भोपाल। 21 अगस्त 2024 को पूरे देश में बुलाए गए भारत बंद का व्यापक असर देखा गया। इस बंद का आह्वान सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में किया गया था, जिसमें अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने की अनुमति दी गई है। इस बंद का असर मध्यप्रदेश में भी दिखाई दिया, जहां कई शहरों में बाजार बंद रहे और छुटपुट झड़पों की घटनाएं सामने आईं।
छतरपुर में बंद के समर्थन में उतरे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति संगठनों के सदस्यों ने एक दुकान में जबरदस्ती घुसने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया, जिससे दोनों पक्षों में झूमा-झटकी हो गई। स्थिति बिगड़ते देख छतरपुर के सीएसपी अमन मिश्रा और टीआई अरविंद कुजूर ने मोर्चा संभाला। हल्का बल प्रयोग करते हुए पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ा और स्थिति को नियंत्रण में लिया।
उज्जैन में बंद के समर्थन में प्रदर्शनकारियों और एक दुकानदार के बीच झूमा-झटकी हो गई। टावर चौक इलाके में जब प्रदर्शनकारियों ने दुकानदार से दुकान बंद करने को कहा, तो उसने इनकार कर दिया। इसके बाद बंद समर्थकों ने दुकान का काउंटर धकेलने का प्रयास किया, जिस पर दुकानदार ने विरोध जताया। दोनों के बीच बहस बढ़ने लगी, लेकिन मौके पर मौजूद अन्य लोगों ने बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया।
मंडला और पांढुर्णा में भारत बंद का असर पूरी तरह से देखा गया। यहां बाजार पूरी तरह बंद रहे, और लोग घरों में ही रहे। स्थानीय व्यापारियों और संगठनों ने भी इस बंद का समर्थन किया, जिसके चलते बाजारों में सन्नाटा पसरा रहा।
सतना और भिंड में बंद समर्थकों ने रैलियां निकालीं और दुकानों को बंद कराने का प्रयास किया। सतना में प्रदर्शनकारियों ने शराब की दुकानों पर भी नारेबाजी की और दुकानें बंद करने की अपील की। हंगामे की स्थिति बनते देख ग्राहक दुकानों को छोड़कर निकल गए। वहीं, भिंड में भी बंद समर्थकों ने सड़क पर उतरकर रैली निकाली और दुकानदारों से समर्थन की अपील की।
ग्वालियर में भारत बंद का असर मिला-जुला रहा। यहां प्राइवेट स्कूलों ने बंद का समर्थन किया और स्कूलों में छुट्टी घोषित कर दी। वहीं, अन्य बाजार खुले रहे, और लोगों की आवाजाही सामान्य रही। ग्वालियर के कई हिस्सों में पुलिस तैनात रही ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके।
भोपाल, इंदौर और उज्जैन समेत मध्यप्रदेश के कई जिलों में भारत बंद का असर सीमित रहा। इन शहरों में स्कूल और कॉलेज खुले रहे, जबकि बाजारों में सामान्य रूप से कारोबार चलता रहा। हालांकि, कुछ इलाकों में बंद समर्थकों ने रैलियां निकालीं और लोगों से बंद का समर्थन करने की अपील की, लेकिन इसका असर कम दिखा।
खंडवा और रतलाम में भारत बंद का कोई खास असर नहीं देखा गया। यहां बाजार पूरी तरह खुले रहे और जनजीवन सामान्य रहा। स्थानीय प्रशासन की सतर्कता और पुलिस की तैनाती के चलते यहां किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं हुई।
गुना में भी भारत बंद के दौरान प्रदर्शन हुए। बसपा समेत अन्य एससी-एसटी संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रैली निकाली और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए और एससी/एसटी आरक्षण की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
मुरैना में चल रहे विरोध-प्रदर्शन में बसपा के प्रदेश अध्यक्ष इंजीनियर रमाकांत पिप्पल भी शामिल हुए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कड़ा विरोध जताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा का विशेष सत्र बुलाकर देश को आश्वस्त करना चाहिए कि एससी/एसटी आरक्षण की मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।
जबलपुर में गढ़ा गोंडवाना पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने राजा शंकर शाह और कुंवर रघुनाथ शाह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने कोर्ट के फैसले को संविधान विरोधी करार दिया और इसे तुरंत रद्द करने की मांग की।
बैतूल में भी भारत बंद का असर दिखा। यहां अधिकांश दुकानों पर ताले लगे रहे और सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा। भीम आर्मी के कार्यकर्ता सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे थे। उनके हाथों में तख्तियां थीं जिन पर लिखा था "एक अगस्त 2024 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला रद्द करो"। यहां बंद का व्यापक असर देखा गया।
इंदौर में भीम आर्मी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कलेक्टर कार्यालय के सामने धरना दिया और नारेबाजी की। प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर बैठकर सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने का आग्रह किया और सुप्रीम कोर्ट के फैसले को वापस लेने की मांग की।
अशोकनगर में बंद समर्थक भीम आर्मी के नेताओं और पुलिस अधिकारियों के बीच बहस हो गई। शहरभर में पुलिस बल तैनात था, और ग्वालियर से भी अतिरिक्त जवान बुलाए गए थे। बंद कराने के प्रयास में प्रदर्शनकारी पुलिस से उलझ गए, लेकिन जल्द ही मामला शांत कराया गया।
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