दिल्ली। फादर्स डे! यानी पिता का दिन। लेकिन हकीकत में एक पिता को पिता बनने के बाद जिन संघर्षो का सामना करना पड़ता है वह शायद एक पिता ही समझ सकता है। दलित और पिछड़े समाज से आने वाले अनेकों बच्चो ने शिक्षण संस्थान में पढ़ाई के दौरान आत्महत्या कर ली या उनकी मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है। महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक ऐसे ही मामले 2023 में देखने को मिले हैं। महाराष्ट्र में दर्शन सोलंकी नाम के छात्र ने जातिगत प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में पुलिस की जांच में मामला खुलकर सामने आ गया और एफआईआर दर्ज हुई। वहीं उत्तर प्रदेश में एक छात्रा की मौत रहस्य बनकर रह गई। इस मामले में पुलिस ने अपनी अंतिम रिपोर्ट लगा दी है। दोनों ही मामलों में पिता अब भी न्याय पाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
जालौन निवासी पीड़ित पिता की 13 वर्षीय बेटी एसआर स्कूल से आठवीं कक्षा की पढ़ाई करती थी। 20 जनवरी की रात को हॉस्टल में ही छात्रा की संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। पीड़ित पिता की तहरीर पर बीकेटी पुलिस ने अज्ञात पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की थी। वार्डन साधना सिंह समेत अन्य कर्मचारी व अधिकारियों ने पुलिस को बताया था कि वारदात की रात छात्रा हॉस्टल की मेस में गई थी। खाना खाने के बाद टहलते समय अचानक गिर गई थी। डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था। पंचनामा में भी यही दर्ज है।
बीकेटी इंस्पेक्टर बृजेश तिवारी ने बताया कि जांच में सामने आया कि वारदात की रात करीब आठ बजे छात्रा मेस में गई थी। करीब बीस मिनट तक वहां रुकी थी। उसके बाद वह वहां से चली गई थी। मेस में छात्रा ने खाना नहीं खाया था। पुलिस की जांच में छात्रा के खाना न खाने का तथ्य सामने आया था। इसकी पुष्टि प्रिया की पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी हुई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, छात्रा के पेट में अधपचा खाना मिला। जो वारदात से करीब दो ढाई घंटे पहले खाया गया होगा। छात्रा के पिता ने भी इसे लेकर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि मामले में इतने झूठ बोले गए हैं, जिससे शक बढ़ता जा रहा है। कुछ बड़ा है जो छिपाया जा रहा है।
छात्रा की मौत के मामले में पुलिस कोई पुख्ता सुराग नहीं जुटा सकी है। स्कूल प्रबंधन शुरू से ही खुदकुशी का दावा करता रहा। पुलिस ने भी कई बार वही दोहराया और अंत में फाइनल रिपोर्ट भी उसी आधार पर लगा दी गई। लेकिन परिवार हत्या के आरोप पर कायम हैं। छात्रा के पिता के मुताबिक उनकी बेटी की रेप के बाद हत्या कर दी गई क्योंकि सारे तथ्य और बातें इसी ओर इशारा कर रहे हैं।
पुलिस मामले को खुदकुशी बता रही है लेकिन वजह नहीं तलाश पाई। ऐसे में मृतका के परिजन पुलिस की कार्रवाई से बेहद असंतुष्ट हैं। पुलिस ने पांच महीने तक विवेचना की। आखिर में उसी कहानी पर मुहर लगा दी, जिसको पहले दबी जुबान से बताया जा रहा था और वही दावा स्कूल प्रबंधन भी करता रहा था। ऐसे में पुलिस पांच महीने तक कोई पुख्ता साक्ष्य जुटाने के बजाय सिर्फ समय बिताती रही। छात्रा के पिता के मुताबिक शुरू में स्कूल प्रबंधन ने कई गुमराह करने वाली जानकारियां दी। बाद में स्कूल प्रबंधन का कहना था कि छात्रा ने खुदकुशी की। पुलिस भी इसी पहलू पर जांच करती रही। इस बीच क्राइम सीन रिक्रिएट किया गया। छात्रा के पुतले बनाये गए जिन्हें ऊपर से फेंका गया। उनके मुताबिक यह भी पुलिस का नाकाम प्रयास था क्योंकि पुतले केवल दस किलो के बनाये गए जबकि छात्रा का वजन 35 किलो था। इसी तरह पुलिस ने धीरे-धीरे पांच महीने का वक्त बिता दिया और आखिर में केस की फाइल बंद कर दी। उसी थ्योरी पर पुलिस ने एफआईआर की जो स्कूल प्रबंधन कहता रहा।
44 डिग्री के तापमान की भीषण गर्मी और छलनी कर देने वाली इस लू के बीच लखनऊ के इको गार्डन में पीड़ित पिता अपनी बेटी की मौत का इंसाफ मांगने धरने पर बैठे हैं। उनकी केवल एकमात्र मांग है कि बेटी की मौत की सीबीआई जांच हो ताकि यह सच सामने आ सके की उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उसके साथ कुछ गलत हुआ है।
द मूकनायक की टीम ईको गार्डन पहुंची तो हजारों वर्ग फुट एरिया में फैले उस धरना स्थल के सन्नाटे के बीच पीड़ित पिता एक पेड़ के तले बैनर बांधे अकेले बैठे हुए हैं।
