नई दिल्ली: एनसीआर की हवा खराब, CAQM ने लगाए प्रतिबंध, आठवीं कक्षा तक की ऑफलाइन क्लास रद्द

दिल्ली एनसीआर की हवा खराब
दिल्ली एनसीआर की हवा खराब
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दिल्ली एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) के करोड़ों लोग वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति का सामना कर रहे हैं। एनसीआर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 400 के करीब है जो स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद खतरनाक है। खराब हवा बच्चों और बुजुर्गों के साथ हर आयु वर्ग के लोगों को श्वसन के माध्यम से शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा रही है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, वाहनों और फैक्ट्रियों से निकलने वाला खतरनाक धुंआ और गैस जब वातावरण की नमी कोहरे से मिलती है तो स्मॉग बन जाता है। यह जहरीला मिश्रण यानी स्मॉग श्वास के जरिए आंख व फेफड़ों तक पहुंचता है। यह किसी भी स्वस्थ्य व्यक्ति को बीमार करने के लिए काफी है। फिलहाल दिल्ली एनसीआर में वायु की गुणवत्ता ठीक करने के लिए कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं।

वर्तमान की स्थितियों में नोएडा समेत पूरे दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण का भयावह रूप देखने को मिल रहा है। नोएडा में एक्यूआई 562 पर है। यह प्रदूषण की गंभीर स्थिति है। वहीं दिल्ली में यह 472 तक मापा गया है। नोएडा में वायु की गुणवत्ता खराब होते ही आठवीं तक के स्कूलों को बंद कर दिया गया है। सभी स्कूलों को ऑनलाइन क्लास देने के निर्देश दिए गए हैं।

दरअसल एयर पॉल्यूशन सीबीयर प्लस श्रेणी में होने की आशंका के चलते यह फैसला लिया गया है। दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध और कड़ा कर दिया गया है। हवा की खराब गुणवत्ता को ठीक करने के लिए दिल्ली और एनसीआर में डीजल चलित चार पहिया वाहन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। केवल बीएस-6 वाहनों को छूट दी गई है।

वहीं इस पूरे मामले में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के तकनीकी सदस्य नर्मदा प्रसाद शुक्ला ने द मूकनायक से बातचीत करते हुए कहा कि दिल्ली एनसीआर की वायु गुणवत्ता AQI 450 से अधिक है। वहीं ग्रेप भी लेवल 4 पर है। "हमने वायु की गुणवत्ता को सुधारने के लिए कई तरह के प्रतिबंध किए हैं। हमने ट्रक और डीजल से चलने वाले सभी वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया है। सिर्फ बीएस 6 गाडि़यों को ही छूट दी है।" शुक्ला ने कहा कि हमने राज्य सरकार को भी कहा कि वह शासकीय दफ्तरों में 50 प्रतिशत की क्षमता के साथ काम करने पर विचार करें।

WHO ने जताई चिंता

वायु प्रदूषण के कारण कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी बढ़ते प्रदूषण पर कई बार चिंता व्यक्त की है। ज्यादातर लोगों को लगता है कि प्रदूषण का असर सिर्फ फेफड़ों पर पड़ता है। जबकि इसके स्वास्थ्य जोखिम आपकी कल्पना से भी ज्यादा खतरनाक हो सकते हैं।

बढ़ जाता है फेफड़ों के कैंसर का खतरा

हाई लेवल के वायु प्रदूषण के कारण कई तरह के प्रतिकूल स्वास्थ्य परिणाम हो सकते हैं। डॉक्टरों की माने तो इससे श्वसन संक्रमण हृदय रोग और फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। जो पहले से ही बीमार हैं, उन पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ता है। बच्चे बुजुर्ग और गरीब लोग ज्यादा इसके शिकार होते हैं, जिनका किसी न किसी कारणवश बाहर निकलना ही है। वैसे सरकार इससे निपटने के लिए हर साल नए-नए कदम उठाती है परंतु इसका असर कितना होता है यह देखना बाकी है।

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