नई दिल्ली: 21 सालों से मेट्रो दिल्ली वासियों को अपनी सेवा देती आ रही है। इससे पहले ऐसी कोई घटना सामने नहीं आई, जिससे किसी की जान चली गई हो। 21 सालों में ऐसा पहली बार हुआ है, कि मेट्रो के दरवाजे में किसी यात्री का कपड़ा फंसने से उसकी मौत हुई है। इस घटना को यात्रियों की सुरक्षा में बड़ी चूक माना जा रहा है। मेट्रो के भीड़भाड़ वाले कुछ स्टेशनों को छोड़कर किसी भी स्टेशन के प्लेटफॉर्म पर सुरक्षा गार्ड या कर्मचारियों की तैनाती नहीं रहती है।
दिल्ली मेट्रो के गेट में एक महिला के कपड़े फंसने के बाद वह मेट्रो के साथ ही घसीटती चली गई। प्लेटफार्म खत्म होने के बाद वहां लगे गेट से टकराने के बाद, महिला ट्रैक पर जा गिरी। घायल महिला की शनिवार को अस्पताल में मौत हो गई। दिल्ली मेट्रो के दो दशक के इतिहास में पहली बार ऐसी घटना में जान गई है। इस हादसे की कमिश्नर मेट्रो रेलवे सेफ्टी जांच करेंगे। जांच के अन्य पहेलियों के साथ यह भी पता किया जाएगा कि क्या मेट्रो ट्रेन के गेट में लगे सेंसर उस वक्त काम कर रहे थे या नहीं।
महिला ने दोपहर नांगलोई स्टेशन से ग्रीन लाइन की मेट्रो पकड़ी थी। इंद्रलोक स्टेशन पर मेट्रो बदलकर रेड लाइन से मोहन नगर पहुंचना था। दोपहर 1 बजे वह ट्रेन में चढ़ी। लेकिन उनका बेटा थोड़ा पीछे छूट गया था। वह बेटे को बुलाने के लिए ट्रेन से बाहर निकली। इसी दौरान मैट्रो का दरवाजा बंद हो गया और उनके कपड़े मेट्रो के दरवाजे में फंस गए।
पुलिस के मुताबिक जान गवाने वाली महिला की पहचान रीना (35) के रूप में हुई है। वह अपने दो बच्चों के साथ नांगलोई लोकेश सीमा के पास रहती है। उनके पति रवि की 2014 में बीमारी के कारण मौत हो गई थी। मेट्रो पुलिस का कहना है कि अभी परिवार वालों की तरफ से उन्हें कोई शिकायत नहीं मिली है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. पुलिस का कहना है की सीसी टीवी फुटेज की जांच करने से साफ हो जाएगा की घटना कैसे हुई।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रीना की मौत के बाद उनके दोनों बच्चों का अब कोई ख्याल रखने वाला नहीं है। बेटा छठी क्लास में पढ़ता है। जबकि बेटी आठवीं क्लास में पढ़ती है। रीना घरों में साफ-सफाई का काम करती है और शाम को सब्जी की रेडी लगाती है। उनके पति भी सब्जी बेचने का काम करते थे। पति के मौत के बाद रीना अकेले ही परिवार का गुजारा कर रही थी। उनकी आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं थी। वह नांगलोई में किराए के मकान में रहती थी। उनकी मौत के बाद दोनों बच्चे बेसहारा हो गए हैं।
दिल्ली मेट्रो को सेफ्टी पिक्चर के भरपूर माना जाता है। लेकिन इस हादसे के बाद मेट्रो के गेट पर सेंसर सिस्टम पर सवाल उठ रहे हैं। ट्रेन टकराने और पटरी से उतरने के मामले में दिल्ली मेट्रो का अब तक बेहतरीन रिकार्ड रहा है। लेकिन ट्रेन से उतरने और चढ़ते वक्त हुए इस हादसे ने दिल्ली मेट्रो की चिंता बढ़ा दी है।
मेट्रो के इंटरचेंज स्टेशनों पर भारी भीड़-भाड़ के बीच रोजाना कई ऐसी घटनाएं होती हैं। जिनमें यात्रियों का सामान फंसने से गेट बंद नहीं हो पाते हैं, और बाद में सामान निकालने के बाद ही गेट बंद होते हैं। अगर तीन बार गेट बंद होने की कोशिश होती है, लेकिन अगर तीनों बार गेट में कुछ भी फंसता है, तो फिर गेट बंद नहीं होते। उसके लिए ट्रेन के कंट्रोलर या स्टेशन कंट्रोलर को मैन्युअल गेट बंद करना पड़ता है। दिल्ली मेट्रो का यह दावा है, की ट्रेन के हर गेट में सेंसर लगे होते हैं। अगर इनमें 15 mm मोटी कोई चीज फंसती है, तो गेट बंद नहीं होते। ऐसे में सवाल है कि अगर इस महिला की जैकेट या साड़ी का कपड़ा फंसा तो फिर गेट कैसे बंद हो गए।
एक आशंका यह है कि सेंसर ने ठीक से काम नहीं किया। और महिला की साड़ी जैकेट या फिर बाग का कोई भाग फंसा रह गया, जिसका सेंसर को पता नहीं लग पाया। अनुमान है कि, महिला का जो भी कपड़ा फंसा हुआ है, 15 एम एम से कम का होगा। जिसकी वजह से सेंसर पकड़ नहीं पाया।
दिल्ली मेट्रो के ऑपरेशंस एंड मेंटिनेस एक्ट 2002 के तहत इस तरह के हाथ से के मामले में मुआवजे का प्रावधान है। हल्की मौत होने पर 50000 रुपए तो तुरंत ही मंजूर किए जाते हैं। इसके अलावा मृतक की आयु, उसकी आमदनी और परिवार की स्थिति के आधार पर मेट्रो मुआवजे की रकम तय करता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस मामले में भी मुआवजा दिया जाएगा।
मेट्रो में सफर करते वक्त इन सावधानियों को बरतें
1. मेट्रो में चढ़ते और उतरते वक्त जल्दबाजी न करें। ज्यादा भीड़ हो तो मेट्रो में जबरदस्ती न घुसे।
2. मेट्रो में उतरतें और चढ़ते वक्त कपड़ो का ध्यान रखें. खासकर साड़ी, दुपट्टा, धोती आदि।
3. अगर मेट्रो का गेट बंद हो रहे हैं तो उसमें शरीर का कोई अंग फंसाने की कोशिश न करें।
4. अगर आपके सामने किसी यात्री का कपड़ा मेट्रो के गेट में फंस गया है तो तुरंत इमरजेंसी बटन दबाएं। ताकि तुरंत मदद मिल सकें।
5. ट्रेन में चढ़ते या उतरते वक्त आपका बच्चा ट्रेन में नहीं चढ़ पाया या उतर पाया तो खुद को खतरे में ना डालें। तुरंत स्टेशन पर जाकर मेट्रो स्टाफ की मदद से पिछले स्टेशन स्टाफ को बच्चे के बारे में बता दें ताकि वो बच्चे का उतार लें।
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