रुंधे गले से पीड़ित पिता हमें बताते हैं कि बेटी की मौत के बाद पांच महीने की पड़ताल के बाद पुलिस कहती है की बेटी ने आत्महत्या की है लेकिन क्यों की, इसका उनके पास न तो कोई सबूत है और न ही कारण। वे आरोप लगाते हैं कि पुलिस भी हॉस्टल प्रबंधन की ही बात दोहरा रही है जबकि उसकी जांच शुरू से ही ढीली रही है। वे सवाल करते हैं कि हैं कि चूंकि यह स्कूल सत्तारूढ़ दल के एक ताकतवर नेता का स्कूल है तो क्या इसलिए मामले को दबाने का प्रयास हो रहा है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर परिजनों ने एक्सपर्ट के हवाले से सवाल उठाए थे। तब पुलिस ने क्राइम सीन दोहराया था, जिसमें ऊंचाई से गिरने की बात सामने आई थी। फिर पुलिस ने छात्रा के कपड़े, खून के छींटे लगी जींस, हैंड राइटिंग का मिलान कराया व उसके पिता का मोबाइल फोरेंसिक जांच के लिए भेजा था। इन सभी चीजों की रिपोर्ट से भी पुलिस कुछ हासिल नहीं कर सकी। सवाल है कि इस जांच से पुलिस को क्या सुबूत मिले, जिससे वह खुदकुशी का दावा कर रही है।
शव के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक छात्रा के यूटेरस में ढाई लीटर खून जमा था। उसकी कमर, गर्दन और हाथों की उंगलियों के टूटने के साथ ही दिल फटने की भी बात पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में कही गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट लेकर जब वह दोबारा स्कूल पहुंचे और सीसीटीवी दिखाने की मांग की तो पता चला कि सीसीटीवी बंद है। वार्डन भी बयान बदल रही थी। 4 छात्राएं आईं बयान देने तो उनके बयान भी अलग-अलग थे। पिता ने यह भी बताया कि छात्रा के कमरे से जो सुसाइड नोट मिला, उसकी हैंडराइटिंग मिलाने के लिए जब फोरेंसिक जांच की गई तो हैंडराइटिंग छात्रा की नहीं पाई गई। उसके कमरे से जो पैंट मिली उसमें खून लगा हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया है कि उसके साथ रेप करके उसके कपड़े बदले गए और मामले को छिपाने के लिए उसकी हत्या की गई है।
पिता के मुताबिक मौत से कुछ दिन पहले ही वह घर आई थी और परिवार के साथ हंसी खुशी समय बिताया था। उसे न तो कोई परेशानी थी न वो तनाव में थी। पढाई और अन्य गतिविधियों में भी अच्छी थी। मौत से कुछ देर पहले ही उसकी अपनी मां से फोन पर बात हुई थी तब भी वो आम दिनों की ही तरह बातचीत कर रही थी। उसकी बातचीत से नहीं लगा की वो परेशान है अगर ऐसा होता तो क्या वो अपनी मां से नहीं कहती तो फिर आख़िर वह आत्महत्या क्यों करेगी। वो कहते हैं इसलिए वे अब सीबीआई जांच की मांग कर रहे हैं। उनके मुताबिक उन्हें सीबीसीआईडी जांच का आश्वासन दिया गया है लेकिन उन्हें राज्य की किसी भी जांच एजेंसी पर उन्हें भरोसा नहीं रहा है।
दर्शन सोलंकी, जो प्रतिष्ठित संस्थान बॉम्बे आईआईटी में केमिकल इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष का छात्र था, अचानक 12 फरवरी को उसने अपने छात्रावास की इमारत की सातवीं मंजिल से छलांग लगाकर खुदकुशी कर ली थी। इस घटना से पूरे परिसर में हड़कंप मच गया था। इस मामले में जातीय भेदभाव के कारण आत्महत्या करने की बात सामने आई थी। इस मामले में आईआईटी बॉम्बे ने 12 सदस्यों की टीम गठित की थी। इस मामले की जांच कर रहे पैनल ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट दे दी। इस अंतरिम रिपोर्ट के मुताबिक इस छात्र ने पढ़ाई में खराब प्रदर्शन के चलते आत्महत्या की थी। इस घटना के पीछे जातिवाद का कोई मुद्दा नहीं था। जबकि मृतक दर्शन के परिजनों का आरोप है कि जाति के नाम पर उसे प्रताड़ित किया जाता था। इसलिए उसने आत्महत्या कर ली।
दर्शन के पिता रमेश भाई सोलंकी आईआईटी बॉम्बे द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को मानने को तैयार नहीं थे। वह लगातार लड़ाई लड़ रहे थे। दर्शन के पिता का अन्य छात्रों ने समर्थन किया। इस मामले में छात्रों का गुस्सा भी भड़क उठा था। इस घटना के विरोध में धरना प्रदर्शन होने लगे थे। मृतक छात्र दलित समुदाय से था, लिहाजा दलित संगठन भी सड़कों पर आ गए थे। ऐसे में सरकार ने पुलिस को दलित छात्र की आत्महत्या के कारणों की जांच करने का फरमान सुनाया था। दबाव बढ़ा तो इस मामले की जांच के लिए मुंबई पुलिस के संयुक्त आयुक्त अपराध की अध्यक्षता में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया था। इस मामले में पुलिस ने जब जांच शुरू की तो दर्शन का सुसाइड नोट बरामद हुआ था। सुसाइड नोट में दर्शन ने साथ में पढ़ने वाले छात्र अरमान को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाया था। इस मामले में पुलिस ने अरमान के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और 506 (2) (धमकी) और धारा 3 (2) (v), 3 (2) (va) के तहत मुकदमा दर्ज कर अरमान को जेल भेज दिया। पुलिस ने अपनी जांच के आधार पर क्राइम ब्रांच की विशेष टीम ने एसी/एसटी अदालत में 473 पन्नों की चार्जशीट दाखिल कर दी। अब मामला कोर्ट में विचाराधीन है। लेकिन पिता न्याय करने का इंतज़ार कर रहा है।
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