान्य वर्ग का होना आवश्यक है।
जानकारी के मुताबिक प्रदेशभर में सैकड़ों आवेदनों को अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना अंर्तगत स्वीकृति मिल चुकी है। इस योजना के अंतर्गत जिला आदिमजाति कल्याण विभाग ही आवेदनों को स्वीकृत करता है, लेकिन स्वीकृत राशि अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा आवंटित की जाती है। फिलहाल बजट के टोटे के कारण सभी स्वीकृत आवेदनों की राशि हितग्राहियों के बैंक खातों में नही डाली गई।
द मूकनायक ने इस मामले में अनुसूचित जाति विकास विभाग की उप संचालक सविता से बात की उन्होंने कहा कि इस योजना के अलावा विभाग की कई अन्य योजनाएं है जिनका भुगतान आवश्यक है। वहीं उन्होंने अंतरजातीय विवाह प्रोत्साहन योजना संबधी कोई भी जानकारी और आंकड़े देने मना कर दिया।
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