Delhi Jahangirpuri violence: “अगर हम बांग्लादेशी हैं, तो हमें वोटर आईडी सिर्फ वोट देने के लिए दिया गया है” स्थानीय लोगों का दर्द

जहागीरपूरी, दिल्ली। फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक
जहागीरपूरी, दिल्ली। फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक
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हनुमान जयंती के दिन दिल्ली के जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान भड़की हिंसा की जद में आए वहां के निवासियों और उनके दर्द-ए-बयां को जानने के लिए आगे पढिए द मूकनायक की यह ग्रांउट रिपोर्ट-

दिल्ली। "अगर हम अच्छे नहीं लगते हैं तो हमें जहर दे दी जाए", यह कहना है जहांगीरपुरी की सी ब्लॉक में रहने वाली अबीदा का। जो जहांगीरपुरी की तंग गालियों के सी ब्लॉक विपरीत गली की झुग्गी में रहती हैं। इनका नाम आजकल खबरों की सुर्खियों में बना हुआ है।

अबीदा के मुहल्ले में हर किसी के मन में बहुत गुस्सा है। टीवी में दिखाए जा रहे मीडिया रिपोर्टों को देखकर गली के अधिकांश लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ जाता है। उनका कहना है कि पुलिस और मीडिया दोनों ही हमारे साथ नाइंसाफी कर रही है।

"पुलिस घरों से लोगों को उठाकर ले जा रही है। और मीडिया हमें बांग्लादेशी घुसपैठी साबित करने मे लगी हुई है।" यह हाल है शनिवार को हनुमान जयंती के दिन भड़की हिंसा के बाद का। जिसमें आम लोगों को भी तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आलम यह है कि, लोगों के बीच इतना डर है कि वह खुलकर इस मुद्दे पर बात भी नहीं कर रहे हैं।

हमें मार दिया जाए!

अबीदा भी उनमें से एक है जो पहले तो हमें देखकर भड़क जाती हैं, बाद में इसी गुस्से के साथ कहती है कि आज हमें बार-बार बांग्लादेशी कहा जा रहा है। जब वोट आते हैं तो हम हिंदुस्तानी हो जाते हैं। क्या मोदी जी ने हमें वोटर कार्ड सिर्फ वोट देने के लिए दिए हैं? क्या हमें जीने के अधिकार नहीं है?

अबीदा के बगल में खड़ी मनुआरा का कहना है कि, "अगर हम अच्छे नहीं लगते हैं तो हम पर गोलियां चला दी जाए। हमारे बच्चों को उठाकर ले जा रहे हैं। मां से बच्चे को अलग कर रहे हैं। ऐसे हमें अलग करने से बेहतर होगा कि हमें मार दिया जाए। ताकि न हम रहेंगे न ये सब होगा। क्योंकि बाहर जाते हैं तो लोग हमें बांग्लादेशी कहते हैं। रोजे का समय है, हमें कई तरह की परेशानी हो रही हैं। हम गली से बाहर नहीं जा पा रहे हैं, पीने वाला पानी नहीं ला पा रहे हैं। दुकानें बंद हैं।"

इस घटना के बाद लोग परेशान हैं। पुलिस जांच के लिए लोगों को घरों से उठाकर ले जा रही है। इसी बीच एक मां जिसका बच्चा विकलांग है और कूड़ा बीनता है। बार-बार पुलिस थाने के चक्कर लगा रही है। वह अपने बेटे के मेडिकल सार्टिफिकेट और एक्स-रे को दिखाती है और रोने लग जाती है। वह कहती है कि मेरा बेटा विकलांग है। उसे पुलिस उठाकर ले गई है। हम गरीब लोग हैं। किसी तरह अपना गुजरा करते हैं। हमें हिंदू-मुसलमान करके क्या मिलेगा।

"मेरे वालिद एमसीडी में कार्यरत थे, तो बांग्लादेशी कैसे हो गए"

इन्हीं लोगों के साथ संकरी गली में खड़े शेख रफीक के पूर्वज पश्चिम बंगाल के नदिया जिले के कृष्णानगर के रहने वाले थे। वह कहते हैं, "मेरी तो पैदाइश ही जहांगीरपुरी की है। मेरे वालिद इसी जगह में एमसीडी में कार्यरत हैं। अब आप ही बताईये कि हम लोग बांग्लादेशी कैसे हो गए? जबकि हमारे पूर्वज पश्चिम बंगाल से हैं। हमें बार-बार रोहिंग्या मुसलमान कह कर टारगेट किया जा रहा है। हमारे प्रति नफरत फैलाई जा रही है। यह सारी आरएसएस की चाल ही। क्या हमारी कौम सिर्फ वोट के लिए हैं। घटना को हुए इतने दिन हो गए हैं। हमसे कोई नेता मिलने तक नहीं आया है। हमारी गली जो मेन रोड (प्रमुख रोड़) से जुड़ी है। उसे ब्लॉक कर दिया गया है।"

अपराधियों को पुलिस का पूरा संरक्षण है!

