नई दिल्ली। गुजरात से विधायक और प्रमुख दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने दलित-बहुजन राजनेताओं से नौकरी से निकाली गई एडहॉक प्रोफेसर डॉ. रितु सिंह के अन्याय के खिलाफ चल रहे आंदोलन में शामिल होने आह्वान किया है। वे गत बुधवार को प्रदर्शन में शामिल हुए। आंदोलन 108 दिनों से चल रहा है। हिंदू कॉलेज के प्रोफेसर डॉ. रतन लाल सिंह, सहायक प्रोफेसर लक्ष्मण यादव व अन्य डॉ. रितु सिंह के साथ एकजुटता से खड़े है।
धरने के दौरान बर्तन पीटने का अनूठा तरीका जातिवाद के खिलाफ लड़ाई की एक प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति बन गया, इस विचार से प्रेरणा लेते हुए कि अगर थाली बजाने से कोरोनोवायरस का मुकाबला किया जा सकता है, तो यह जातिगत भेदभाव के सामाजिक वायरस को भी खत्म कर सकता है। धरने का उद्देश्य दिल्ली विश्वविद्यालय में शिक्षकों के सामने आने वाले मुद्दों और शैक्षिक प्रणाली में अंतर्निहित जातिवाद का विरोध करना था।
सभा को संबोधित करते हुए जिग्नेश मेवाणी ने दलित-बहुजन राजनेताओं के बीच डॉ. रितु सिंह और समानता की वकालत करने वाले अन्य शिक्षकों के साथ बैठकर आंदोलन में 24 घंटे बिताने की सामूहिक प्रतिज्ञा का प्रस्ताव रखा। उन्होंने विरोध प्रदर्शन में भाग लेकर अपनी एकजुटता प्रदर्शित करने वाले राजनीतिक नेताओं को ही समर्थन देने की बात कही।
विधायक ने कहा कि आज के दिन हम संकल्प लें. हम हर उस राजनेता को बुलाएंगे जो बहुजन-दलित समुदायों से है, चाहे वे किसी भी पार्टी के प्रति अपनी निष्ठा रखते हों। उन्हें इस आंदोलन में 24 घंटे बिताने के लिए कहा जाएगा। डॉ. रितु सिंह, डॉ. रतन लाल, डॉ. लक्ष्मण यादव और समुदाय के कई अन्य शिक्षकों के साथ बैठना, जिन्होंने बाबा साहेब की शिक्षाओं को हर संभव घर तक पहुंचाया है। हम देखेंगे की कौन आता है।
इसके बाद उन्होंने धरने पर मौजूद प्रोफेसरों की ओर रुख किया और अनुरोध किया, “आइए हम सब मिलकर एक टीम बनाएं जो सभी राजनेताओं को पत्र भेजेगी।” वे भाषण न दें तो भी चलेगा, लेकिन उनकी एकजुटता इस विरोध स्थल पर एक रात बिताने के रूप में सामने आनी चाहिए।” अपने बयान में आगे कहा, “हमें यहीं नहीं रुकना चाहिए. आइए यह पता लगाने के लिए एक सूची बनाएं कि दलित-बहुजन समुदाय के कौन से नेता और कौन से राजनीतिक दल हमारे मुद्दे का समर्थन कर रहे हैं। जो लोग हमारा समर्थन नहीं करते, उनके लिए आगामी चुनाव महत्वपूर्ण होगा और हम उनके असली इरादों का खुलासा करेंगे।
इसके बाद मेवाणी ने विषय को डॉ. सविता रॉय की ओर मोड़ दिया, जो कथित तौर पर डॉ. रितु सिंह के अनुबंध को गलत तरीके से समाप्त करने के लिए जिम्मेदार हैं। दलित नेता ने प्रिंसिपल को संबोधित करते हुए कहा, “आप खुद एक महिला हैं, फिर भी साथी महिला सहकर्मी के साथ भेदभाव और दुर्व्यवहार कर रही हैं। मुझे आपसे मनुस्मृति की एक प्रति सौंपने के अलावा कुछ नहीं कहना है।”
इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि बड़े पैमाने पर हो रहे विस्थापन का कारण व्यवस्था की विचार प्रक्रिया में निहित है। यह प्रणाली स्पष्ट कारणों से रतन लाल सिंह जैसे लोगों के लिए समस्याएँ पैदा करती है।
मेवाणी ने प्रोफेसर के समर्थन में कहा कि ये वे लोग हैं जो अगली पीढ़ी को गढ़ रहे हैं। वे ही हैं जो 14 अप्रैल मनाते हैं। बी.आर. अम्बेडकर जयंती, 6 दिसंबर को पुण्यतिथि, संविधान दिवस, फुले, पेरियार के स्मृति दिवस को मनाते है। आप सभी महापुरूषों के बारे में बात करें और इंकलाब जिंदाबाद के नारे लगाने के लिए सड़कों पर उतरें। मनुवादी सरकार ऐसे शिक्षकों से डर जाएगी।
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