महाराष्ट्र के नांदेड जिले में बीते सप्ताह डॉ. आंबेडकर की जयंती मनाने मनाए जाने पर एक 24 वर्षीय दलित युवक की ऊंची जाति के लोगों द्वारा हत्या कर दी जाती है। द मूकनायक ने नांदेड़ के बोन्धर हवेली गाँव जाकर घटना की पड़ताल की जिसमें यह सामने आया था कि अक्षय भालेराव ने गांव में पहली बार डॉ. अम्बेडकर की जयंती के प्रशासनिक अनुमति ली थी और जुलूस निकाला था जिसके बाद जातिवादियों ने इसे अपनी तौहीन मानकर, मौका मिलते ही अक्षय की बेरहमी से चाकू घोंपकर हत्या कर दी थी। अक्षय भालेराव डॉ. अम्बेडकर के विचारों से काफी प्रभावित था। और इसी कारण से जातिवादियों ने उसे टारगेट किया था।
अक्षय भालेराव हमेशा बाबा साहब डॉ. अम्बेडकर के संघर्षों को लोगों को बताया करता था। अक्षय एक निजी कंपनी में काम करता था। लेकिन अपने अधिकारों के लिए वह सजग था। द मूकनायक से बातचीत करते हुए अक्षय के चचेरे भाई संदेश भालेराव ने बताया की अक्षय हमेशा बाबा साहब की बात करता था। हमारे गाँव में कभी डॉ. अम्बेडकर जयंती नहीं मनाई गई थी। अक्षय कहता था, कि पूरे देश और विश्व में बाबा साहब की जयंती मनाई जाती है। तो हमें भी अपने गाँव में जयंती मनाना चाहिए। संदेश ने कहा अक्षय के प्रयासों के कारण ही गाँव के इतिहास में आम्बेडकर जयंती मनाई गई थी। और इसी से नाराज जातिवादियों ने उसकी जान ले ली।
अक्षय भालेराव ने 12वीं तक पढ़ाई की थी। इसके बाद एक ऑटो मोबाईल कंपनी में वह नौकरी कर रहा था। तीन भाई और माता-पिता सहित पांच लोगों का परिवार था। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण अक्षय ने भी परिवार की मदद करने के लिए नौकरी की। अक्षय के परिवारजनों ने बताया कि वह बचपन से ही डॉ. अम्बेडकर को मानता था। वह अपने किशोर अवस्था में ही बाबा साहब के द्वारा समाज उत्थान के किये गए कार्यों को समझने लगा था। और यही कारण था कि वह बाबा साहब के विचारों से प्रभावित होकर उनके दिखाए रास्ते पर चलने का प्रयास कर रहा था। अक्षय भालेराव गाँव के आसपास दलित सभाएं और मीटिंग्स में प्रमुखता से भाग लेता था। गाँव में अन्य दलित युवाओं की अपेक्षा अक्षय समाज के विकास की दिशा में सबसे ज्यादा सक्रिय था।
शोषित वंचित दलित समाज की आवाज को वह बेबाकी से अक्षय उठाता था। वह वंचित बहुजन आघाडि बोंढार शाखा के महासचिव पद पर था। वह लगातार दलित वर्ग को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने का काम कर रहा था। अक्षय ने गांव की दलित बस्तियों में पानी, सड़क आदि मूलभूत समस्याओं को भी समय-समय पर उठाता रहता था।
14 अप्रैल को अम्बेडकर की जयंती मनाने और जुलूस निकालने के लिए अक्षय ने प्रशासन से अनुमति मांगी थी, लेकिन गाँव के सरपंच पति ने इसका विरोध किया था। सरपंच पति का कहना था कि जो काम इतिहास में कभी इस गाँव में नहीं हुआ, अब करने की कोशिश क्यों कर रहे हो? इस बात पर अक्षय ने सरपंच को समझाते हुए कहा था कि देश में सभी जाति धर्म के लोग डॉ. अम्बेडकर की जयंती मानते हैं। बाबा साहब ने पूरे देश में सभी वर्गों के लिए काम किया। वह संविधान के निर्माता हैं। इसलिए उनकी जयंती सबको मनानी चाहिए।
