“मैं दोबारा भूखी नहीं सोना चाहती, सरकार हमें दोबारा रेहडी ही दे दे ताकि कमा कर खा सकूं” जहांगीरपुरी की रहीमा

रहीमा बेगम, जहांगीरपुरी, दिल्ली / फोटो - पूनम मसीह, द मूकनायक
रहीमा बेगम, जहांगीरपुरी, दिल्ली / फोटो - पूनम मसीह, द मूकनायक
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पिछले साल ही लोन लेकर रहीमा ने अपनी दुकान का काम बढाया था, इस साल उस पर बुलडोजर चल गया।

दिल्ली/जहांगीरपुरी। "मैं दोबारा से भूखी नहीं सोना चाहती हूं" यह कहना है रहीमा बेगम का। यह वही रहीमा बेगम है जो दिल्ली के जहांगीरपुरी में बुलडोजर के सामने मिन्नते करते हुए बीते कुछ दिनों पहले सोशल मीडिया पर दिखी थीं। बुधवार को बुलडोजर से अतिक्रमण हटाने के बाद शुरू हुए विवादों के बीच द मूकनायक की टीम ने रहीमा बेगमा से उनके छोटे से बिजनेस के बारे में बात की।

बुधवार को हुए अतिक्रमण के खिलाफ दिल्ली एमसीडी की कार्यवाई से पहले रहीमा के पास एक बिजनेस था। जिससे वह अपना व अपने परिवार का गुजर-बसर करती थी। लेकिन उस घटना के बाद, अपने छोटे से बिजनेस के लिए संजोए गए उनके सारे सपनों को बुलडोजर ने क्रूरता से चकनाचूर कर दिया। हमने जब रहीमा से इस बिजनेस की शुरुआत के बारे में द मूकनायक ने पूछा तो वह उन दिनों के याद करने लगीं, जब उसने यह निर्णय लिया था कि 'वह काम करेगी और अपने पति के साथ हाथ बटाएगी।'

15 साल पहले दुकान खोलने का लिया था निर्णय

रहीमा बताती हैं कि, लगभग 15 साल पहले उसने एक दुकान खोलने का निर्णय लिया। जिसके लिए पहले उसने अपने पति की सलाह ली और बाद में बैंक से लोन लिया। रहीमा ने उस समय स्मॉल फाइनेंस बैंक, बंधन बैंक से महिला लोन लिया। यह बैन उन महिलाओं को लोन देती है जो अपना खुद का कोई काम या रोजगार शुरु करना चाहती हैं। वह बताती हैं कि, "इस काम को शुरु करने से पहले हमारे घर की स्थिति ठीक नहीं थी। शादी के बाद पति मजदूरी करते थे। इससे घर चलना बड़ा मुश्किल था। बच्चे हो गए, अब रोज की दिहाड़ी से घर चलाना मुश्किल हो गया। कई बार हम लोग बिना खाएं सो जाते थे। इसलिए मैंने अपने बच्चों को बेहतर भविष्य देने के लिए काम करने का निर्णय लिया।"

वह बताती है कि, "पहली बार हमने एक रेहड़ी लेकर चाय-कॉफी का काम शुरु कर किया। काम अच्छा चलने लगा। तो हमने काम को और आगे बढ़ने का सोचा। इसके बाद हम लोग लगातार बैंक से लोन लेते रहे और अपने काम को आगे बढ़ते रहे। जैसे-जैसे साल बीतते गए हमारा काम बढ़ता चला लगा। हमने चाय-कॉफी के बाद अपनी रेहड़ी को और आगे बढ़ते हुए उसमें पानी बोतल और खाने का स्नैक्स रखने शुरु कर दिए।" वह बताती है कि, एक महिला के लिए यहां तक पहुंचना बड़ा मुश्किल है। मेरे लिए भी यहां तक पहुंचना बहुत मुश्किल था।

पिछले साल दो लाख का लोन लिया

रहीमा बताती कि, मैंने एक के बाद एक लोन लेकर अपने काम को लाखों लोगों तक पहुंचा दिया था। अब मेरे पति को मजदूरी नहीं करनी पड़ती थी। वह कहती है कि, "पिछले साल ही मैंने दो लाख का लोन लेकर दो बड़ी फ्रिज ली थी। ताकि गर्मी में काम और अच्छे से चल सके। इसके अलावा अभी कुछ दिन पहले ही लगभग 70 से 80 हजार का सामान दुकान में भरा था। उसके बाद हिंसा हो गई और बाद में दुकानें बंद करवा दी गई।"

अतिक्रमण वाले दिन को याद करते हुए रहीमा बताती है कि, हमें कहा गया था कि आपकी दुकान को कुछ नहीं होगा। क्योंकि साल 2006 से हम एमसीडी को चालान दे रहे हैं। इसलिए हम भी पूरी तरह से निश्चित थे कि ऐसा कुछ नहीं होगा। "अगर हमें पता होता कि ऐसा होगा तो पहले ही सारा सामान हटा लेते। मेरी तीन बड़ी फ्रिज इसमें चली गई। जिसमें से दो पिछले साल ही लोन लेकर खरीदी थी।"

सरकार से मदद की गुहार

अब रहीमा दोबारा सरकार से मदद की गुहार लगा रही है। उनका कहना है कि सरकार हमें पैसा न दें, जो नुकसान होना था वो हो गया है। हमें बस दोबारा से एक रेहड़ी ही दे दे ताकि मैं दोबारा से अपना काम शुरु कर सकूं। साथ ही यह लिखित में दे दे कि भविष्य में उस रेहड़ी के साथ कुछ नहीं होगा। ताकि उस रोजगार का उपयोग उसके बाद उसके बच्चे भी कर सकें। वह कहती है कि, "मैं दोबारा भूखी नहीं सोना चाहती। इस दुकान में काम शुरु करने के बाद मुझे भूखे नहीं सोना पड़ा हैं, और चाहती हूं कि अब हमारे साथ ऐसा न हो इसलिए सरकार हमारी मदद करें।"

क्या था पूरा मामला?

आपको बता दें कि, हनुमान जयंती के दिन जहांगीरपुरी में हिंसा भड़क गई थी। जिसके बाद एमसीडी द्वारा जहांगीरपुरी में अतिक्रमण हटाने का काम शुरु कर दिया गया। जिसके तहत कई लोगों का रोजगार छिन गया। वहीं इस अतिक्रमण के बारे में उत्तरी दिल्ली नगर निगम के मेयर इकबाल सिंह का कहना था कि, जहांगीरपुरी की सड़कों में जो कूड़ा – कबाड़ा पड़ा था। उसे ही साफ किया गया ताकि सड़कें चौड़ी हो सके और लोगों को आने जाने में दिक्कत न हो। जब एक पत्रकार ने इकबाल सिंह से पूछा कि क्या यह बुलडोजर अमीरों की भी अवैध कॉलोनियों में चलेगा तो उनका जवाब था- हां जो भी इस दायरे में आएंगे उसके ऊपर सख्त कारवाई होगी। मेयर ने अपनी बात कह दी लेकिन कारवाई होगी कि नहीं यह बड़ा सवाल है।

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