डायवर्सिटी-डे कार्यक्रम कल, मीना कोटवाल सहित तीन शख्सियत होंगी सम्मानित

दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगा आयोजन, ‘इंडिया के समक्ष हमारी अपील’ डायवर्सिटी एजेंडा होगा जारी।
द मूकनायक की संस्थापक व एडीटर-इन-चीफ मीना कोटवाल और स्त्री- काल के सम्पादक संजीव चन्दन
द मूकनायक की संस्थापक व एडीटर-इन-चीफ मीना कोटवाल और स्त्री- काल के सम्पादक संजीव चन्दन
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नई दिल्ली। बहुजन डायवर्सिटी मिशन (बीडीएम) व संविधान बचाओ संघर्ष समिति की ओर से रविवार को कांस्टीट्यूशन क्लब में डायवर्सिटी डे कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर द मूकनायक की संस्थापक व एडीटर-इन-चीफ मीना कोटवाल को ‘डायवर्सिटी वुमन ऑफ द इयर’, प्राख्यात एडवोकेट और पॉलिटिकल-सोशल एक्टिविस्ट आरआर बागय व स्त्री- काल के सम्पादक और लेखक संजीव चन्दन को ‘डायवर्सिटी मैन ऑफ द इयर’ खिताब से नवाजा जाएगा।

बीडीएम के संस्थापक अध्यक्ष एचएल दुसाध ने बताया कि इस बार के डायवर्सिटी डे का आयोजन ‘लोकसभा चुनाव-2024’ को ध्यान में रखते हुए किए जा रहा है। 2024 का चुनाव सामाजिक न्याय पर केन्द्रित हो उसमें डायवर्सिटी एजेंडे को जगह मिले, इसके लिए बहुजन डायवर्सिटी मिशन व सह- आयोजक ‘संविधान बचाओं संघर्ष समिति‘ की ओर से ‘इंडिया’ में शामिल दलों के समक्ष 2000 शब्दों की एक अपील जारी की जाएगी। इसका शीर्षक ‘इंडिया के समक्ष हमारी अपील’ रखा गया है। इसके अलावा ‘आजादी के अमृत महोत्सव पर, बहुजन डायवर्सिटी मिशन की अभिनव परिकल्पना’, ‘मिशन डायवर्सिटी 2021’, ‘मिशन डायवर्सिटी-2022’, ‘यूपी विधानसभा चुनाव 2022, सामाजिक न्याय की राजनीति का टेस्ट होना बाकी है’, ‘डायवर्सिटी पैम्फलेट’, ‘राहुल गांधीः कल, आज और कल’ ‘सामाजिक न्याय की राजनीति के नए आइकॉनः राहुल गाधी’ जैसी सात किताबें भी रिलीज होंगी।

क्यों मनाते है डायवर्सिटी डे

दुसाध ने बताया कि स्वाधीनोत्तर भारत के दलित आंदोलनों के इतिहास में भोपाल सम्मलेन (12-13 जनवरी 2002) का एक अलग महत्व है, जिसमें 250 से अधिक शीर्षस्थ दलित बुद्धिजीवियों ने शिरकत की थी। उसमें दो दिनों के गहन विचार मंथन के बाद 21 सूत्रीय ‘भोपाल घोषणापत्र’ जारी हुआ था, जिसमें अमेरिका के डायवर्सिटी पॉलिसी का अनुसरण करते हुए वहां के अश्वेतों की भांति ही भारत के दलितों(एससी-एसटी) को सप्लायर, डीलर, ठेकेदार इत्यादि बनाने का नक्शा पेश किया गया था।

दुसाध ने आगे बताया कि एक अंतराल के बाद 27 अगस्त 2002 को दिग्विजय सिंह ने अपने राज्य के छात्रावासों और आश्रमों के लिए स्टेशनरी, बिजली का सामान, चादर, दरी, पलंग, टाट-पट्टी, खेलकूद का सामान इत्यादि का नौ लाख उन्नीस हजार का क्रय आदेश भोपाल और होशंगाबाद के एससीध्एसटी के 34 उद्यमियों के मध्य वितरित कर भारत में ‘सप्लायर डायवर्सिटी’ की शुरुआत की थी। इसके बाद देखते ही देखते डायवर्सिटी लागू करवाने के लिए ढेरों संगठन वजूद में आ गए, जिनमें आरके चौधरी का बीएस-4 भी था। बाद में इसी उद्देश्य से उत्तर भारत के बहुजन लेखकों ने 15 मार्च 2007 को ‘बहुजन डायवर्सिटी मिशन’ (बीडीएम) की स्थापना की।

बीडीएम ने मध्य प्रदेश में लागू हुई सप्लायर डायवर्सिटी से प्रेरणा लेने के लिए भविष्य में भी ‘डायवर्सिटी डे’ मनाते रहने का निर्णय लिया। इस तरह बीडीएम के जन्मकाल से ही हर वर्ष 27 अगस्त को देश के जाने-माने बुद्धिजीवियों की उपस्थिति में डायवर्सिटी डे मनाने का क्रम शुरू हुआ।

बीडीएम की उपलब्धियां

दुसाध ने बताया कि बीडीएम द्वारा प्रकाशित 100 से अधिक किताबें ही भारत में भीषणतम रूप में फैली मानव जाति की सबसे बड़ी समस्या, आर्थिक और सामाजिक विषमता के खात्मे पर केन्द्रित हैं. संस्था से जुड़े लेखकों की सक्रियता से एससी एसटी ही नहीं, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों में भी नौकरियों से आगे बढ़ कर उद्योग-व्यापार सहित हर क्षेत्र में भागीदारी की चाह पनपने लगी है। बीडीएम दस सूत्रीय एजेंडे में एक खास एजेंडा पौरोहित्य में सामाजिक और लैंगिक विविधता लागू करवाने पर गम्भीरता से काम कर रहा है। इसका सकारात्मक प्रभाव भी हुआ है।

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