स्थानीय लोगों के गुस्से को देखने के बाद द मूकनायक ने दूसरे पक्ष से भी मुलाकात की। यहां भी वही हाल था। कोई भी बात करने को तैयार नहीं था। बच्चों में भी डर था कि, कहीं उनकी फोटो न मीडिया में आ जाए। यहां की गलियों की स्थिति सी ब्लॉक के मुकाबले तो थोड़ी थी। इस ब्लॉक में भी मुस्लिम हिंदू दोनों ही रहते हैं।

खाट में बैठे एक बुजुर्ग से द मूकनायक ने शनिवार की घटना के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि, शाम के वक्त एक भीड़ आई थी। लोग जल्दी-जल्दी अपने घरों में जा रहे थे। उनके हाथों में हथियार तो थे ही। लेकिन जब हमने उनसे कैमरे पर यह सारी बात कहने को कही तो उन्होंने साफ मना कर दिया। उनके बगल में बैठी उनकी पत्नी ने भी इस बारे में कुछ कहने से साफ मना कर दिया।

जी ब्लॉक की यह गली सीधे उस सड़क से सटी थी। जहां भीड़ दौड़कर आई थी। इस गली में जिससे भी हमने बात करने की कोशिश की, हर कोई यही कहता मैं तो वहां नहीं था। यहां तक की बैटरी रिक्शा वालों ने भी इस पर बात करने से मना कर दिया। इस ब्लॉक के कई जगहों में शोभयात्रा के लिए झंडे लगे हुए थे। इसी दौरान एक गली में चंद्रकांत नाम की महिला बात करने के लिए राजी हुई।

जी ब्लॉक के कई जगहों में शोभयात्रा के दौरान लगे झंडे / फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक
जी ब्लॉक के कई जगहों में शोभयात्रा के दौरान लगे झंडे / फोटो- पूनम मसीह, द मूकनायक

चंद्राकांत ने इसके पीछे पुलिस को दोषी बताया। वह कहती है कि, आज जो भी हुआ है वह सब पुलिस की नाकामी के कारण हुआ है। अगर पुलिस पहले ही अपराधियों पर नकेल कसती तो आज यह दिन देखने को नहीं मिलता। वह बताती है कि, "यहां अपराध इतना ज्यादा है कि शाम के बाद यहां महिलाएं बाहर नहीं निकल पाती हैं। किसके गले के सोने की चैन गायब हो जाए यह किसी को नहीं पाता। कब आपका फोन छीन लिया जाए यह कोई नहीं कह सकता। इन सभी लोगों को पुलिस का संरक्षण है।" वह साफ कहती हैं कि मैं ये नहीं कह रही कि अपराधी किसी धर्म विशेष या जाति विशेष के हैं। बल्कि, अपराधी सिर्फ अपराधी है, और पुलिस भी अपराधियों की है। अगर नहीं होती तो इतना कुछ नहीं होता।

शनिवार की घटना के दिन पंडित कृपाशंकर मोड़ पर कुशल सिनेमा के पास खड़े थे। वह बताते कि, पहले पत्थरबाजी सी ब्लॉक की तरफ से हुई उसके बाद शोभयात्रा में शामिल लोगों ने उन्हीं पत्थरों को उठाकर उन पर फेंका। देखते-देखते मामला बढ़ गया कि लाठी, तलवारें, पेट्रोल बम बगैरा चलने लगे। वह बताते हैं कि, मेरे ही सामने एक शख्स की बाईक जला दी गई। साथ ही उसके हाथ पर तलवार भी मार दी। वह कहते हैं कि इस भीड़ में ज्यादातर लड़के 15 से 20 साल के लग रहे थे।

क्या था पूरा मामला?

शनिवार को हनुमान जयंती के दिन दिल्ली के जहांगीरपुरी में शोभायात्रा के दौरान हिंसा भड़क गई। जिसमें दो समुदायों के बीच झड़प शुरु हो गई। जिसमें आठ पुलिस वालों के अलावा दो शख्स भी घायल हो गए। इसके बाद इलाके में तनाव फैल गया। अब तक इस मामले में 23 लोगों की गिरफ्तारी भी हुई है। जिसमें दो नाबालिग भी हैं। उधर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए निष्पक्ष जांच के आदेश दिए हैं। अब इस घटना पर राजनीति भी शुरु हो गई। भाजपा और आम आदमी पार्टी आमने सामने हैं।

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