महाराष्ट्र के बोंधर हवेली गांव के रहने वाले 24 वर्षीय दलित युवक अक्षय भालेराव की बीते सप्ताह गुरुवार शाम को जातिवादियों ने हत्या कर दी। हत्या के पीछे का कारण था कि अक्षय ने 14 अप्रैल को डॉ. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाने के लिए प्रशासन और पुलिस से अनुमति ली थी। अक्षय के प्रयास के कारण गाँव के इतिहास में पहली बार डॉ. अम्बेडकर की जयंती मनाई गई। इस दौरान गाँव में जयंती जुलूस भी निकाला गया था। इसी बात से नाराज उच्च जाति के ऊंची जाति के आरोपियों ने अक्षय को टारगेट किया था।
उसी शाम को गाँव में आरोपी एक बारात में शामिल थे। वहीं अक्षय और उसका भाई आकाश गाँव की दुकान पर घर का कुछ सामान लेने गए थे। उसी दौरान आरोपियों ने अक्षय और उसके भाई को जातिसूचक अपशब्द कहना शुरू कर दिया। विरोध करने पर आरोपियों ने कहा कि तुम नीची जाति के लोग हो तुम्हारा हमारी बस्ती में क्या काम। तुम अम्बेडकर की जयंती मनाते हो हमारे यहाँ से जुलूस निकालते हो कह कर विवाद शुरू कर दिया। करीब एक दर्जन लोगों ने अक्षय और उसके भाई आकाश की बुरी तरह मारपीट की और बाद में अक्षय के पेट में चाकू घोंप दिया। परिवार के लोग अक्षय को अस्पताल लेकर पहुँचें लेकिन अस्पताल में डॉक्टरों ने अक्षय को मृत घोषित कर दिया।
अक्षय की मौत की खबर सुनते ही गाँव में सनसनी फैल गई। मौके पर पहुँची पुलिस ने घटना स्थल पर बेरिकेड्स लगाकर पुलिस बल तैनात कर दिया। घटना के चश्मदीद अक्षय का भाई आकाश ने पुलिस को घटना के बारे में बताया जिसके बाद 9 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। नांदेड के पुलिस अधीक्षक श्रीकृष्ण कोकाटे ने कहा की “हमने हत्या का मामला दर्ज किया है और आठ लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों पर हत्या समेत अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 की संबंधित धाराओं के तहत भी मामला दर्ज किया गया है।“
बोंन्धार हवेली गाँव में पहुँचते ही हर तरफ पुलिस बल तैनात था। गाँव के चप्पे-चप्पे पर पुलिस लगी हुई थी। गाँव की दुकानें बंद थी और गली मोहल्ले में पुलिस मौजूद थी। जिस दुकान के सामने अक्षय की हत्या की गई थी उस गली को पुलिस ने बेरिकेड्स लगा कर बंद किया हुआ था। पुलिस लगातार गश्त कर रही थी। पुलिस के मुताबिक गाँव में शांति है। लेकिन सुरक्षा कारणों के चलते गाँव में भारी पुलिसबल तैनात किया गया है।
बोंधार हवेली गाँव में अक्षय भालेराव की हत्या की बाद से गाँव के अन्य दलित डर से सहमे हुए हैं। जातिवादी मानसिकता के कारण अक्षय को जान गवानी पड़ी। गाँव के दलित समुदाय के लोगों ने बताया कि अक्षय की हत्या होने बाद से ही गाँव में सन्नाटा पसरा है। लोगों का कहना है कि अनुसूचित जाति वर्ग के लोग घटना के बाद से ही भय में हैं।
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