नई दिल्ली। आगामी 14 अप्रैल, बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती की पूर्व संध्या को भारतीय माइक्रोब्लॉगिंग एप्प Koo ने अपने एक नए प्रोजेक्ट को लांच किया है। इस प्रोजेक्ट के नए फीचर में Koo App में यूजर किसी भी पोस्ट को लाइक (Like) करते हैं, तो उन्हें बाबा साहब अम्बेडकर की इमोजी पॉपअप होती दिखाई देंगी।
कू इंडिया ने यह फीचर दलित हिस्ट्री मंथ के मद्देनजर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती को खास बनाने के लिए कू यूजर्स के लिए शुरू किया है।
कू इंडिया की एक शीर्ष ऑफिसियल ने द मूकनायक को इसकी पुष्टि करते हुए जानकारी दी कि बाबा साहब भीमराव अंबडेकर की जयंती को खास बनाते हुए कू एप्प में नए फीचर को लाइव किया गया है। कू एप्प (Koo App) में यह फीचर अंबेडकर जयंती से एक दिन पहले 13 अप्रैल को शुरु किया गया है। अगर आप भी कू एप्प यूजर हैं तो अपने एप्प में इस खास फीचर को देख सकते हैं।
इससे पहले, पिछले वर्ष 2022 में ट्विटर ने भी दलित हिस्ट्री मंथ, अप्रैल माह में #DalitHistoryMonth और #JaiBhim हैशटैग के साथ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की इमोजी प्रदर्शित किया था। हालांकि, ट्विटर की ओर से इस बार ऐसा कोई फ़ीचर नहीं दिखाई दिया है। इसके पीछे ट्वीटर के नए मालिक एलन मास्क की नीतियां और पूर्व के कर्मचारियों को कंपनी से निकालने की वजह मानी जा रही है।
बाबा साहेब डॉ. भीम राव अम्बेडकर की जयंती, 14 अप्रैल, एक तरह से अम्बेडकरवादियों और दलितों के लिए एक त्यौहार है। इस पूरे महीने बाबा साहेब के संघर्षों, आंदोलनों और समाज के लिए किए गए उनके कार्यों का जश्न मनाते हैं। हालाँकि, यह आयोजन सिर्फ उसी दिन होता था लेकिन बीते कुछ सालों से लोगों ने पूरे अप्रैल के महीने को दलित इतिहास माह के रूप में मनाना शुरू कर दिया है। इस दिन अम्बेडकरवादी विचारधारा को लोगों तक पहुंचाने के लिए लेखन, पाठ्य, चर्चाओं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों, फिल्म स्क्रीनिंग आदि पूरे महीने ऐसे कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
संघपाली अरुणा को 2013 में पहले दलित इतिहास माह के आयोजन का श्रेय दिया जाता है। संघपाली अरुणा, जिन्हें संघपाली अरुणा लोहिताक्षी के नाम से भी जाना जाता है, भारत की एक मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जिन्हें दलित महिलाओं के अधिकारों पर उनके काम के लिए जाना जाता है। वह प्रोजेक्ट मुक्ति की कार्यकारी निदेशक हैं। 2014 में, अरुणा जाति-आधारित हिंसा के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत भर में यात्रा करने वाली दलित महिला स्वाभिमान यात्रा की हिस्सा थीं, 2015 में दलित महिला लड़ाई अभियान का हिस्सा रहीं। वह हैदराबाद विश्वविद्यालय में दलित छात्र रोहित वेमुला के मौत के दौरान रोहित के मामले को उठाने में सक्रियता से शामिल थीं।
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