नई दिल्ली: पिछले साल मई में शुरू हुए जातीय हिंसा के एक साल से अधिक समय हो चुके हैं लेकिन अभी भी मणिपुर में हिंसा खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। संदिग्ध उग्रवादियों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के अग्रिम सुरक्षा काफिले पर कांगपोकपी जिले में घात लगाकर सोमवार को हमला कर दिया, जिसमें एक जवान घायल हो गया। पुलिस ने यह जानकारी देते हुए बताया कि काफिला हिंसा प्रभावित जिरीबाम जिले की ओर जा रहा था, तभी राष्ट्रीय राजमार्ग 53 पर कोटलेन गांव के पास सुबह करीब साढ़े दस बजे उस पर हमला हुआ।
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि सुरक्षा बलों के वाहनों पर कई गोलियां दागी गईं, जिसके बाद सुरक्षा बलों ने भी जवाबी कार्रवाई की। काफिले के एक वाहन के चालक के दाहिने कंधे पर गोली लगी है और उसे इंफल के एक अस्पताल में ले जाया गया है। सुरक्षा बल राज्य की राजधानी से करीब 36 किलोमीटर दूर घात लगाकर किए गए हमले की जगह पर पहुंच गए हैं और बंदूकधारियों का पता लगाने के लिए तलाश अभियान शुरू कर दिया गया है।
एक अधिकारी ने कहा कि मुख्यमंत्री बीरेन सिंह अभी दिल्ली से इंफल नहीं पहुंचे हैं। वह जिले में स्थिति का जायजा लेने के लिए जिरीबाम जाने की योजना बना रहे थे। संदिग्ध उग्रवादियों ने शनिवार को जिरीबाम में दो पुलिस चौकियों, वन विभाग के कार्यालय और कम से कम 70 मकानों में आग लगा दी थी।
काफिले पर हमले के बाद मुख्यमंत्री बीरेन सिंह कहा कि, “यह बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण और अत्यंत निंदनीय है। यह सीधे तौर पर राज्य की जनता पर हमला है, इसलिए राज्य सरकार को कुछ करना होगा, इसलिए मैं अपने सभी साथियों से बात करूंगा और हम कोई निर्णय लेंगे।”
आपको बता दें कि, पिछले साल तीन मई को शुरू हुए जातीय हिंसा के बाद राज्य में 200 से अधिक लोग मारे गए थे और हजारों लोग बेघर हो गए थे। ये हिंसा तब भड़की थी जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग के विरोध में राज्य के पहाड़ी जिलों में आदिवासी एकजुटता जुलूस निकाला जा रहा था।
आरएसएस कार्यकर्ताओं के लिए जारी एक ट्रेनिंग कैंप के समापन के बाद सोमवार को एक सभा को संबोधित करते हुए संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने ‘आम सहमति’ की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया। मोहन भागवत ने मणिपुर मुद्दे पर चिंता जताई और पूछा कि जमीनी स्तर पर इस समस्या पर कौन ध्यान देगा? उन्होंने कहा कि इस समस्या से प्राथमिकता के आधार पर निपटना होगा।
लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद पहली बार संघ प्रमुख की ओर से किसी तरह की टिप्पणी सामने आई है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि एक सच्चे सेवक में अहंकार नहीं होता और वह दूसरों को नुकसान पहुंचाए बिना काम करता है। हाल ही में हुए चुनाव के दौरान प्रचार-प्रसार का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इस दौरान ‘मर्यादा का ख्याल नहीं रखा गया’।
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