एक तरफ सरकार शौचालय बनाने का संदेश दे रही है दूसरी तरफ दिल्ली के जहांगीरपुरी में शौचालयों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं।
दिल्ली। देश में आजकल किसी भी अपराध से निपटने के लिए संविधान का नहीं बल्कि बुलडोजर का सहारा लिया जा रहा है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश के बाद अब दिल्ली के जहांगीरपुरी में भी एमसीडी का बुलडोजर चल पड़ा है। शनिवार को हनुमान जयंती के दिन हुई हिंसा के बाद से ही क्षेत्र पूरी तरह से पुलिस छावनी में तब्दील हो गया है। लेकिन, बुधवार को जो हुआ उसे लोग शायद कभी न भूल पाएं।
शनिवार की हिंसा के बाद, मामले में अब तक 24 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। जिसमें दो नाबालिग भी हैं। घटना के बाद जब पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है तो एमसीडी ने भी लोगों के घावों और ताज़ा करते हुए स्थानीय लोगों के घरों पर बुलडोजर चला दिया।
द मूकनायक ने मामले में किए गए ग्रांउड रिपोर्ट में पहले भी बताया था कि शनिवार के बाद से ही यहां की दुकानें बंद थी। जिसके कारण स्थानीय लोगों को पहले ही नुकसान हो रहा था। उसके बाद अवैध निर्माण के नाम पर एमसीडी द्वारा लोगों की दुकानों और घरों पर चलाए गए बुलडोजर ने लोगों को और परेशान कर दिया है। यह सारी चीजें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हुई।
ईद मनाने के लिए रखे 20 हजार के कूड़े को बुलडोजर ने किया बर्बाद
आपने टीवी और सोशल मीडिया पर दिल्ली के जहांगीरपूरी की घटना से संबंधित कई तरह की फोटो व वीडियो देखी होंगी। लोगों के रोजगार छिन गए हैं। लेकिन, उनके बीच कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनकी कमाई ही चली गई। ऐसी ही एक महिला परवीन हैं, जिसकी न तो दुकान तोड़ी गई है और न ही घर। लेकिन एमसीडी वालों ने उसकी कमाई को ही खत्म कर किया है। परवीन इसी इलाके में अपनी चार बेटियां और एक बेटे के साथ रहती हैं।
परवीन बताती हैं कि, उसके पति ने उसे छोड़ दिया है और अब वह जहांगीरपुरी और आसपास के इलाके से कूड़ा बीनकर अपना गुजारा करती है। वह बताती है कि, "मैंने ईद के लिए कूड़ा बीनकर रखा था। ताकि त्यौहार को अच्छे से मना सकूं। अपने बच्चे को कपड़े लेकर दे पाउं। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।" वह कहती है कि, मैंने जो कूड़ा बेचने के लिए इकट्ठा किया था। उसे एमसीडी के बुलडोजर ने फेंक दिया। मैंने उसे बोरों में भरकर रखा था। "वह कचड़ा लगभग 15 से 20 हजार का था और वही मेरे ईद का खर्चा था। अब मुझे नहीं पता ईद कैसे मनाएंगे।"
लोगों के पास घरों के कागज भी है
सी ब्लॉक की जिस सड़क की तरफ से हिंसा हुई उसी लेन में कई लोगों के घरों का अगला हिस्सा तोड़ दिया गया है। मोहम्मद शेख उनमें से एक हैं जिनकी पुराने बर्तनों की दुकान थी। वह बताते हैं कि, घर के अगले हिस्से में मैं अपनी दुकान लगता था। लेकिन पिछले तीन दिनों से वह बंद थी और आज इस पर एमसीडी ने बुलडोजर चला दिया। वह कहते है कि, हम लोगों का छोटा मोटा काम है। रोज कुआं खोदना और रोज उसमें से पानी पीना है। अब वह भी खत्म हो गया है। नुकसान के बारे में पूछे जाने पर वह बताते हैं कि, "हम गरीब लोग हैं, हमारा कौन सा बहुत बड़ा बिजनेस है। लेकिन जितना भी नुकसान हुआ वह हमारे लिए बड़ा है।"
वह कहते हैं कि, मुझे इस जगह में रहते हुए लगभग 30 साल हो गए हैं। मेरे पास इस घर के पेपर भी हैं। इसके बाद भी हमारी एक नहीं सुनी गई। मोहम्मद शेख इसी जगह में दो कमरे वाले मकान में रहते हैं।
बुधवार को मोहम्मद शेख जैसे कई लोगों के कमाई के जरिए को ही बुलडोजर से बर्बाद कर दिया गया। मामले में राजनीतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाती रहीं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार बीजेपी पर निशाना साधती रही और राहुल गांधी ट्वीट कर इसे संविधान पर प्रहार कहते रहें। वहीं दूसरी तरफ, गरीब अपनी रोजी रोजगार भी नहीं बचा सका।
घरों के सामने बने शौचालय तोड़ दिए गए
बुलडोजर चल जाने के बाद पूरी गली के बाहर पत्थर के टुकड़े के अलावा लकड़ी के पट्टे नजर आ रहे थे। एक तरफ सरकार स्वच्छ भारत अभियान के तहत लोगों को शौचालय दे रही है। वहीं दूसरी तरफ बुधवार को एमसीडी ने लोगों के शौचालय को छीन लिया। घरों के बाहर लोग उनके मलबे को इकट्ठा कर रहे थे। ताकि, उसे संभाल कर रख सकें। लोग इस बारे में बात करने को तैयार नहीं है। दो महिलाएं अपनी घर के बाहर इस मलबे को इकट्ठा कर रही थी। जब द मूकनायक ने उनसे इस बारे में पूछा तो वह कुछ नहीं बोलीं बल्कि मलबे को इकट्ठा करने में जुटीं रहीं। उनके ही घर के बगल में एक शख्स ने हमें बताया कि, यह शौचालय साढ़े बारह बजे तोड़ा गया। जब हमने उनसे नाम पूछा तो उन्होंने नाम बताने से मना कर दिया। इस तरह बुधवार को कई लोगों के सपने बुलडोजर की नोंक के नीचे लहूलुहान हो गए।
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