दिल्ली: CAA के खिलाफ़ DU और जामिया में प्रदर्शन, छात्रों ने कहा - “ मत रखने की आज़ादी नहीं”

हिरासत में लिए गए छात्रों को पुलिस द्वारा जबरदस्ती खींचकर एक बस में बिठा दिया गया। इसके बाद भी छात्र सीएए के नियमों और सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी करते रहे। पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई एक छात्रा अदिति ने ‘द मूकनायक’ से बातचीत में कहा, “यह सरकार की तानाशाही है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को अपने विचार रखने और शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट की आज़ादी नहीं है।”
DU में CAA को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों को पुलिस ने बर्बरता से किया डिटेन.
DU में CAA को लेकर प्रोटेस्ट कर रहे छात्रों को पुलिस ने बर्बरता से किया डिटेन.The Mooknayak
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नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA) लागू करने की अधिसूचना के साथ ही देशभर में अलग-अलग जगहों पर इसका विरोध फिर से शुरू हो गया है। दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन भी इसके विरोध में उतर आए हैं। बुधवार को पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे कई छात्रों को हिरासत में ले लिया।

हिरासत में लिए गए छात्रों छात्रों को पुलिस द्वारा जबरदस्ती खींचकर एक बस में बिठा दिया गया। इसके बाद भी छात्र सीएए के नियमों और सरकार के खिलाफ नारेबाज़ी करते रहे। पुलिस द्वारा हिरासत में ली गई एक छात्रा अदिति ने ‘द मूकनायक’ से बातचीत में कहा, “यह सरकार की तानाशाही है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को अपने विचार रखने और शांतिपूर्ण तरीके से प्रोटेस्ट की आज़ादी नहीं है। पहले भी सरकार जब यह विवादास्पद कानून लेकर आई तो डीयू, जेएनयू, जामिया जैसी सभी यूनिवर्सिटी में स्टूडेंट्स ने इसका विरोध किया था। तब भी सरकार ने बर्बरतापूर्ण तरीके से इसे कुचलने का प्रयास किया और कई छात्रों को गैर-कानूनी रूप से हिरासत में रखा। आज चार साल बाद जब यह कानून लागू होने पर स्टूडेंट्स विरोध कर रहे हैं तो फिर से यही हो रहा है।”

वहीं, छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) से जुड़े एक छात्र ने कहा, “मेरा सवाल सरकार से हैं कि वो हमेशा क्यों नागरिकों से कागज़ दिखाने की मांग करती है? वह खुद क्यों कागज़ नहीं दिखाना चाहती है? सरकार इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारी क्यों नहीं दिखाना चाहती है? बीजेपी की लीडरशिप वाली सरकार ने पिछले 10 साल में क्या काम किया उसके काग़ज़ क्यों नहीं दिखाना चाहती है…?”

छात्र-छात्राओं से खींचतान करती पुलिस।
छात्र-छात्राओं से खींचतान करती पुलिस।The Mooknayak

इससे पहले, मंगलवार को भी पुलिस ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कला संकाय से लगभग 50-55 छात्रों को उस समय हिरासत में लिया, जब वे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे थे। छात्र संगठन ऑल इंडिया स्टूडेंट एसोसिएशन (AISA) ने सोमवार को सीएए के खिलाफ प्रदर्शन का आह्वान किया था। जिसके बाद दिल्ली विश्वविद्यालय की ईकाई के छात्र विरोध प्रदर्शन के लिए कला संकाय में एकत्रित हो रहे थे।

AISA के अध्यक्ष निलासिस बोस और महासचिव प्रसेनजीत कुमार ने मंगलवार को जारी एक संयुक्त बयान में कहा, “नागरिकता संशोधन नियम, 2024 को सोमवार को गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचना जारी करने के साथ बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को एक और झटका दिया है। इससे पहले, दिसंबर 2019 में स्पष्ट रूप से अन्यायपूर्ण, भेदभावपूर्ण और विभाजनकारी सीएए के खिलाफ व्यापक और मजबूत प्रतिरोध और संविधान व लोकतंत्र को बचाने के लिए लोगों की लड़ाई को सरकार द्वारा दबा दिया गया था।”

दिल्ली विश्वविद्यालय AISA इकाई के अध्यक्ष माणिक गुप्ता ने आरोप लगाया कि विरोध प्रदर्शन शुरू होने से पहले ही छात्रों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया था। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि अधिकारियों ने छात्रों के साथ बर्बरतापूर्ण व्यवहार किया। गुप्ता ने दावा किया कि कुछ छात्र सिर्फ कला संकाय के बाहर खड़े थे और विरोध प्रदर्शन में भाग नहीं ले रहे थे, उन्हें भी केवल संदेह के आधार पर पुलिस ने हिरासत में ले लिया।

वहीं, इस घटनाक्रम पर डीसीपी (उत्तर) मनोज मीना ने कहा कि हिरासत में लिए गए छात्रों को बुराड़ी पुलिस स्टेशन ले जाया गया और बाद में कुछ ही मिनटों में रिहा कर दिया गया। उन्होंने कहा, “एहतियाती कदम उठाते हुए, हमने दिल्ली विश्वविद्यालय की सेंट्रल लाइब्रेरी कला संकाय के सामने से लगभग 50 से 55 छात्रों को हटा दिया है जो सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।

कैम्पस गेट पर तैनात पुलिस।
कैम्पस गेट पर तैनात पुलिस।The Mooknayak

सीएए लागू करने की अधिसूचना जारी होने के साथ ही जामिया मिलिया इस्लामिया में भी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। छात्र संगठनों ने जामिया में एक प्रेस कांफ्रेंस कर अधिनियम को वापस लेने और उन सभी छात्रों की रिहाई की मांग की, जिन पर लगभग चार साल पहले सीएए विरोधी प्रदर्शन में मामला दर्ज किया गया था।

बता दें कि जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय उन प्रमुख स्थानों में से एक था जहां 2020 में सीएए विरोधी विरोध प्रदर्शन हुए थे। सीएए लागू होने पर किसी भी संभावित गड़बड़ी की स्थिति से निपटने के लिए विश्वविद्यालय के बाहर सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। पुलिस ने कहा कि पूरे राष्ट्रीय राजधानी में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है और अर्धसैनिक बल के जवान शहर के उत्तरपूर्वी हिस्सों और अन्य संवेदनशील इलाकों में रात्रि गश्त और फ्लैग मार्च कर रहे हैं।

बता दें कि नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के नियमों के तहत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों– हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई; को भारतीय नागरिकता देने के प्रावधान किए गए हैं। 11 दिसंबर, 2019 को संसद में सीएए बिल पारित होने के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे और दिल्ली के शाहीन बाग में इसके खिलाफ़ एक बड़ा आंदोलन महीनों तक चला था।

रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा सीएए के नियमों की अधिसूचना जारी करने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने इस पर चिंता जताई है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त के कार्यालय के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को बताया कि नागरिकता संशोधन अधिनियम मूल रूप से भेदभावपूर्ण प्रकृति का है और यह भारत का अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दायित्वों का उल्लंघन है। प्रवक्ता ने कहा कि सीएए के नियम अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार कानून का अनुपालन करते हैं या नहीं, इसकी वह आगे जांच कर रहे हैं।

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