मध्य प्रदेश: वन विभाग की जमीन थी तो क्यों स्वीकृत किया प्रधानमंत्री आवास?

पीएम आवास योजना के तहत बने दलितों के मकानों पर बुलडोजर चलाने का मामला, स्थानीय प्रशासन की लापरवाही आई सामने.
मध्य प्रदेश: वन विभाग की जमीन थी तो क्यों स्वीकृत किया प्रधानमंत्री आवास?
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भोपाल— मध्य प्रदेश के सागर जिला के रापुरा गांव में गत गुरुवार को स्थानीय प्रशासन ने दलितों के मकान बुलडोजर चलाकर जमीदोंज कर दिए। तोड़े गए मकान पीएम आवास योजना के अंतर्गत बनाए गए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, बीते 21 जून को पुलिस प्रशासन, राजस्व विभाग और वन विभाग ने मिलकर प्रदेश के सागर ज़िले में अतिक्रमण के नाम पर कार्रवाई की और सुरखी विधानसभा क्षेत्र में बने सात दलित परिवारों के घर बिना किसी नोटिस दिए गिरा दिए गए।

इस घटना में कांग्रेस पीड़ितों के साथ आई है। कार्रवाई के तुरंत बाद कांग्रेस के नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ख़ुद घटना स्थल पर पहुंचे और पीड़ितों के साथ धरने पर बैठ गए। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों को मुआवजा मिले। दिग्विजय सिंह ने इस घटना को लेकर सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए।

वहीं जिला प्रशासन ने मीडिया से कहा कि पीएम आवास योजना के तहत बनाए गए घर कथित तौर पर वन भूमि पर थे और एक साल पहले नोटिस दिया गया था। नई निर्माण गतिविधि देखे जाने के बाद प्रशासन हरकत में आया।

सिंह को शांत कराने के लिए जिला कलेक्टर दीपक आर्य और पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी धरना स्थल पर पहुंचे। उनके सहयोगियों ने बताया कि उनसे लिखित आश्वासन मिलने के बाद सिंह ने अपना धरना समाप्त कर दिया।

द मूकनायक ने इस मामले में प्रशासन का पक्ष जानने के लिए एसडीएम विजय डेहरिया से बात की, लेकिन हमारे सावालों से बचते हुए एसडीएम ने जानकारी नहीं होने की बात कही। एसडीएम ने कहा कि 'मैं मौके पर नहीं गया हूँ। अन्य प्रशासनिक कार्यों में व्यस्त था। जानकारी करके बताता हूँ।'

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