भीमा कोरेगांव केसः कवि व सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को मिली जमानत

भीमा कोरेगांव केसः कवि व सामाजिक कार्यकर्ता वरवरा राव को मिली जमानत
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  • सुप्रीम कोर्ट ने खराब स्वास्थ्य के चलते दी राहत, प्राधिकार को करना होगा सूचित

नई दिल्ली। जेल में खराब स्वास्थ्य से जूझ रहे कवि व सामाजिक कार्यकर्ता पी. वरवरा राव को बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। भीमा कोरेगांव केस में गिरफ्तार किए गए राव की उम्र 83 साल है। वह ढाई साल जेल में बिता चुके हैं। उनकी तबीयत लगातार खराब है। इसे देखते हुए ही सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत प्रदान की है। हालांकि यह भी कहा है कि वह किसी गवाह से संपर्क नहीं करेंगे। मुंबई नहीं छोड़ सकते हैं और अपनी मेडिकल कंडीशन के बारे में प्राधिकार को सूचित करेंगे। उल्लेखनीय है इसी केस में गिरफ्तार फादर स्टैन स्वामी का जुलाई 2021 में निधन हो गया था। 84 साल के स्टैन स्वामी भीमा कोरेगाँव मामले में न्यायिक हिरासत में थे। उन पर भी हिंसा भड़काने का मामला चल रहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा है कि वरवरा राव को मेडिकल कंडीशन के आधार पर जमानत प्रदान की गई है। अन्य आरोपियों के लिए रेगुलर जमानत इस मामले को आधार बनाकर नहीं मांगी जा सकेगी। राव ने इससे पूर्व स्वास्थ्य के आधार पर स्थायी जमानत संबंधी उनकी अपील को बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से खारिज किए जाने के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका दाखिल की थी।

सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए से मांगा था जवाब


इससे पहले 19 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी राव की चिकित्सा आधार पर नियमित जमानत दिए जाने की मांग वाली याचिका पर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को नोटिस जारी कर अपना रुख स्पष्ट करने को कहा था। जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एसआर भट्ट और जस्टिस सुधांशु धूलिया की एक पीठ ने एनआईए को नोटिस जारी किया था और कहा था कि मामले पर 10 अगस्त 2022 को सुनवाई की जाएगी। न्यायालय ने कहा था कि राव को दी गई अंतरिम सुरक्षा जारी रहेगी। उससे पहले शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को राव को दी गई अंतरिम सुरक्षा अगले आदेश तक बढ़ा दी थी।

क्या है भीमा कोरेगांव मामला


भीमा-कोरेगांव वो जगह है जहाँ एक जनवरी 1818 को मराठा और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ था। इस युद्ध में दलित महार समुदाय ने पेशवाओं के खिलाफ अंग्रेजों की ओर से लड़ाई लड़ी थी। अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी ने महार रेजिमेंट की बदौलत ही पेशवा की सेना को हराया था। इस घटना के 200 साल पूरे होने पर 31 दिसंबर, 2017 में पुणे में दलित संगठनों व एल्गार परिषद की ओर से कार्यक्रम आयोजित किया गया था, जिसमें बड़ी संख्या में दलित समाज से लोग एकत्र हुए थे। मामला कार्यक्रम में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण देने से जुड़ा है। पुणे पुलिस का दावा है कि इस भाषण की वजह से अगले दिन कोरेगांव-भीमा में हिंसा फैली। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस कार्यक्रम का आयोजन करने वाले लोगों के माओवादियों से संबंध हैं। मामले की जांच बाद में एनआईए को सौंप दी गई थी। हिंसा फैलाने में हिंदू संगठन के लोगों का भी नाम सामने आया था।

16 लोगों की गिरफ्तारी


लोकल मीडिया रिपोर्टस् के अनुसार भीमा-कोरेगांव मामले में 16 लोगों की गिरफ्तारी की गई थी। इनमें वकील, एकेडेमिक्स और एक्टिविस्ट शामिल है। सुधीर धावले, सुरेन्द्र गाडलिंग, रोना विल्सन, सोमा सेन, महेश राउत, वरवर राव, वरनान गोंजाल्विस, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, आनंद तेलतुंबड़े, हनीबाबू एमटी, स्टेन स्वामी को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों पर चरमपंथ और माओवादी विद्रोहियों के साथ संबंध रखने का आरोप लगाया गया। इनमें से फादर स्टैन स्वामी का ट्रॉयल के दौरान निधन हो गया।

कौन है वरावर राव

बीबीसी हिन्दी में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार राव जाने-माने कवि, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे आंध्र प्रदेश में और तेलंगाना में तेलुगु कवि के रूप में जाने जाते हैं। उनके तकरीबन 15 कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिनका कई भाषाओं में अनुवाद भी हुआ है। उनके लेखन और कविताओं की वजह से कुछ लोग उन्हें माओवादियों से सहानुभूति रखने वाला भी बताते हैं। उन्हें वामपंथी कार्यकर्ता माना जाता है, जिनका देश भर में कई संस्थाओं और अभियानों से निकट संबंध रहा है। पहले भी उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया है। उन्हें पहली बार 1973 में गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्हें कभी किसी अभियोग में दोषी नहीं पाया गया है। वे आंध्र प्रदेश सरकार और नक्सलियों के बीच हुई बातचीत में भी मध्यस्थ के तौर पर शामिल रहे थे। वरवर राव बीते दो साल से सलाखों के पीछे हैं। फिलहाल खराब स्वास्थ्य के चलते उनका मुंबई के नानावती अस्पताल में इलाज चल रहा है। उनकी पत्नी हेमलता राव ने मेडिकल ग्राउंड पर उनकी जमानत मांगी थी।

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