लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के हमीरपुर में आगामी 25 अगस्त को आजाद समाज पार्टी प्रमुख और सांसद चंद्रशेखर आजाद का दौरा प्रस्तावित है। चंद्रशेखर के इस दौरे को लेकर क्षेत्र में एक नई विवाद उत्पन्न हो गया है। क्षत्रिय समाज सेवा समिति के सदस्यों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) को ज्ञापन सौंपते हुए चंद्रशेखर के आगमन पर रोक लगाने की मांग की है। उनका दावा है कि चंद्रशेखर के हमीरपुर पहुंचने से क्षेत्र का सामाजिक माहौल बिगड़ सकता है।
दरअसल, रविवार को चंद्रशेखर रावण ओबीसी महासभा द्वारा आयोजित "देश मांगे जाति-जनगणना" कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बांदा के अलीगंज स्थित एक निजी होटल में पहुंच रहे हैं। इस कार्यक्रम को लेकर क्षत्रिय समाज के सदस्यों ने माहौल खराब होने का आरोप लगाते हुए चंद्रशेखर के आगमन को रोकने की मांग की है।
ज्ञापन देने पहुंचे क्षत्रिय समाज के सदस्यों का कहना है कि हाल ही में पतारा गांव में हुई एक किसान की हत्या के बाद उनके समाज को जातीय आधार पर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने किसी भी अपराध को जातीय आधार पर टारगेट करने को निंदनीय बताया और कहा कि चंद्रशेखर रावण के आगमन से इस मामले में जातिगत तनाव और बढ़ सकता है।
इस ज्ञापन में उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया कि चंद्रशेखर रावण को हमीरपुर आने से रोका जाए, ताकि क्षेत्र में शांति और सद्भाव बना रहे। ज्ञापन देने वालों में क्षत्रिय समाज के लगभग एक दर्जन सदस्य शामिल थे।
दूसरी ओर, भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी और कार्यक्रम आयोजक ओबीसी महासभा का कहना है, कि कुछ जातिवादी मानसिकता से ग्रसित सवर्णों ने चंद्रशेखर के पोस्टर फाड़ दिए हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस क्षेत्र में जातिवादी माहौल को बनाए रखने के लिए वंचित समाज को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। उनका कहना है कि चंद्रशेखर का दौरा समाज के हाशिए पर खड़े लोगों को एक नई उम्मीद और ताकत प्रदान करेगा।
द मूकनायक से बातचीत करते हुए ओबीसी महासभा के कोर कमेटी सदस्य धर्मेंद्र सिंह कुशवाहा ने बताया कि चंद्रशेखर आजाद, जो वंचित और पिछड़े समाज की आवाज हैं, उनको रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं। ओबीसी महासभा द्वारा एक कार्यक्रम किया जा रहा है, जिसमें वह आरहे हैं। उनके आगमन के लिए लगाए गए पोस्टर भी अज्ञात लोगों द्वारा फाड़ दिए गए हैं।
धर्मेंद्र ने आगे कहा, "चंद्रशेखर आजाद का आगमन रोकने का यह प्रयास दिखाता है कि संविधान की बात करने वाले व्यक्ति से किस प्रकार सवर्ण समाज के जातिवादी और सामंतवादी लोगों में भय उत्पन्न हो जाता है। वंचित समाज को उनकी संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना एक गंभीर चिंता का विषय है, और इसे रोकने के प्रयास संविधान के मूल्यों के खिलाफ हैं।"
यह घटना केवल एक ज्ञापन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बताती है कि कैसे समाज में जातिवादी मानसिकता अब भी जीवित है और समय-समय पर अपने दमनकारी रूप में प्रकट होती है। चंद्रशेखर जैसे नेताओं के दौरे को रोकने का प्रयास उनके द्वारा समाज में बराबरी और न्याय की बात करने के कारण किया जा रहा है।
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