नई दिल्ली। राज्य सरकार के अस्पतालों में खराब गुणवत्ता वाली दवाइयां दिए जाने के मामले में सीबीआई से जांच शुरू करने के लिए विजिलेंस विभाग के मुख्य सचिव वाईवीवीजे राजशेखर ने गृह मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी को हाल में पत्र लिखा है। हालांकि मंत्रालय की ओर से मामले में अभी उचित कार्रवाई नहीं की गई है, लेकिन यह कयास लगाए जा रहे है कि जल्द ही सीबीआई को जांच के लिए हरी झण्डी दिखाई जाएगी।
राजशेखर ने पत्र में जॉइंट सेक्रेटरी को पूरे मामले की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि आम जन ने इस मामले की सीबीआई से जांच करने की सिफारिश की है। इसलिए वह सीबीआई को इस संबंध में जरूरी निर्देश दें। पत्र में जॉइंट सेक्रेटरी को बताया कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में खराब गुणवत्ता वाली दवाइयां सप्लाई किए जाने के संबंध में गत 24 दिसंबर को दिल्ली सरकार के सतर्कता निदेशालय में मीटिंग बुलाई गई थी। जिसमें ड्रग कंट्रोलर, डिप्टी कंट्रोलर और ड्रग इंस्पेक्टरस भी शामिल हुए थे। अगले दिन सतर्कता विभाग के निगरानी में जॉइंट टीमों ने अस्पतालों से दवा के सैंपल कलेक्ट करके उन्हें जांच के लिए लैब में भेजा था।
विजिलेंस विभाग की रिपोर्ट यह कहती है कि दिल्ली की सरकारी प्रयोगशालाओं में भेजे गए 43 नमूनों में से 3 नमूने विफल पाए गए। विभाग ने सिफारिश की है कि 10 फीसदी से ज्यादा सैंपल फेल हो गए हैं। लिहाजा विभाग को सैंपलिंग का दायरा बढ़ाना चाहिए। बता दें कि यह दवाएं सरकार की केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा खरीदी गईं और सरकारी अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों को आपूर्ति की गईं थीं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एलजी वीके सक्सेना द्वारा अस्पतालों और मोहल्ला क्लीनिकों में नकली दवाओं का मामला सीबीआई को सौंपने की अनुमति के बाद आरडीटीएल, क्षेत्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला, चंडीगढ़ में मिर्गी की एक और दवा का सोडियम वैलपोरोएट का नमूना फेल मिला था। इसे मिलाकर अब तक कुल छह दवाएं नकली निकल चुकी हैं।
इस दवा के अलावा पांच अन्य में उच्च रक्तचाप रोधी दवा अम्लोडीपाइन, मिर्गी और दौरे जैसी स्थितियों के इलाज के लिए लेवेटिरासिटम, पेट में उत्पन्न अतिरिक्त एसिड के अल्पकालिक उपचार के लिए पैंटोप्राजोल, फेफड़ों में जानलेवा सूजन को ठीक करने के लिए स्टेरायड सिफ्लेक्सिन तथा जोड़ों और शरीर में सूजन के लिए डेक्सामेथासोन दवा शामिल है। अभी 11 दवाओं के नमूनों की रिपोर्ट आनी शेष है।
बता दें कि नमूनों की रिपोर्ट विगत 24 अक्टूबर को आई थी। रिपोर्ट में फेल हुई दवाइयों के एक दिन बाद ही 26 अक्टूबर को इनके उपयोग पर रोक लगा दी गई है। सतर्कता निदेशालय ने रिपोर्ट में बताया है कि जांच में फेल आने वाली दवाइयों को चार एजेंसियां अस्पताल में आपूर्ति करती थीं। इसमें सतर्कता अधिकारी मोटा खेल मान रहे हैं।
सरकारी लैब में भेजे गए 43 में से 31 सैंपल की रिपोर्ट के अनुसार तीन दवा के सैंपल गुणवता मानकों पर खरे नहीं उतरे। वहीं प्राइवेट लैब में भेजे गए 43 में से 5 सैंपल खराब क्वालिटी के पाए गए। राजशेखर ने लिखा कि इन दावों की पूरी सप्लाई चेन की जांच करना आवश्यक है।
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