कोविड-19 महामारी के बाद विश्व में 7.1 करोड़ लोग हुए गरीब: वर्ल्ड बैंक

कोविड-19 महामारी के बाद विश्व में 7.1 करोड़ लोग हुए गरीब: वर्ल्ड बैंक
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नई दिल्ली। कोविड-19 के बाद से ही भारत की खराब आर्थिकि स्थिति की कई खबरें सुनने में आई। देश की जनता ने इसे महसूस भी किया है। बाजारों में खरीददारों की संख्या में गिरावट इस बात का सबूत है कि कोविड-19 ने लोगों की आर्थिक रुप से कमर तोड़ दी है।

हाल ही में आई विश्व बैंक की नई रिपोर्ट और निराश करने वाली हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 ने विश्व स्तर और भारत के अंदर गरीबों की संख्या में चौंकने वाला इजाफा दिखाया है। जहां साल 2020 में भारत में गरीबों की संख्या 2.3 करोड़ से लेकर 5.6 करोड़ तक बढ़ चुकी है।

विश्व वैंक की पॉवर्टी एंड शेयर्ड प्रॉस्पैरिटी की रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विव स्तर पर 2.15 डॉलर या 177 रुपये प्रतिदिन से कम पर जीवनयापन करने वाले लोगों की संख्या 2019 में 8.4 थी। जो 2020 में बढ़कर 9.3 प्रतिशत हो गई। इस हिसाब से दुनियाभर में गरीबों की संख्या 7.1 करोड़ बढ़ी है। जिसमें भारत का यह प्रतिशत 33 से 80 तक है।

रिपोर्ट में यह बताया कि वैश्विक स्तर पर गरीबों की आंकड़े में अनुमानित 7.1 करोड़ की वृद्धि का सबसे ज्यादा असर अधिर आबादी वाले देशों पर पड़ने वाला है। जबकि चीन में सबसे अधिक जनसंख्या होने के बाद भी वैश्विक अत्यधिक गरीबों में हिस्सेदारी कम है। क्योंकि चीन को साल 2020 में मध्यम स्तर पर ही आर्थिक झटका लगा। जिसका नतीजा यह हुआ कि जिस वक्त विश्व के अन्य क्षेत्रों में गरीबों की संख्या में वृद्धि हुई उसमें चीन का ज्यादा योगदान नहीं है।

विश्व बैंक का कहना है कि, 2020 के लिए भारत के गरीबी अनुमानों की रेंज में व्यापक अंतर का सबसे बड़ी वजह भारत सरकार द्वारा 2020 के गरीबी अनुमानों को अंतिम रुप नहीं दिया गया है और इसके अनुमान के लिए विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल करना पड़ा है।

वैश्विक स्तर पर गरीबों में वृद्धि 1998 के बाद पहली बार हुई जबकि भारत में यह वृद्धि 2011 में पहली बार हुई। विश्व बैंक की रिपोर्ट के अनुसार साल 2011 के बाद भारत में गरीबी में कमी आई थी। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी के स्तर में गिरावट हुई थी। लेकिन वैश्विक स्तर पर उस अवधि के दौरान समग्र गरीबी में गिरावट आई थी जो पहले के अनुमानों से कम है।

साल 2017 में विश्व बैंक की तरफ से इस्तेमाल नवीनतम अनुमान से यह प्रतीत होता है कि उसी साल 13.6 प्रतिशत लोग प्रतिदिन 1.90 डॉलर यानी की 156.34 रुपये से कम पर जीवनयापन कर रहे हैं। साल 2019 के बाद रिपोर्ट में प्रतिदिन 2.15 डॉलर यानी की 177 रुपये प्रतिदिन की एक बड़ी गरीबी रेखा को अपनाया गया है। जिसके अनुसार 2019-20 में भारत में गरीबी का आंकड़ा 10 प्रतिशत था। जिसमें भारत के ग्रामीण क्षेत्रो में गरीबी दर 12 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 6 प्रतिशत थी।

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