चुनाव आयोग ने गुरुवार की देर शाम इलेक्टोरल बॉन्ड्स का डाटा सार्वजनिक कर दिया. आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इसे दो भागों में जारी किया है. एक भाग में उन लोगों के नाम हैं. जिन्होंने अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं. वहीं, दूसरे भाग में बॉन्ड से चंदा पाने वाली पार्टियों के नाम शामिल हैं.
चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक डाटा के मुताबिक, आइए एक नजर डालते हैं उन खरीददारों पर जिन्होंने सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे या कहिए कि सबसे ज्यादा चंदा दिया.
सूची में पहले स्थान पर फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज लिमिटेड है. जिसके पास 1,368 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड हैं. सैंटियागो मार्टिन के स्वामित्व वाली इस लॉटरी कंपनी का मुख्यालय कोयंबटूर में है. यह सिक्किम और नागालैंड में आयोजित पेपर लॉटरी का एकमात्र वितरक भी है. चुनाव आयोग के डाटा के मुताबिक, इसने फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विस पीआर, फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड के नाम से इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदे हैं.
मालूम हो कि कंपनी और मार्टिन दोनों के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय यानि ईडी की जांच चल रही है. मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा दायर आरोप पत्र में मार्टिन का भी नाम था. पिछले साल ईडी ने इनकी 450 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति जब्त कर ली थी. पिछले हफ्ते ही ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में मार्टिन के दामाद के घर पर तलाशी ली थी.
#2 दूसरे नंबर पर हैदराबाद स्थित मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड है. जिसने 966 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. मेघा ग्रुप की स्थापना 1986 में पीपी रेड्डी द्वारा की गई थी. रेड्डी और उनके भतीजे पीवी कृष्णा रेड्डी दोनों कथित तौर पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के "करीबी" हैं. अधिक जानकारी के लिए न्यूज़लॉन्ड्री की 2019 की ये रिपोर्ट पढ़िए.
#3 तीसरे नंबर पर क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड है. जिसका मुख्यालय महाराष्ट्र में है. इसने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से कुल 410 करोड़ रुपये का दान दिया है. इसके निदेशकों में से एक मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज के स्वामित्व वाली कई कंपनियों में भी निदेशक है.
#4 चौथे नंबर पर खनन दिग्गज वेदांता लिमिटेड है. जिसकी स्थापना व्यवसायी अनिल अग्रवाल ने की थी. इसका मुख्यालय मुंबई में है. यह समूह विवादों से अछूता नहीं है. इस पर कर्ज़ और पर्यावरणीय नियमों के उल्लंघन को लेकर आरोप शामिल हैं. पिछले साल, इसने अपने व्यवसायों के "अलगाव" की घोषणा की थी. बावजूद इसके उसने 399 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
#5 पांचवें नंबर पर हल्दिया एनर्जी लिमिटेड है. जो 375 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीद रही है. 1994 में निगमित, इसका पूर्ण स्वामित्व सीईएससी लिमिटेड के पास है, जो आरपी-संजीव गोयनका समूह का हिस्सा है. यह "कोलकाता शहर और उसके उपनगरों की बढ़ती बिजली की मांग को पूरा करने" के लिए पश्चिम बंगाल के हल्दिया में एक थर्मल पावर प्लांट संचालित करता है.
पिछले साल, अल जज़ीरा ने रिपोर्ट किया था कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आरपी-संजीव गोयनका को "बड़े कोयला भंडार पर कब्ज़ा करने के लिए प्रतिस्पर्धी प्रक्रियाओं को दरकिनार करने" की अनुमति दी थी.
#6 सूची में छठे नंबर पर एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड है, जिसने 224.5 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे. आदित्य बिड़ला समूह का हिस्सा, यह देश की सबसे बड़ी लौह अयस्क खनन कंपनियों में से एक है.
2022 में, कंपनी ने मध्य प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर हिंसा के खतरों के बारे में चिंता व्यक्त की थी क्योंकि उसने सांची से लगभग 200 किमी दूर बक्सवाहा जंगल में अपनी खनन परियोजना को क्रियान्वित करने की कोशिश की थी. 2014 में, ओडिशा में खनन उल्लंघनों की जांच करने वाले एक विशेषज्ञ पैनल ने कंपनी को राज्य के वन क्षेत्रों में अवैध खनन का दोषी ठहराया.
#7 सातवें नंबर पर वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड है. जिसमें मेघा समूह की बड़ी हिस्सेदारी है. इसने 220 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. मेघा इंजीनियरिंग को मिलाकर ग्रुप ने 1,186 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं.
#8 सूची में आठवें नंबर पर केवेंटर फूडपार्क इंफ्रा लिमिटेड है. जिसने 2019 से अब तक कुल 195 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे हैं. कोलकाता स्थित कंपनी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में है और लुगदी और कृषि उत्पादों का निर्यात करती है.
#9 एमकेजे एंटरप्राइजेज लिमिटेड सबसे ज्यादा चंदा देने वालों में नौंंवे नंबर पर है. जिसका मुख्यालय कोलकाता में है. कंपनी स्टील का कारोबार करती है. इसने चुनावी बॉन्ड के जरिए 180 करोड़ रुपये का चंदा दिया है. इसके अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक महेंद्र कुमार जालान हैं. जालान कुछ केवेंटर कंपनियों के निदेशक भी हैं.
#10 मदनलाल लिमिटेड ने 185.5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे हैं. कंपनी एमकेजे समूह और केवेंटर समूह की कंपनियों का हिस्सा है. कंपनी प्रतिभूतियों और रियल एस्टेट क्षेत्र की खरीद और बिक्री में लगी हुई है.
गौरतलब है कि न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले ही केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई और पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 30 कंपनियों द्वारा भाजपा को 335 करोड़ रुपये के दान के बीच एक स्पष्ट पैटर्न पर रिपोर्ट की थी.
इसके बाद हमें 11 कंपनियां और मिलीं, जिन्होंने 2016-17 से 2022-23 तक भाजपा को 62.27 करोड़ रुपये का चंदा दिया और इसी अवधि के दौरान उन्हें केंद्रीय एजेंसी की कार्रवाई का सामना करना पड़ा.
नोट- यह स्टोरी बिना किसी बदलाव के पुनः प्रकाशित की गई है. मूल रूप से उक्त स्टोरी न्यूज़लॉन्ड्री वेबसाइट पर पहले प्रकाशित हो चुकी है.
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