नई दिल्ली। देश के सर्वोच्च न्यायालय में भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा बीते लगभग एक दशक के संघर्ष के बाद लगने जा रही है। इसके लिए अंबेडकर लॉयर्स फॉर सोशल जस्टिस समूह के सदस्यों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को 2014 से 2022 तक समय-समय पर पत्र सौंपकर मांग भी की थी। बाबा साहेब को संविधान निर्माण में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के चलते 'फादर ऑफ इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन' भी कहा जाता है। देशभर की सरकारी इमारतों और संवैधानिक संस्थानों में उनकी प्रतिमाएं लगी हुई हैं। लेकिन भारत की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में बीआर आंबेडकर की प्रतिमा नहीं थी। लेकिन अब जल्दी ही सुप्रीम कोर्ट के सामने बीआर आंबेडकर की प्रतिमा दिखेगी।
सुप्रीम कोर्ट में आंबेडकर आजादी के 76 साल बाद सुप्रीम कोर्ट परिसर में ज्यूरिस्ट के रूप में बाबासाहेब की प्रतिमा लगने जा रही है। 26 नवंबर को संविधान दिवस है। इस मौके पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ विधिवेत्ता डॉ. आंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा के मानेसर में इस प्रतिमा को बनाया जा रहा है। पूरी होते ही इसे सुप्रीम कोर्ट भेज दिया जाएगा।
लल्लनटॉप में प्रकाशित खबर के मुताबिक बाबा साहेब की प्रतिमा लगभग 7 फीट ऊंची है जो सुप्रीम कोर्ट में तीन फुट ऊंचे बेस पर लगाई जाएगी। यह प्रतिमा उनकी वकील की वेशभूषा में लगने वाली है। वह इस प्रतिमा में वकील की तरह गाउन और बैंड पहना हुए नजर आएंगे। साथ ही उनके एक हाथ में संविधान की प्रति रहेगी। ये प्रतिमा अंतरराष्ट्रीय स्तर के जाने माने प्रतिमाकार नरेश कुमावत ने तैयार की है।
सुप्रीम कोर्ट परिसर में अब तक दो प्रतिमायां लगी हैं। एक मदर इंडिया का म्यूरल है जो भारतीय मूल के ब्रिटिश शिल्पी चिंतामणि कर ने बनाई थी। दूसरी प्रतिमा महात्मा गांधी की है। इसे भी ब्रिटिश प्रतिमाकार ने बनाया था। वहीं आंबेडकर की प्रतिमा भारतीय प्रतिमाकार नरेश कुमावत ने बनाई है।
इस प्रतिमा की खास बात ये है कि इसमें डॉ. आंबेडकर एक ज्यूरिस्ट, आसान भाषा में बताएं तो वकील के रूप में दिखेंगे। संभवतः संविधान निर्माण में उनकी भूमिका और एक बेहतरीन ज्यूरिस्ट होने के चलते ही उनकी प्रतिमा को ये आकार दिया गया है।
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