Report- Huma Naaz, Delhi
दिल्ली की 22 हजार से अधिक आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं द्वारा बीते 18 दिनों से सीएम केजरीवाल के आवास के सामने धरना प्रदर्शन किया जा रहा है। आंगनबाड़ी आशा महिला कार्यकर्ताओं का यह अनिश्चितकालीन धरना-प्रदर्शन 31 जनवरी 2022 से ही शुरू हुआ है। उनका आरोप है कि केजरीवाल को उनकी समस्याओं से मतलब नहीं है, वो चुनाव में व्यस्त हैं।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली में अपनी मांगों को लेकर धरनारत आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं ने द मूकनायक से बातचीत के दौरान बताया कि, उनसे जितना काम लिया जाता है उसके एवज उन्हें उचित वेतन नहीं मिलता है और न ही मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।
कुछ महीनों से वेतन रुका हुआ है, वेतन भी समय से नही मिला अभी तक, एक सहयिका सुनिता ने कहा, "हम मेहनत से नही भागते लेकिन हमें हमारी मेहनत के अनुसार वेतन भी तो मिलना चाहिए।"
आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ता दीपा ने कहा, "करोना महामारी में हमने घर-घर राशन बांटे, पोषण योजना के तहत काम किया, संक्रमितों के करोना टींको का रिकॉर्ड आदि रखा। इस क्रम में जो आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ता संक्रमित हुईं उनके इलाज के लिया विभाग आगे नहीं आया, इसलिए आंगनबाड़ी वर्कर्स चाहती हैं कि उन्हे ESI-PF जैसी मूलभूत सुविधाएं दी जाएं और उन्हें सरकारी मान्यता दी जाए।"
संघ की अध्यक्षा शिवानी कहती हैं, "जब तक हमारे आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं को उनका हक नही मिलता है, तब तक धरना जारी रहेगा।"
आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं के कार्य
आंगनबाड़ी केंद्र बाल एवं महिला विभाग के अंतर्गत आता है। आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं के मुख्य कार्य हैं; निम्न मध्य वर्ग के छोटे बच्चों के पोषण का ख्याल रखना, आवश्यक टीकों के प्रति लोगों को जागरूक करना, जिन्हें जरूरत हो उन्हें समय से दवाइयां उपलब्ध कराना, सफाई के प्रति जागरूक करना, गर्भवती महिलाओं सहित अन्य डेटा के रिकॉर्ड रखना।
इसके अलावा उनके कार्यों में, 3-6 वर्ष के बच्चों को शुरुआती शिक्षा देना, गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ का ख्याल रखना, उन्हे दवाई उपलब्ध कराना जैसी कई महत्वपूर्ण कार्य करती हैं। साथ ही सरकार इनसे चुनावी काम काज में भी मदद लेती है।
द मूकनायक को आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया कि, उनसे हर प्रकार का काम लिया जाता है, लेकिन सुविधा नहीं दी जाती। वह कहतीं हैं कि, हमारा भी परिवार है, हमारे भी बच्चे हैं। इस महंगाई में हम कैसे गुजारा करे!
"इनकी ड्यूटी 9-2 बजे की होती है। अभी समन्वय केंद्र खुले हैं जिसमे उनकी 9-4 से ड्यूटी है; 2 घंटे ज्यादा, लेकिन वेतन सभी को एक समान मिलता है। उन्हे ड्यूटी के समय के बाद भी काम करना पड़ता है और काम बहुत ज्यादा होता है।" संघ की अध्यक्षा शिवानी ने बताया कि, अभी कार्यकर्ताओं को 9678 रुपए प्रति माह और सहयिका को 4839 रूपये प्रति माह वेतन मिलते हैं।
मोदी के वादाखिलाफी से निराशा
धरना प्रदर्शन कर रहीं आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं में पीएम मोदी के वादाखिलाफी पर भी दुखी जाहिर किया। दुखी मन से सहयिका उमा ने बताया कि, "2018 में प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की थी कि 1500 रुपए कार्यकर्ताओं को और 750 रुपए सहायिकाओं को पूरे देश में दिए जाएंगे लेकिन वो भी 15 लाख की तरह एक जुमला निकला।"
आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं की 22 सूत्री मांगे
संघ की अध्यक्षा शिवानी ने बताया कि, उन्होंने सरकार से अपनी 22 मांगे रखी हैं। जिनमे वेतन वृद्धि, ESI-PF, सरकारी मान्यता, सहेली समन्वय केंद्र की नीति और नई शिक्षा नीति 2020 को वापस लेने की प्रमुख मांगें हैं। शिवानी ने द मूकनायक को बताया, "ये नीतियां बंधुआ मज़दूरी के लिए मजबूर करती हैं। बिना वेतन बढ़ाए कामकाजी दिनों को बढ़ाने का फैसला भी वापिस लेना चाहिए। आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं के केंद्रो पर एनजीओ की दखलंदाज़ी बंद हो। मोदी जी ने जो घोषणा की थी वो पैसे रिलीज किए जाए।"
21 फरवरी को नहीं हुआ फैसला तो आंदोलन होगा और तेज
"सरकार की तरफ से 21 तारीख को बुलाया गया है। बातचीत के लिए सरकार ने एक और संगठन को बुलाया है, जो दलाली करता है। अगर वो जाता है तो हम नही जायेंगे। जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी हम यहां से नही उठेंगे। अगर 21 को कोई फैसला हमारे हक में नही आता है तो हम आंदोलन और तेज करेंगे।" शिवानी ने कहा।
"हम किसी भी राजनीतिक पार्टी को अपना मंच नही देंगे। यहां हम अपने हक के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। राजनीतिक मंच नही बनने देंगे। विपक्ष के लोग आए थे लेकिन हमने उनसे किसी भी प्रकार की मदद लेने से इंकार कर दिया।" शिवानी ने बताया कि, उन्होंने साफ तौर पर सारी विपक्षी पार्टियों से कहा है कि, जिनकी सरकार जहां है वहां वो अपनी सरकारों में आंगनबाड़ी आशा कार्यकर्ताओं की या जो संविदा पर काम करते है उनको उनका हक दे।
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